Sunday, June 28, 2020

सेलम -तमिल का अल्पज्ञान और जर्मनी


१९८०-८२ की बात है मेरे नियोक्ता मेकॉन को सेलम स्टील प्लांट में एक स्टेनलेस स्टील मिल स्थापित और कमीशन (erection and commissioning) करना था। और इस काम के लिए मेरी पोस्टिंग रांची से सेलम, तमिलनाडु  हो गयी । सेलम या सालेम वास्तव में एक मध्यम आकार का वाणिज्यिक शहर है। यह सेलम जिला का मुख्यालय भी है । यहाँ आने के बाद जिस बात ने मेरा ध्यान खींचा वह था तीन रोड जक्शनों  के नाम। स्थानीय लोग तीन मुख्य रोड जक्शन को थ्री रोड (मून रोडा) , फोर रोड (नाल रोडा) और फाइव रोड (अन्ज रोडा) जक्शन के नाम से बुलाते थे। आप तो जान ही गए होंगे कि तमिल में ३, ४, ५ को मून, नाल और अन्ज कहते है।
 
5 रोड ज० भविष्य में 
5 रोड ज०

यहाँ उस समय दो अच्छे होटल थे। नेशनल जो फोर रोड जक्शन के पास था और श्री गोकुलम जो फाइव रोड या अन्ज रोड जक्शन के पास था। हम होटल श्री गोकुलम में रुकते थे। हमें रोज स्टील प्लान्ट सेलम रेलवे स्टेशन होते हुए जाना पड़ता था और ये होटल  स्टेशन के नजदीक था।  पिछले कई सालों से अब यह एक हॉस्पिटल है।

गोकुलम्

१९८० मेें मेरे पिताजी की बहुत कम उम्र में मृत्यु हो गयी थी, और पूरे परिवार की जिम्मेदारी अब मुझ पर थी । शुरू में मैं सेलम पोस्टिंग से थोड़ा नाखुश था, लेकिन अपने दो सहकर्मियों के साथ मैंने जल्द ही अपने जीवन का आनंद लेना शुरू कर दिया। सेलम प्रवास की कई रोचक घटनाऐं हैं जिसे मैंने अपने विभिन्न ब्लॉगों में शामिल किया है। आदतन जिन भाषाओ का मुझे पाला पड़ता, उसकी लिपि और बोलचाल के कुछ शब्द अंक वैगरह सीख लिया करता था। रसियन, नेपाली, जर्मन, बंगाली और तमिल कुछ ऐसी ही भाषाए हैं। बंगाली तो अच्छी तरह पढ़ बोल लेता हूँ पर अन्य भाषाओ का ज्ञान प्रारम्भिक ही है। अपने सहकर्मी Sri   TV Vaidyanathan और Sri CND Nair से मेरी अच्छी निभने लगी थी । हम लोग प्लांट से १० बजे रात तक होटल लौटते थे। हमारा डिनर रूम में ही रखा होता क्योंकि तब तक होटल का रेस्टोरेंट बंद होने का समय हो जाता। खाना खा कर हम प्राय: हर दिन एक नाईट शो फ़िल्म जिसका समय ११ बजे से १ बजे तक का होता था,  ज़रूर देखते। तमिल,  मलयालम, अंग्रेजी और कभी कभी हिन्दी फिल्म भी। जिस दिन फिल्म का प्रोग्राम नहीं होता उस दिन मिलिट्री होटल में नॉन वेज खाने जाते। आश्चर्यजनक रूप से इस छोटे (उस समय) शहर में ५५-६० सिनेमा हॉल थे। रात में नाइट शो रात एक बजे को ख़तम होता था उस वक़्त महिलाओं को कांजीवरम साड़ी पहने स्वर्णाभूषणों से लदे फदे हवाई चप्पल में पैदल जाता देखता तो उनकी निडरता पर आश्चर्य होता ।कभी-कभी फ़िल्मों के पोस्टर में अंग्रेज़ी में लिखे फ़िल्मों का नाम तो पढ़ लेते थे पर सिनेमा हॉल का नाम तमिल में ही होता। बस यही कारण था मैंने तमिल लिपि भी सीख ली थी। "30 दिनों में तमिल सीखो" मैंने चेन्नई पहुँचते ही खरीद लिया था।
एक घटना मेरे इसी भाषाई अल्पज्ञान से सम्बंधित है। एक बार हमारे वरिष्ठ सहकर्मी श्री डी.डी. सिन्हा सालेम आये। उस समय मैं अकेला ही था सालेम में। Vaidyanathan या Nair  जो दूभाषिए का काम कर देते थे और जिनके बदौलत हम तमिल, मलयलम फिल्म देेख लेते थेे,  राँची गए हुए थे। एक रविवार हम स्टेशन के पास के सिनेमा हॉल 'रमना' में एक हिन्दी फ़िल्म देखने गए थे। इंटरवल में हम पुरुष शौचालय खोजने लगे। मैंने चैनैई (तब मद्रास) के।  लोकल बसों में लेडीज सीट के ऊपर लिखा देखा था पेनकाल् (பெண்கள்) । सिनेमा हाल में जब मैने एक शौचालय के ऊपर कुछ और ही लिखा देखा तो उसी को पुरुष शौचालय समझ बैठे और हम दोंनो अंदर चले गए। उस दिन पिटते-पिटते बचे। एक बार हम दोनों शहर केे बीचों बीच स्थित वसंत विहार रेस्टुरेंट में गऐ। मैंने अपने तमिल ज्ञान को उपयोग में लाते हुए वेटर से पूछा तैयर बड़ा एरक् (दही बड़ा है?) । वेटर यह सोच कर की मुझे तमिल आती है अपने फ्लो में मेनू आइटम्स तमिल में बोलने लगा? मेरे पल्ले कुछ न पड़ा तो मैंने फिर पूछा तैयर बड़ा एरक् ? वह फिर तमिल में कुछ कह कर चला गया। शायद यह कह रहा होगा कि जो बताया बस वही है, श्री डीडी सिन्हा ने फिर कहाँ अब मेरा  इशारों ( Sign Language) का कमाल देखो। उन्होंने हाथ हिला कर वेटर को बुलाया। वे बोले 'मसाला दोसा' और दो ऊँगली दिखाई और वेटर दो दोसा ले आया। फिर कॉफी भी इसी तरह मंगाई गई।


