Thursday, June 4, 2020

बाल गीत-६


अमिताभ सिन्हा रचित बालगीत
  स्वरचित ककहरा पर आधारित बालगीत प्रस्तुत है। शायद आपको और बच्चों को भी पसंद आये 
१८) त
ताला लटका दरवाजे पर ।
करता इंतजार ।
कब आएंगे पापा मम्मी ।
गए है बाजार ।
लल्ला लल्ली बाहर खेले।
डर लगता रह जो गए अकेले।
जानें वो सब कब आएंगे।
हम को अंदर लटकाएंगे।
देखेगें टीवी सुनेंगे गाने ।
मेरा दिल भी बहलायेंगे ।
HTML5 Icon
HTML5 Icon१९) थ
थाली बजी, बजी घंटिया सबने बजाई ताली।
करोना से जंग छिड़ी है दुनिया लड़े लड़ाई।
दुनिया लड़े लड़ाई, कि नहीं यू बाहर जाना ।
जाना गर पड़ जाय तो अपना मास्क लगाना ।
बच्चे बूढ़े रहें घरों में  बाहर जाना सख्त मना है ।
चेहरा भी अपना मत छूना ऐसा करना सख्त मना है।
लिफ्ट बटन छूना तीली बारबार हाथों को धोना।
सारी बातें सब जो मानें तब  भागे यूं मुआं करोना।
२०) द
दाल मसूर चावल मसूरी।
दोनों में जब हुई दोस्ती।
घट गई उनकी दूरी।
हांड़ी चढ़ी गैस पर।
डाला उसमे पानी ।
दोनों कूदे उसके अंदर।
तैरे अपने मन भर।
तैर तैर थक गए जब दोनों।
निकले खिचड़ी बन कर ।
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२१) ध
धान रोपती है महिलाएं ।
गाती है यह गाना।
वर्षा रानी अभी तो रुक जा।
शाम को फिर तुम आना।
हमें बहुत सा धान रोपना।
फिर मिले सबको खाना।
सब खेतो में पानी भर दे।
है बहुत धान उपजाना।
चिड़िया रानी अभी तो उड़ जा।
धान पके तब आना।

२२) न
नभ में होते अगणित तारे।
टिम टिम करते प्यारे प्यारे।
चंदा मामा भी है नभ पर।
चम चम करते घटते बढ़ते।
नीला नीला आसमान है।
पर सूर्योदय होता लाल है।
दूरबीन तुम एक ले आओ ।
दूर दूर के ग्रह दिखलाओ ।
होते कितने नभ पे तारे ।
तट पे जितने बालू कण है।
झट से कह दो उतने सारे ।
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