वह सिर्फ 34 वर्ष का था। 'था' कहने में ही जुबान थर्रा रही है। टी वी के कई प्रोग्राम हम देखते है और किसीने यदि यादगार अभिनय किया हो तो उसे उसके कैरेक्टर के नाम से ही जानते है और असली नाम खो सा जाता है; पर टी वी के 'मानव देशमुख'
को हम फिल्मों में आते ही उसके असली नाम 'सुशांत सिंह राजपूत' से जानने लगे। क्योंकि उसने अपने पहली फिल्म 'काई पोेचे' से ही अपने अभिनय की छाप छोड़नी शुरू कर दी थी।
उसने अजीब सारी फिल्में की थी । वे चल गई वो दूसरी बात है।
पीके के छोटे पर महत्वपूर्ण रोल में वह एक पाकिस्तानी युवक बनता है जिससे नायिका प्यार करने लगती है।
किसी फिल्म में वह व्योमकेश बक्षी बन जाता है तो फिल्म केदारनाध में एक मुस्लिम पिट्ठू मंसूर।
फिल्म की सफलता उसके सर नहीं चढ़ी थी और उसने अपने टीवी की सह कलाकार अंकिता लोखण्डे जो उसकी प्रेमिका थी का साथ निभाने का वादा भी किया और कुछ हद तक निभाया भी था। उसके कई फिल्में आई और सभी चली। 'धौनी' को परदे पर उसने जीवंत कर दिया। धौनी के स्कूल के दिनों से ले कर विश्व कप जीतने के सफर तक लगा ही नहीं कि वो अभिनय कर रहा है।
कई बच्चे तो उसे ही असली धौनी मानते है। पीके के छोटे से किरदार में भी उसने लोगों का दिल जीत लिया । हमेशा इमानदारी और मेहनत से काम करने वाले सुशांत का अपना जीवन तब अशांत लगने लगा जब अंकिता लोखण्डे से उसका ब्रेक अप हो गया।
एक सदा मुस्कुराते चेहरे के पीछे क्या दर्द छिपा था यह तो वह खुद ही जानता होगा। पर एक भावुक 'मानव' शायद अकेलेपन या विच्छोह की भेंट चढ़ गया । अब शायद उसकी दो एक फिल्में हम टीवी पर एकाध हफ्ते देख कर श्रद्धांजलि दे दे पर वह भोला मुस्कुराता शर्मीला लड़का अपने छोटे से जीवन मे ही सबके दिल में सदा के लिए बस गया है।
A very tragic loss. He was an idol for the youth. I just hope his young fans don't romantisize this one mistake of his
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