अमिताभ सिन्हा रचित बालगीत
स्वरचित ककहरा पर आधारित बालगीत प्रस्तुत है। शायद आपको और बच्चों को भी पसंद आये ।
१४) ट टॉमी था एक छोटा कुत्ता उजले लम्बे बालों वाला आँखो पे आ जाते बाल देख न पाता था बेहाल गरमी से परेशान वो कुत्ता जीभ निकाले हांफा करता क्यो न इसके बाल काट ले ऊन बना ले स्वेटर बुन ले ऐसा हमने बस सोचा था भूंक रहा है तब से टॉमी क्या हमको वो मना कर रहा? या उसकी हम माने हामी? | |
१५) ठ ठेले से होता है मेला। या होता मेले में ठेला। बिकता आलू प्याज है इस पर । आम पपीता अमरुद केला । आईस क्रीम भी बिकता इसपर । मैंगो चोको और भेनीला । कुल्फी लस्सी बरफ का गोला। खेल खिलौने का वो ठेला । कॉपी पेन्सिल और किताबे। गंजी टोपी और ज़ुराबे। मम्मी है फुचका शौकीन । रोको ! मम्मी उधर जा रही जहां बिके चाट ओ नमकीन। क्यों न हम भी चल कर ले ले तीन चार कप आईसक्रीम। | |
१६) ड डब्बे के अन्दर इक डब्बा उसके अन्दर दूजा डब्बा डब्बे के अन्दर कुछ रख दो रखते क्यो डब्बे में डब्बा एक में चीनी एक में कॉफी एक में बिस्किट एक में टॉफी किसी में बेसन किसी में आटा पतला पोहा चावल मोटा गरम मसाला हल्दी राई नमक, मिर्च भी रख दो भाई सब में कुछ कुछ रखते जाओ फिर सब में परची चिपकाओ एक एक कर रखो सजाओ सुन्दर सा भण्डार बनाओ | |
१७) ढ ढाई माने कितना होता है कितना होता है भई ढाई मुझको तो कुछ याद नहीं क्या तुमको कुछ याद है भाई ? एडी "नाना ने था मुझे बताया" सीद्धी "दादी ने था मुझको" लेकिन हम अब भूल गए है फिर कौन बताए हमको उम्मी "पांच का आधा होता ढाई दो और आधा भी है ढाई" लो अब तो ये समझ आ गया अब कर लेते बाकी पढ़ाई |
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