बाद में १९८३ में ऐसा एक वाकया जर्मनी प्रवास के दौरान का भी हैं। जर्मनी पहुंचते ही लेने आए सहकर्मी के अंग्रेजी में बताए पते को न समझता देख मैंने टैक्सी वाले को अपार्टमेंट का पता जर्मन में बताया था । "सेक्सउन्ड स्वांसीस" (26 को जर्मन में - sechsundzwanzig कहते हैं ) ओबेरबिलकेर अले" और मेरे सहकर्मी मेरे जर्मन ज्ञान से शायद थोड़ा ज्यादा ही प्रभावित हो गए।  रेेेलवे स्टेशन या अन्य जगहों पर पूछ ताछ के लिए मुझे आगे कर दिया जाता। एक बार हम लोग राईन नदी पर क्रूज लेना चाहते थे और पूछ ताछ का काम फिर मुझे सौपा गया। मैंने। जर्मन में पूछा "वास ईस्ट ज़ाइट अब्फार्ट वास ईस्ट उन्ड  प्रेइस" Was ist zeit der abfarhrt und preise ?. बस जहाज छूटने का समय और टिकट का दाम पूछा था और काउंटर वाली लड़की ने लम्बी चौड़ी बात जर्मन में कर दी। फिर पल्ले कुछ नहीं पड़ा और हम बैरंग लौट आये।दूसरा वाकया भी रोचक हैं। एक दिन हम लोगों ने हैम्बर्ग का बस ट्रिप बहुत सस्ते में देखा। सभी को अच्छा लगा और मैने पूरे ग्रुप का टिकट ले लिया। पता में मैंने अपना नाम और 26, ओबरबिलिकर एले,  लिखा। टिकट में बस का समय लिखा था 8.00-CA। जाने के दिन हम लोग सुबह से ही किचन में लग गए और पूरे ग्रुप का रास्ते का खाना पूरी, उबले अंडे, आलू भुजिया बना कर केला के साथ पैक कर बस अड्डे जो हॉप्टबानहॉफ यानी मुख्य रेलवे स्टेशन के पास था समय से पहले  पहुँच गए। बस का इंतज़ार हमने 9 बजे तक किया  फिर निराश लौट आये। जम कर खाना पीना किया।


