Friday, June 19, 2020

बाल गीत-८



अमिताभ सिन्हा रचित बालगीत
  स्वरचित ककहरा पर आधारित बालगीत प्रस्तुत है। शायद आपको और बच्चों को भी पसंद आये 
२८) य
याक देखने पहुंचा कुफ्री सिद्धि दादा-दादी संग।
याक बड़ा था सजा धजा था, देख रह गया दंग।
मान नहीं सकता हूँ मैं कि यह है एक गाय।
इतने सारे बाल है इसके, काया भीमकाय।
दादू ने कहा दादी से, करके कुछ उपाय।
पीते है याक दूध की एक दो कप चाय।
रुकिए पहले ले ले फोटो सिद्धि को
याक के ऊपर देते है चढ़ाय ।
डरते क्यों हो यह हैं बस एक गाय।
कुछ न करेगा इसीको कहते चंवरी गाय ।
डर गया सिद्धि तब छोटा था।
फिर फोटो लिया यूँ ही खिचाय।
HTML5 Icon
HTML5 Icon२९) र
रसगुल्ले ने धूम मचाई।
कलकत्ते से उड़कर आई ।
केसर पेठा मैनें खाया ।
आगरा से गया है लाया ।
लड्डू खाओ तुम मनेर का ।
यह तो पूरे सवा सेर का।
बालूसाही पकरी बरांवा का।
खाजा नामी है सिलाव का।
मथुरा का ही पेड़ा खाओ।
तिलकुट तो गया का लाओ।

बिकानेरी भुजियॉ, इन्दौरी सेव।
बनारसी रबरी, ब्रिटेनिया केक।
कलकतिया फुचका मैसुरी पाक।
राजस्थानी घेवर और गुलाब पाक।
गुजरात का ढोकला थेपला ।
और बिहार का लिट्टी चोखा ।
सभी चीजे बस खाते जाओ ।
अपना हिंदुस्तान बनाओ ।
३०) ल
लट्टू क्या है कभी नचाया ।
किसीने तुमको है क्या सिखाया ।
लट्टू एक बाजार से लाओ ।
उसमें फिर एक गूंज लगाओ ।
लत्ती फिर लट्टू में लपेटो ।
खींच के उसको फिर बस फेंको ।
लट्टू घूमा जोर से ।
पापा जग गए शोर से।
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३१) व
वर्षा रानी तुम कल आना ।
आएगें जब मेरे नाना।
लाएगें सतरंगी छतरी ।
छतरी ले इठलाऊँगी मैं।
सबको वो दिखलाऊँगी मैं।
कागज के जहाज बना कर।
उस पर एक मस्तूल लगा कर।
पानी में उसे चलाऊंगी मैं।
वर्षा रानी कल तुम आना।
आएगें जब मेरे नाना।

३२ ) श
शहद ले आई।
मधुमक्खी माई।
ले गए उसको चीनी चोर ।
खा गया उसको एक चितचोर ।
रोटी हनी फिर ले कर आई।
ऐडी, उम्मी की स्नेही माई ।
तन्नु मुंह देखती रह गई।
शहद खा गया बड़का भाई।
चोर पकड़ने पुलिस भी आई।
शहद खा गया बुआ का भाई।
पुलिस किसीको फिर पकड़ न पाई।
मधुमक्खी माई।
फिर शहद ले आई।
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HTML5 Icon३३ ) स
सर्दी आई सर्दी आई।
सब सोएं अब ओढ़ रजाई।
सुबह हो गई जागा न कोई।
चाय बन गई चाय बन गई।
चाय बना मम्मी चिल्लाई।
सब फिर जल्दी से उठ बैठे।
फेंक अपनी अपनी रजाई।

३४) ष
षटकोण के है छ: कोण।
डायमण्ड है यह रहो न मौन ।
होते है छ: हाथ बराबर।
और छ: बराबर कोण।
बन सकता है क्या इसमें छ: समबाहू त्रिकोण?
केन्द्र को कोनो से मिलाओ,बन गए छ: त्रिकोण।
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HTML5 Icon३५) ह
हाथी ने था सूढ़ उठाया।
शहनाई था उसने बजाया।
थी उसके बिटिया की शादी।
आने वाले थे बाराती।
सारा जंगल उमड़ पड़ा था।
चींटी भी आई शर्माती।
शेर राजा भी तब आया।
आकर उसने हाथ बढाया।
पर करोना का डर था छाया।
हाथ जोड़ सब खड़े हो गये।
नहीं किसीने हाथ मिलाया।
तभी एक मानव  आया ।
बंदर मामा ने तब फरमाया।
जानवर तुम मत बन जाओ।
हाथी को ऐसे न सताओ।
करते वे विश्वास जो तुम पर।
विस्फोटक तो नहीं खिलाओ।
मानव बोला शर्मिंदा है हम।
यहीं बताने आए है हम ।
फलों का सौगात है लाए।
विस्फोटक नहीं है इसमें डाला।
आओ मिलकर इसको खाए।

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