Friday, June 5, 2020

बाल गीत-७


अमिताभ सिन्हा रचित बालगीत
  स्वरचित ककहरा पर आधारित बालगीत प्रस्तुत है। शायद आपको और बच्चों को भी पसंद आये 
२३) प
पानी को हमें बचाना है
पानी का पेड़ लगाना है।
वर्षा का जल बर्बाद न हो।
नालियों में बह कर बस यूँ ही।
छत पर संचित इस जल को।
भूमि गर्भ ले जाना है।
जल-श्रोतों से मिलवाना है।
पानी का पेड़ लगाना है।
पानी थोड़ा भी व्यर्थ न हो।
जल ही जीवन का अर्थ अहो।
सबको यह समझाना है।
पानी को हमें बचाना है।
पानी का पेड़ लगाना है।
HTML5 Icon
HTML5 Icon२४) फ
फलों का राजा तो है आम।
होती कई जातियां इसकी।
सबकी इक अलग पहचान।
बम्बईया पहले आ जाता।
इसका गूदा जैसे जाम।
फिर दक्षिण से आता आम।
बैगनफली है इसका नाम।
लगंडा, मालदह, चौसा, सिन्दूरी।
सुकुल, सिपिया, और दशहरी।
यूपी और बिहार की शान।
रत्नगिरी का हापुस आम।
दुनिया में है इसका नाम।
रुहानी, तोतापुरी, रसालु खाओ।
आंध्र-नाडु के गुण फिर गाओ।
चटनी, अचार, कुच्चा खाओ।
जूस, शेक आइसक्रीम बनाओ।
अब और नहीं मै रुक पाऊंगा।
पहले जाकर खा लू आम।
फिर कहता हूँ कई और नाम।
२५ ) ब
बालू क्या खेलने की चीज़ ?
मुन्नू जब नदी किनारे जाता।
बालू के कई घर वो बनाता।
मंदिर बनता पार्क बनाता।
नदी नाले पहाड़ बनाता।
फिर उनमें झंडा फहराता।
खेल खेल जब मन भर जाता।
तोड़ ताड़ सब घर आ जाता ।
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२६) भ
भेड़िया आया भेड़िया आया।
राजू जोरों से चिल्लाया।
दौड़े सारे लाठी लेकर।
किधर? किधर?
बोल पड़े सब वहां आ कर।
एडी "फिर क्या हुआ नानी?
आगे की तो कहो कहानी"
सांस तो लेने दो, बोली नानी
बोला राजू जीभ चिढ़ा कर।
बुद्धू बनाया बड़ा मज़ा आया
लौटे सब तब गुस्सा हो कर।
राजू हरदम ऐसा ही करता
झूठ बोल सब को दौड़ाता।
लोगों ने फिर किया विचार।
अब न आएंगे चाहे ले पुकार।
एक दिन सच में आया भेड़िया।
राजू घबराया और चिल्लाया।
भेड़िया आया भेड़िया आया।
फिर भागा पर कोई न आया।
दादी.. क्या भेड़िया उसको खा गया?
नहीं तन्ना आगे की सुन ना ।
जान बची तो उसने खाई कसम।
अब न कभी झूठ बोलेंगे हम।
२७) म
माला एक बना दो दादी।
है मेरे गुड़िया की शादी ।
मोती ले कर दौड़ी आदी ।
गिर गई मोती हुई बरबादी ।
बेड के उपर बेड के नीचे।
टेबल उपर पर्दे पीछे ।
एक एक मोती को ढूढ़ा ।
गिना, गिन कर फिर से ढूंढा।
ढूढ़ते ढूढ़ते हो गई शाम।
डब्बे में रख दो मोती।
कल होगा बाकी काम।
पोती की थी आँखे नम ।
रोशनी हो गई थोड़ा कम।
दादी से फिर रहा न गया ।
सुई चुभी पर माला बनाया ।
आँखो में फिर आई चमक।
ध्यान सें चलने का सीखा सबक ।
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