            २६, ओबरबिलकर अले, डुसेलडॉर्फ 
              बस छुट जाने के बाद पार्टी 

 बाद में पता चला-‘CA’ का मतलब जर्मन में हैं approximately,   करीब करीब इस समय जायेगा। एजेंट ने कहा बस ६ बजे सुबह  चली गई और  पक्का टाइम बताने के लिए आपको चिठ्ठी भेजी  थी। हमारे अपार्टमेंट में फ़ोन नहीं था। मोबाइल तब था नहीं। ऑफिस का फोन न० हमने दिया नहीं। चिठ्ठी के सिवा और कोई चारा ना था। पोस्ट ऑफिस से पता लगाया तो पता चला चूँकि हमारे अपार्टमेंट के लेटर बॉक्स पर मेरे नाम के बजाय हमसे वहाँ पहले ठहरे स्व कुमरेसन का नाम लिखा था अत: डाकिये ने चिठ्ठी लेटर बॉक्स में नहीं डाली । डाकिये ने शहर में किसी और A.K.Sinha को ढ़़ूढा और  चिठ्ठी उनके लेटर बॉक्स में डाल दिया । हमारे देश मेंं तो ऐसी स्थिति मेें डाकिए किसी कुएं में चिठ्ठी फेंक आतेे।
ऐसे भाषाई ज्ञान या  अल्पज्ञान का ज्यादा मौके पर फायदा ही हुआ है। कभी कभी ही दिक्कते हुई है, वह भी अब एक रोचक स्मरण हो कर रह गयी है।
बस सेलम प्रवास की कई और बातें फिर कभी।

Friday, June 19, 2020

बाल गीत-८



अमिताभ सिन्हा रचित बालगीत
  स्वरचित ककहरा पर आधारित बालगीत प्रस्तुत है। शायद आपको और बच्चों को भी पसंद आये 
२८) य
याक देखने पहुंचा कुफ्री सिद्धि दादा-दादी संग।
याक बड़ा था सजा धजा था, देख रह गया दंग।
मान नहीं सकता हूँ मैं कि यह है एक गाय।
इतने सारे बाल है इसके, काया भीमकाय।
दादू ने कहा दादी से, करके कुछ उपाय।
पीते है याक दूध की एक दो कप चाय।
रुकिए पहले ले ले फोटो सिद्धि को
याक के ऊपर देते है चढ़ाय ।
डरते क्यों हो यह हैं बस एक गाय।
कुछ न करेगा इसीको कहते चंवरी गाय ।
डर गया सिद्धि तब छोटा था।
फिर फोटो लिया यूँ ही खिचाय।
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HTML5 Icon२९) र
रसगुल्ले ने धूम मचाई।
कलकत्ते से उड़कर आई ।
केसर पेठा मैनें खाया ।
आगरा से गया है लाया ।
लड्डू खाओ तुम मनेर का ।
यह तो पूरे सवा सेर का।
बालूसाही पकरी बरांवा का।
खाजा नामी है सिलाव का।
मथुरा का ही पेड़ा खाओ।
तिलकुट तो गया का लाओ।

बिकानेरी भुजियॉ, इन्दौरी सेव।
बनारसी रबरी, ब्रिटेनिया केक।
कलकतिया फुचका मैसुरी पाक।
राजस्थानी घेवर और गुलाब पाक।
गुजरात का ढोकला थेपला ।
और बिहार का लिट्टी चोखा ।
सभी चीजे बस खाते जाओ ।
अपना हिंदुस्तान बनाओ ।
३०) ल
लट्टू क्या है कभी नचाया ।
किसीने तुमको है क्या सिखाया ।
लट्टू एक बाजार से लाओ ।
उसमें फिर एक गूंज लगाओ ।
लत्ती फिर लट्टू में लपेटो ।
खींच के उसको फिर बस फेंको ।
लट्टू घूमा जोर से ।
पापा जग गए शोर से।
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३१) व
वर्षा रानी तुम कल आना ।
आएगें जब मेरे नाना।
लाएगें सतरंगी छतरी ।
छतरी ले इठलाऊँगी मैं।
सबको वो दिखलाऊँगी मैं।
कागज के जहाज बना कर।
उस पर एक मस्तूल लगा कर।
पानी में उसे चलाऊंगी मैं।
वर्षा रानी कल तुम आना।
आएगें जब मेरे नाना।

