Friday, May 15, 2020

बाल गीत - २

अमिताभ सिन्हा रचित बालगीत
पिछले बार मैंने अपनी स्मृति से कुछ बाल गीत प्रस्तुत किये थे । फिर मैंने सोचा  क्यों न खुद भी बालगीत लिखने का प्रयत्न किया जाय । मेरे नाती, पोते और पोती  के साथ ने काफी प्रेरित किया अतः स्वरचित बालगीत प्रस्तुत है। शायद आपको और बच्चों को भी पसंद आये ।




१) 
दादी की है सखी सहेली।
पापा की हैं आधी अम्माँ।।
रोज़ बुझाती हमें पहेली।
मेरी तो है नानी अम्माँ ।।
प्यारी लोरी गानेवाली।
कहे कहानी मेरी अम्माँ।।

२)
है मेरी गुड़िया की शादी ।
हलवा पूरी बरफी खाओ।।
नहीं किसी बुढ़िया की शादी ।
नाचो गाओ और नचाओ।।


३)
रसगुल्ला तो सबको भाता।
दादी खाती है नमकीन ।।
गुलाब जाम पर लट्टू भैया ।
मै तो कुल्फी का शौकीन ।।
४)
जलेबी गोल गोल।
मुंह में देती मिस्री घोल।।
बर्फी बनती है चौकोर ।
मुन्ना खाता इसको तोड़।।
रस में डूबा है रसगुल्ला।
सब खाते बिन हल्लागुल्ला ।।
५)
गेहूं पिसे चना पिसे और पिसे मक्की।
आंटा बने बेसन बने थक जाती है चक्की।।
बेसन से बने पकौड़े आंटे से बने रोटी।
ठेकुआ, हलुआ खाकर मुन्नी होगी मोटी।।


1 comment:

  1. बहुत सुंदर,रोचक,पठनीय!

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