मौका मिलते ही कहीं घूम आने की चाहत और फितरत बहुत सी जगहों का सैर करा देती है। कुछ ऐसा ही मौका था 2017 में । जब हम भांजे अनिमेष के सगाई के कार्यक्रम में भाग लेने चैनैई गए हुए थे। वहाँ से बैंगलूरू होते हुए राँची जाने का प्लान था और बैंगलूरू से राँची की ट्रेन साप्ताहिक थी । इस विधि बौंगलूरू में 2-3 दिनों का Stop over मिल रहा था। बस फिर क्या था हमने अपने भांजे अमृतेष से मैंगालूरू में मिलने का प्रोग्राम बना लिया रास्ता कुर्ग हो कर था और अमृतेष के माता पिता भी साथ थे। मेरा पुत्र सोमिल और प्रपौत्र सिद्धान्त भी बैंगालूरू तक साथ थे। होटल और टैक्सी ओंन लाईन बुक राँची से चलने से पहले ही कर लिया गया था। 20 फरवरी को एक दो जगहें चैनैई में भी घूम लिया गया। रात में हम ट्रेन से बैंगलूरू के लिए निकल पड़े।
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A beach at Chennai |
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Crocodile park Chennai |
बैंगलूरू
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Cubbon Park |
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Viswasraiyya Tech. Museum |
Lal Bagh |
Vidhan Sauda |
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Govt. Aquarium |
Lal Bagh |
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कोट वेंकटस्वामी मंदिर
कुर्ग के रास्ते में
22 फरवरी को हम कुशाल नगर में बौद्ध मठ और कावेरी का उदगम स्थल निसर्ग धाम होते हुए मेडिकेरे के लिए रवाना हो गए और सीधे राजा का सीट, राजा का कोर्ट और ओंकारेश्वर मंदिर होते हुए रात तक होटल पहुंचे। पहले हालेरी वंश (कलादि नायक) कुर्ग के राजा थे । 1834 में ब्रिटिश ने अपना शासन कुर्ग पर स्थापित कर लिया । आजादी के बाद 1956 तक मैसूर राज्य में विलय तक कुर्ग अलग राज्य था।
कुशाल नगर , निसर्ग धाम और मेडिकेरे
नैमड्रोलिंग बौद्ध मठ |
बौद्ध मठ |
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बौद्ध मठ |
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निसर्ग धाम |
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बौद्ध मठ |
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निसर्ग धाम |
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निसर्ग धाम |
निसर्ग धाम |
राजा का सीट |
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राजा का कोर्ट |
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ओंकारेश्वर मंदिर |
दुवारे हाथी कैम्प |
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ओंकारेश्वर मंदिर |
आबे फॉल |
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आबे फॉल के रास्ते में |
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राजा का सीट |
23 फरवरी को हम मैंगलूरू के लिए सुबह ही निकल लिए और दिन भर घुमने के बाद शाम को मेडिकेरे लौट आए। मैंगलूरू में हमनें समुद्र के किनारे कुछ समय बिताने के बाद एक आकर्षक मन्दिर और कुछ और जगहें भी देख आए। 24 फरवरी को हम मेडिकेरे से सुबह सुबह निकल पड़े और आबे फॉल और दुबारे एलीफैंट कैंप होते हुए शाम तक बंगलुरु लौट आए और ट्रेन से रांची के लिए रवाना हो गए ।
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गोकर्णनाथेश्वर मंदिर |
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गोकर्णनाथेश्वर मंदिर |
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गोकर्णनाथेश्वर मंदिर |
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पनाम्बुर बीच |
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पनाम्बुर बीच |
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पनाम्बुर बीच |
- कुद्रोली श्री गोकर्णेश्वर मन्दिर विल्वा समुदाय के मुखिया के द्वारा 1912 में बनवाया एक आकर्षक मन्दिर है और मैंगालूरू का एक महत्वपुर्ण आकर्षण हैं। पनाम्बूर बीच में कई टूरिस्ट गतिविधियाँ होती है। हम लोग मंगलादेवी मंदिर भी गए।
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