३२ ) श
शहद ले आई।
मधुमक्खी माई।
ले गए उसको चीनी चोर ।
खा गया उसको एक चितचोर ।
रोटी हनी फिर ले कर आई।
ऐडी, उम्मी की स्नेही माई ।
तन्नु मुंह देखती रह गई।
शहद खा गया बड़का भाई।
चोर पकड़ने पुलिस भी आई।
शहद खा गया बुआ का भाई।
पुलिस किसीको फिर पकड़ न पाई।
मधुमक्खी माई।
फिर शहद ले आई।
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HTML5 Icon३३ ) स
सर्दी आई सर्दी आई।
सब सोएं अब ओढ़ रजाई।
सुबह हो गई जागा न कोई।
चाय बन गई चाय बन गई।
चाय बना मम्मी चिल्लाई।
सब फिर जल्दी से उठ बैठे।
फेंक अपनी अपनी रजाई।

३४) ष
षटकोण के है छ: कोण।
डायमण्ड है यह रहो न मौन ।
होते है छ: हाथ बराबर।
और छ: बराबर कोण।
बन सकता है क्या इसमें छ: समबाहू त्रिकोण?
केन्द्र को कोनो से मिलाओ,बन गए छ: त्रिकोण।
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HTML5 Icon३५) ह
हाथी ने था सूढ़ उठाया।
शहनाई था उसने बजाया।
थी उसके बिटिया की शादी।
आने वाले थे बाराती।
सारा जंगल उमड़ पड़ा था।
चींटी भी आई शर्माती।
शेर राजा भी तब आया।
आकर उसने हाथ बढाया।
पर करोना का डर था छाया।
हाथ जोड़ सब खड़े हो गये।
नहीं किसीने हाथ मिलाया।
तभी एक मानव  आया ।
बंदर मामा ने तब फरमाया।
जानवर तुम मत बन जाओ।
हाथी को ऐसे न सताओ।
करते वे विश्वास जो तुम पर।
विस्फोटक तो नहीं खिलाओ।
मानव बोला शर्मिंदा है हम।
यहीं बताने आए है हम ।
फलों का सौगात है लाए।
विस्फोटक नहीं है इसमें डाला।
आओ मिलकर इसको खाए।

Monday, June 15, 2020

सुशांत सिंह राजपूत एक निवापांजलि

वह सिर्फ 34 वर्ष का था। 'था' कहने में ही जुबान थर्रा रही है। टी वी के कई प्रोग्राम हम देखते है और किसीने यदि यादगार अभिनय किया हो तो उसे उसके कैरेक्टर के नाम से ही जानते है और असली नाम खो सा जाता है; पर टी वी के 'मानव देशमुख'

को हम फिल्मों में आते ही उसके असली नाम 'सुशांत सिंह राजपूत' से जानने लगे। क्योंकि उसने अपने पहली फिल्म 'काई पोेचे' से ही अपने अभिनय की छाप छोड़नी शुरू कर दी थी। 
उसने अजीब सारी फिल्में की थी । वे चल गई वो दूसरी बात है।
पीके के छोटे पर महत्वपूर्ण रोल में वह एक पाकिस्तानी युवक बनता है जिससे नायिका प्यार करने लगती है।
किसी फिल्म में वह व्योमकेश बक्षी बन जाता है तो फिल्म केदारनाध में एक मुस्लिम पिट्ठू मंसूर।

फिल्म की सफलता उसके सर नहीं चढ़ी थी और उसने अपने टीवी की सह कलाकार अंकिता लोखण्डे जो उसकी प्रेमिका थी का साथ निभाने का वादा भी किया और कुछ हद तक निभाया भी था। उसके कई फिल्में आई और सभी चली। 'धौनी' को परदे पर उसने जीवंत कर दिया। धौनी के स्कूल के दिनों से ले कर विश्व कप जीतने के सफर तक लगा ही नहीं कि वो अभिनय कर रहा है। 

