पिछली बार मैने बॉलीवुड डांस के एक प्रकार 'मुजरे' की मीमांसा करने का प्रयत्न किया था। इस बार सबसे लोकप्रिय डांस का एक प्रकार कैबरे के बारे में लिख रहा हूँ। 60's में कैबरे किसी फिल्म की सफलता के लिए सबसे विश्वसनीय फॉर्मुला हुआ करता था। कैबरे नर्तकियां vulgar मानी जाती थी। उनकी लम्बी टांगे (और कई बार सिर्फ आधी ही ढ़की हुई), उत्तेजक पहरावा और catchy गीत, संगीत लोंगों को बरबस सिनेमा हाल तक खींच लाते थे। कैबरे में अक्सर डांसर का विलेन को इशारा करने का दृश्य रहा करता था और डांस को कहानी में जोड़ देने की कोशिश भी ।
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कक्कू हिन्दी सिनेमा की शायद सबसे पहली कैबरे डांसर थी।
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कक्कू बोलीवुड की पहली कैबरे क्वीन |
उन्होनें 1946 मे फिल्म 'अरब का सितारा' से फिल्मी ज़िन्दगी शुरु की पर नाम मिला 1948 में बनी महबूब खान की फिल्म अनोखी अदा से जिसमें उन्होंने जो कैबरे नृत्य किया उसे आज की अवधारणा के हिसाब से कैबरे कह भी नहीं सकते। कई फिल्मों में लोकप्रिय गीतों पर उनके नृत्य का जलवा 1963 तक चलता रहा। उनका फिल्मी सफर :
- अंदाज (1949) (गीत तू कहे अगर, झूम झूम के नाचो आज ),
- चांदनी रात चांदनी रात है हाय क्या बात है
- बरसात (गाना : पतली कमर है, तिरछी नज़र है ) ,
- 1950 परदेस (गाना : मेरे घूंघर वाले बाल औ राजा )
- 1951 आवारा (गीत : एक दो तीन अजा मौसम है रंगीन ) सगाई, अफसाना,
- 1952 अम्बर, आन,
- 1953 शहनशाह,
- 1954 चोर बाजार,
- 1955 मि० मिसेज 55, बारादरी,
- 1956 सिपहसालार,
- 1957 उस्ताद,
- 1958 यहूदी, चलती का नाम गाड़ी ( हेलेन जी के साथ ), 1958 फागुन (गाना शोख शोख आंखे )
- 1959 गेस्ट हाउस,
- 1960 बसंत
- 1962 बेज़ुबान
- 1963 मुझे जीने दो
- 1964 शबनम ।
कक्कू मोरे अपनी एक डांस के लिए रु 6000/- लेती थी जो उस समय के लिए काफी जयादा था. उन्हे रबर गर्ल भी कह जाता था। उनके पास बंगला गाड़ी सभी थे कुत्तो को घूमने के लिए अलग गाड़ी भी, पर जब 1983 में उन्होंने कैंसर से बिना लडे़ ही जंग हार गई तो उनके पास खाने को भी पैसे न थे ।
हेलेन जी को फिल्मो में कक्कू ही ले कर आयी और हेलेन ने कैबरे को फिल्मो में एक अलग ही स्थान दिलाया १९३८ में एंग्लो इंडियन पिता और बर्मी माता के परिवार में जन्मी हेलेन जी ने अपने पिता को द्वितीय विश्व युद्ध में खो दिया . तब वह माँ के साथ मुंबई आ गई . कक्कु ने उन्हें कोरस डांसर का काम १९५१ में दिलवाया फिल्म थी शबिस्तां और आवारा.