कई बच्चे तो उसे ही असली धौनी मानते है। पीके के छोटे से किरदार में भी उसने लोगों का दिल जीत लिया । हमेशा इमानदारी और मेहनत से काम करने वाले सुशांत का अपना जीवन तब अशांत लगने लगा जब अंकिता लोखण्डे से उसका ब्रेक अप हो गया।

एक सदा मुस्कुराते चेहरे के पीछे क्या दर्द छिपा था यह तो वह खुद ही जानता होगा। पर एक भावुक 'मानव' शायद अकेलेपन या विच्छोह की भेंट चढ़ गया । अब शायद उसकी दो एक फिल्में हम टीवी पर एकाध हफ्ते देख कर श्रद्धांजलि दे दे पर वह भोला मुस्कुराता शर्मीला लड़का अपने छोटे से जीवन मे ही सबके दिल में सदा के लिए बस गया है।

Friday, June 5, 2020

बाल गीत-७


अमिताभ सिन्हा रचित बालगीत
  स्वरचित ककहरा पर आधारित बालगीत प्रस्तुत है। शायद आपको और बच्चों को भी पसंद आये 
२३) प
पानी को हमें बचाना है
पानी का पेड़ लगाना है।
वर्षा का जल बर्बाद न हो।
नालियों में बह कर बस यूँ ही।
छत पर संचित इस जल को।
भूमि गर्भ ले जाना है।
जल-श्रोतों से मिलवाना है।
पानी का पेड़ लगाना है।
पानी थोड़ा भी व्यर्थ न हो।
जल ही जीवन का अर्थ अहो।
सबको यह समझाना है।
पानी को हमें बचाना है।
पानी का पेड़ लगाना है।
HTML5 Icon
HTML5 Icon२४) फ
फलों का राजा तो है आम।
होती कई जातियां इसकी।
सबकी इक अलग पहचान।
बम्बईया पहले आ जाता।
इसका गूदा जैसे जाम।
फिर दक्षिण से आता आम।
बैगनफली है इसका नाम।
लगंडा, मालदह, चौसा, सिन्दूरी।
सुकुल, सिपिया, और दशहरी।
यूपी और बिहार की शान।
रत्नगिरी का हापुस आम।
दुनिया में है इसका नाम।
रुहानी, तोतापुरी, रसालु खाओ।
आंध्र-नाडु के गुण फिर गाओ।
चटनी, अचार, कुच्चा खाओ।
जूस, शेक आइसक्रीम बनाओ।
अब और नहीं मै रुक पाऊंगा।
पहले जाकर खा लू आम।
फिर कहता हूँ कई और नाम।
२५ ) ब
बालू क्या खेलने की चीज़ ?
मुन्नू जब नदी किनारे जाता।
बालू के कई घर वो बनाता।
मंदिर बनता पार्क बनाता।
नदी नाले पहाड़ बनाता।
फिर उनमें झंडा फहराता।
खेल खेल जब मन भर जाता।
तोड़ ताड़ सब घर आ जाता ।
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२६) भ
भेड़िया आया भेड़िया आया।
राजू जोरों से चिल्लाया।
दौड़े सारे लाठी लेकर।
किधर? किधर?
बोल पड़े सब वहां आ कर।
एडी "फिर क्या हुआ नानी?
आगे की तो कहो कहानी"
सांस तो लेने दो, बोली नानी
बोला राजू जीभ चिढ़ा कर।
बुद्धू बनाया बड़ा मज़ा आया
लौटे सब तब गुस्सा हो कर।
राजू हरदम ऐसा ही करता
झूठ बोल सब को दौड़ाता।
लोगों ने फिर किया विचार।
अब न आएंगे चाहे ले पुकार।
एक दिन सच में आया भेड़िया।
राजू घबराया और चिल्लाया।
भेड़िया आया भेड़िया आया।
फिर भागा पर कोई न आया।
दादी.. क्या भेड़िया उसको खा गया?
नहीं तन्ना आगे की सुन ना ।
जान बची तो उसने खाई कसम।
अब न कभी झूठ बोलेंगे हम।
२७) म
माला एक बना दो दादी।
है मेरे गुड़िया की शादी ।
मोती ले कर दौड़ी आदी ।
गिर गई मोती हुई बरबादी ।
बेड के उपर बेड के नीचे।
टेबल उपर पर्दे पीछे ।
एक एक मोती को ढूढ़ा ।
गिना, गिन कर फिर से ढूंढा।
ढूढ़ते ढूढ़ते हो गई शाम।
डब्बे में रख दो मोती।
कल होगा बाकी काम।
पोती की थी आँखे नम ।
रोशनी हो गई थोड़ा कम।
दादी से फिर रहा न गया ।
सुई चुभी पर माला बनाया ।
आँखो में फिर आई चमक।
ध्यान सें चलने का सीखा सबक ।
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Thursday, June 4, 2020

बाल गीत-६


अमिताभ सिन्हा रचित बालगीत
  स्वरचित ककहरा पर आधारित बालगीत प्रस्तुत है। शायद आपको और बच्चों को भी पसंद आये 
१८) त
ताला लटका दरवाजे पर ।
करता इंतजार ।
कब आएंगे पापा मम्मी ।
गए है बाजार ।
लल्ला लल्ली बाहर खेले।
डर लगता रह जो गए अकेले।
जानें वो सब कब आएंगे।
हम को अंदर लटकाएंगे।
देखेगें टीवी सुनेंगे गाने ।
मेरा दिल भी बहलायेंगे ।
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HTML5 Icon१९) थ
थाली बजी, बजी घंटिया सबने बजाई ताली।
करोना से जंग छिड़ी है दुनिया लड़े लड़ाई।
दुनिया लड़े लड़ाई, कि नहीं यू बाहर जाना ।
जाना गर पड़ जाय तो अपना मास्क लगाना ।
बच्चे बूढ़े रहें घरों में  बाहर जाना सख्त मना है ।
चेहरा भी अपना मत छूना ऐसा करना सख्त मना है।
लिफ्ट बटन छूना तीली बारबार हाथों को धोना।
सारी बातें सब जो मानें तब  भागे यूं मुआं करोना।
२०) द
दाल मसूर चावल मसूरी।
दोनों में जब हुई दोस्ती।
घट गई उनकी दूरी।
हांड़ी चढ़ी गैस पर।
डाला उसमे पानी ।
दोनों कूदे उसके अंदर।
तैरे अपने मन भर।
तैर तैर थक गए जब दोनों।
निकले खिचड़ी बन कर ।
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२१) ध
धान रोपती है महिलाएं ।
गाती है यह गाना।
वर्षा रानी अभी तो रुक जा।
शाम को फिर तुम आना।
हमें बहुत सा धान रोपना।
फिर मिले सबको खाना।
सब खेतो में पानी भर दे।
है बहुत धान उपजाना।
चिड़िया रानी अभी तो उड़ जा।
धान पके तब आना।

२२) न
नभ में होते अगणित तारे।
टिम टिम करते प्यारे प्यारे।
चंदा मामा भी है नभ पर।
चम चम करते घटते बढ़ते।
नीला नीला आसमान है।
पर सूर्योदय होता लाल है।
दूरबीन तुम एक ले आओ ।
दूर दूर के ग्रह दिखलाओ ।
होते कितने नभ पे तारे ।
तट पे जितने बालू कण है।
झट से कह दो उतने सारे ।
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Tuesday, June 2, 2020

Ellora the greatest experiment on rocks


Here is an English translation of my blog on Ellora Caves
In 2012, we  planned only to go on a pilgrimage to Nashik and Shirdi, but as always happened to me, when the itinerary of travel was being worked out, I was taken over by my desire to roam around and see nearby places. My younger brother-in-law Mr Kamlesh Prasad was our guide for Shirdi pilgrimage and he was to return via Pune. Aurangabad fitted well into his pre-planned itinerary, so we decided to visit Ajanta ( see my earlier blog) & Ellora caves. From Shirdi we went to Aurangabad by bus and for two days the SUV was booked. The first stop was the Ellora Caves after the consecration of Ghrishneshwar Jyotirlinga.