सुन्दरता और मादकता की पर्याय थी 'हेलन जी'। उनकी खूबसूरती और नृत्य का खुमार सिनेप्रेमियों के जेहन में आज भी कायम है। 'अलिफ लैला' (1953) में वह पहली बार बतौर सोलो डांसर नजर आईं। इसके बाद 'हूर-ए-अरब' (1955), 'नीलोफर' (1957), 'खजांची' (1958), 'सिंदबाद', 'अलीबाबा', 'अलादीन' (1965) जैसी फिल्मों में वह नजर आईं। 1958 में आई फिल्म 'हावड़ा ब्रिज' के गाने 'मेरा नाम चिन चिन चू' से हेलेन का जादू चलने लगा।
- 'ये रात फिर न आएंगी ' "हुज़ूरेवाला गर हो इजाजत"
- 'गुमनाम' 'इस दूनिया में जीना है तो'
- 'तीसरी मंजिल' का 'ओ हसीना जुल्फों वाली',
- 'कारवां' का 'पिया तू अब तो आजा',
- 'जीवन साथी' का 'आओ ना गले लगा लो ना'
- 'डॉन' का 'ये मेरा दिल प्यार का दीवाना'
- 'इंतकाम' का 'आ जाने जां'
- और 'शोले' का 'महबूबा ओ महबूबा'
- आया तूफान ( गाना : हम प्यार किये जायेंगे )
- फिल्म जंगली का सुक्कु सुक्कु
- ईनकार फिल्म में मुंगडा मै गुड़ की डली
कितना गिनाऊ अनगिनत गानों पर उनके पॉपुलर डांस है।
हेलेन के ज्यादातर गाने गीता दत्त और आशा भोंसले ने गाए है । उन्हें दो फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिल चुका है। गुमनाम के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए नामित भी की गयी। २००९ में पद्म श्री से सम्मानित हेलेन जी ७०० से ज़्यादा फ़िल्में कर चुकीं है
बिन्दू जी ने भी कई फिल्मों कैबरे नृत्य किया है। उनके द्वारा किया यादगार कैबरे है :
- अनहोनी का "तो हगंमा हो गया"
- कटी पतगं का "मेरा नाम है शबनम, तुम्हरा नाम क्या है"
- प्रीत फिल्म की डोरी रूप है रंग है
उन्होंने करीब १६० फिल्मों में काम किया और ७ फिल्म फेयेर अवार्ड भी जीते.
- दिलवर दिल से प्यारे और चढ़ती जवानी उनके सबसे लोकप्रिय नृत्यों में से है.
- बॉबी में किया नृत्य ऐ फंसा भी हिट गाना था
उन्होंने करीब ५०० हिंदी, मराठी, कन्नड़ और गुजरती फिल्मों में काम किया और २ फिल्म फेयेर अवार्ड भी जीते
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फरयाल जी भी कैबर के लिए जानी जाती है । फरयाल ने कई फिल्मों में मुख्य किरदार किया पर ज्वेल थीफ में फरयाल का कैबरे "बैठे है उसके पास" आने के बाद वह टाइप कास्ट हो गयीं और कैबरे के ही रोल मिलने लगे जैसे दो ठग में "ये दुनिया तो है बस पैसे की", नफरत में "लो मेरा प्यार ले लो"
आशा पारीख जी ने भी कई आकर्षक नृत्य किए है जैसे कांटा लग (समाधि), सायोनारा (लव इन टोकियो) जो कैबरे स्टाइल में फिल्माए गए है।
मुमताज़ का फिल्म अपना देश के लिए किए '
दुनियाँ में लोंगों को' एक बेहतरीन कैबरे है। उनके और लोकप्रिय डांस है ब्रह्मचारी का आज कल तेरे मेरे प्यार के चर्चे या फिर हमजोली का टिकटिक टिक मेरा दिल डोले।
परवीन बॉबी जी का नमक हलाल का कैबरे जवानी ज़ानेमन तो सब को याद होगा ही।
जीनत आमान जी पर फिल्माया हरे रामा हरे कृष्णा (फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा) काफी पॉपुलर कैबरे था कुर्बानी फिल्म में लैला ओ लैला और आप जैसा कोई जिसे भी जीनत पर फिल्माया गया काफी लोकप्रिय हुआ था लैला ओ लैला का रीटेक वर्सन फिल्म रईस में सनी लियोनी पर फिल्माया गया।
उषा उत्थुप का फिल्म अरमान का गाना 'रम्भा हो' पर तो कई अभिनेत्रियां प्रेमा नारायण, कल्पना अय्यर कैबरे करती नज़र आई। हरि ओम हरि (फिल्म प्यारा दुश्मन, कल्पना अय्यर) पर किए नृत्य भी पॉपुलर कैबरे है।
फिल्म तीस मार खां में शीला की जवानी
मेरे ब्रदर की दुल्हन में धुनकी धुनकी
रेस में जरा जरा टच मी टच मी और ख्वाब देखे झुठे मुठे
मलाईका अरोड़ा भी ईस नृत्य शैली में निपुण है।
दिल से में ट्रेन की छत पर किया नृत्य और
दबगं सिरीज में किए उनके दो नृत्य इसकी गवाही देती है।
हाल में कई फिल्मों में फिल्म की हिरोईन कैबरे करती दिखी है जैसे
तलाश में करीना कपुर,
हैप्पी न्यू यिअर में दीपीका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा का फिल्म
गुण्डे में किया नृत्य
अस्सलामे ईस्कुम ।
कई कई नृत्यंगनाओ पर फिल्माया कैबरे अभी भी ज़ेहन में आ रहा है और ऐसा लगता है की ये विषय अनन्त है। अत: मै यही खत्म करता हूँ। अगली बार हिन्दी फिल्मों के क्लासिकल नृत्य के बारे में लिखूगा।
तब तक के लिए सायोनारा।