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Ghrishneshwar Jyotirlinga. Views on wayBiwi ka makbara

While Ajanta is famous for its paintings, Ellora is famous for its own unique rock sculptures - calling it "the greatest experiment on rocks" would not be an exaggeration. The caves here are like an art gallery : the walls, floors, roofs are all adorned with rock sculptures. Ellora also has many paintings but they are not in good condition. Ellora is a UNESCO World Heritage site and the largest monastery cave group in the world. It is located at a distance of 30 km from Aurangabad. We first went north to the cave group no 21-34. Cave 29-21 was close to the parking lot. All the caves are built by cutting the steep rocky stones. The cave no 30–34 are Jain caves. Cave nos 13-29 are Hindu caves and the remaining 1-12 are Buddhist caves (towards south side). The caves were built in 600-1000 BC. The most famous cave is Cave No 16 which is also known as Kailash Temple. Between 757-783 AD, Rashtrakuta king Krishna-I built this cave temple by carving the stone from top to bottom. That is, the pinnacle of the temple was built first and then the rest of the temple was carved fron top to down. Ellora cave groups also has a small Kailash and an Indra Sabha. Apart from these, there are also 25-30 small caves like Ganesh Leni and Jogeshwari caves which we could not visit.
At first we stopped in the parking lot near the 29th cave and after seeing all the caves nearby, went towards the 32nd cave and saw the Jain caves. Finally we went towards cave no 16 (Kailash) and saw cave no 16 to 1. Some caves were being repaired and we had to be contented by looking at them from outside. There was also a tea & snacks shop near the parking lot and we purchased some light snacks, water and tea . First let's talk about Jain caves. Five Jain caves at Ellora date back to the 9th and 10th centuries. They all belong to the Digambara sect. Jain caves reveal distinct dimensions of Jain philosophy and tradition. These caves depict a strict meaning of 'tapa' - they are not relatively large compared to others, but they present exceptionally elaborate art works.The most important Jain temples are Chhota Kailash (cave 30), Indra Sabha (cave 32) and Jagannath Sabha (cave 33). Cave 31 is an unfinished four-pillared hall / temple. Cave 34 is a small cave, which can be entered from the left side of Cave 33.


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Cave 32-34Cave 32Cave 33
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Cave 33Cave 34Cave 32
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Cave 30- Cave 34-AmbikaCave 32


Hindu caves are 13 to 29. These caves were built between the seventh to the ninth centuries. In terms of creativity and construction skills, these caves are incomparable. Cave Nos 14, 15, 16, 21 and 29 are more famous among these caves.Cave No 13 is a simple cave, which was probably a grain store, while Cave No 14 was a Buddhist vihara which was converted into a temple dedicated to Shiva sometimes in the 7th century. Cave 15 is also known as Dasavatar (the ten incarnations of Vishnu) cave. Cave 16, is one of the finest temples of Ellora. In the three-storey temple, one Shiva emerges from Nataraja and one from Shiva Lingam, while Vishnu and Brahma pay homage. Caves 17 to 20 and Caves No. 22 to 28 are simple temple caves. Cave No 21, popularly known as Rameshwar Cave, has interesting interpretations of familiar Shaiva scenes depicted in earlier temples. The figure of Goddess Ganga standing on Makara (mythical sea creature) is particularly notable. Big Cave No. 29 i.e. Dumar Leena, is considered one of the simple caves and Kailash is one of the fully developed temples.

Cave 29. Ravana Cave 29.Shiva playing Cave 29. 
rocking Kailash ChoupadKalyansundermurti 
Killing of Andhakasur Path way Cave29-21Cave 21 - Rameshwaram

Entry to Cave 16Cave 16-KailashCave-14


Caves 1 to 12 are Buddhist caves. Cave 6 is considered to be the oldest cave, followed by Cave 5, Caves 2, 3, 4 and then Caves 11 and 12. Caves 11 and 12 are three storeys and the latest excavation at the Buddhist complex at Ellora. Ellora was an important center of Tantric (Vajrayana) Buddhism. We do not find any concrete evidence of the existence of Hinayana in Ellora. Yes, Mahayana caves are here.


Cave 9Cave 10Cave 10 Chaitya
Cave 11Cave 12Cave 2
Cave 1-9Cave 2 Cave 2


Some random photos are given below


गुफा 16गुफा 16गुफा 21
गुफा 32गुफा 10हमारे 8 में से 6 सदस्य
अमृत मंथनगुफा 33गुफा 21

Keep watching this blog for more of my travel exploits.