Saturday, February 17, 2024

राम चरित मानस में दोहा, चौपाई , सोरठा और छंद

अभी मैं राम चरित मानस पर ब्लॉग की एक श्रंखला लिख रहा हूँ तो मेरी भी कई जिज्ञासाएं उत्त्पन्न हो रही है। तुलसी दास कृत रामायण में है दोहा, चौपाई , सोरठा और छंद। ये क्या है और इनमे क्या अंतर है। मैं अपने ब्लॉग में इन्हे अलग अलग नहीं रख पा रहा हूँ और अपनी मेहनत बचाने और आसानी के लिए इनका मिश्रण भी कर दे रहा हूँ । क्योंकि इन ब्लॉगों में मेरा उद्देश्य सिर्फ राम कथा के उन क्षणों को प्रस्तुत करना है जिसमे भावुकता है। इस लघु ब्लॉग में मैं अपनी ही जिज्ञासा शांत करने की कोशिश कर रहा हूँ। मैंने जो भी खोज पाया उसे लिख रहा हूँ , यदि कुछ गलत लिखा तो कमेंट में बताएं।

दोह क्या है ?

इसमें दो लाइन होती है और चार चरण होते है। पहले और तीसरे चरण में १३-१३ और दूसरे और चौथे चरण में ११-११ मात्राएँ होती। है मात्रा गिनने के लिए दीर्घ स्वर के दो और ह्रस्व स्वर की एक मात्रा होती है। मात्रा को गिनते है किसी कविता , पद्य या काव्य को सुर ताल में गाने लायक बनाने के लिए। जैसे फ़िल्मी गीत को मीटर में लिखा जाता है। यानि दोहा के हर लाइन की ११+१३ = २४ मात्रा।
मात्रा कैसे गिने ? उदाहरण में बाल कांड की ये दोहा जो राम लक्ष्मण का गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुर के उद्यान में प्रवास का है
अ, इ, उ की मात्राएँ लघु (।) मानी गयी हैं । =१ मात्रा , आ, ई, ऊ ,ए ,ऐ ओ और औ की मात्राएँ दीर्घ (S) मानी गयी है। = २ मात्रा
क से लेकर ज्ञ तक व्यंजनों को लघु मानते हुए इनकी मात्रा एक (।) मानी गयी है।अनुस्वार (.) तथा स्वरहीन व्यंजन अर्थात आधे व्यंजन की आधी मात्रा मानी जाती है।

उठे लखनु निसि बिगत सुनि। अरुनसिखा धुनि कान।।
1S1111111111=१३ -----------1111S11S1 =११
गुर तें पहिलेहिं जगतपति। जागे रामु सुजान।।
11S11S11111 =१३------- SSS11S1 =११
यानि पहला और तीसरी भाग में १३-१३ और दूसरे और चौथे भाग में ११-११ मात्राएँ है।

चौपाई क्या है ?

चौपाई में चार चरण होते है और चारो १६-१६ मात्राएँ की होती पर अंत में S11 या 11S या गुरु लघु (S1 ) मात्रा वाले शब्द नहीं होने चाहिए। उदाहरण में राम वन गमन से एक चौपाई :-

राम लखन सिय रूप निहारी।
S1-111-11-S1-1SS= 16
कहहिं सप्रेम ग्राम नर नारी॥
ते पितु मातु कहहु सखि कैसे।
जिन्ह पठए बन बालक ऐसे॥

सोरठा
दोहा के विषम चरणों में १३ और सम चरणों में ११ मात्रा होती है इसके उलट सोरठा एक अर्ध सम मैट्रिक छंद है इसके विषम चरणों में ११ और सम चरणों में १३ मात्रा होती है।
सुनत सुमंगल बैन। मन प्रमोद तन पुलक भर।।
111 --11111 --S1 =११ 11 -SS1 -11 - 111 -11 =१३
सरद सरोरुह नैन। तुलसी भरे सनेह जल।।

छंद क्या है ?
यूँ तो मात्राओं के बंधन से बंधे हर काव्य छंद है और इसलिए दोहा , चौपाई और सोरठा भी छंद ही है।
रामचरित मानस में छन्दो की संख्या 208 है जिसमें से 139 हरिगीतिका छन्द है । यह छन्द गाने में अत्यन्त मनोहर है । इसमें चार चरण होते है । इसमें चार चरण होते है । प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ होती है । प्रत्येक सातवीं मात्रा के बाद दीर्घ आता है । उदाहरण में सुन्दरकाण्ड का एक छंद

बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं।
11S1--1111--S1S--11--S1--SS---S1S =28

नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥
कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं।
नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं॥

अब नीचे लिखे छंदों के प्रकार बताईए । चौपाई, दोहा या सोरठा ? उत्तर नीचे दिया है।

1)
का बरषा सब कृषी सुखानें।
समय चुकें पुनि का पछितानें॥
अस जियँ जानि जानकी देखी।
प्रभु पुलके लखि प्रीति बिसेषी॥

2)
तुलसी इस संसार में ।
भांति भांति के लोग।।
सबसे हसकर बोलिये ।
नदी नावं संजोग।।

3)
चित्रकूट के घाट पर ।
भइँ संतान की भीर ।।
तुलसी दास चन्दन रगड़े ।
तिलक करे रघुवीर।।

4)
तुलसी मीठे वचन ते ।
सुख उपजत चहु और।।
बसीकरन एक मंत्र है ।
परिहरु वचन कठोर।।

5)
दया धर्म का मूल है ।
पाप मूल अभिमान।।
तुलसी दया न छाड़ियें।
जब लग घट में प्राण।।

6)
जो सुमिरत सिधि होइ , गन नायक करिबर बदन।
करउ अनुग्रह सोइ, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।।
मूक होई वाचाल, पंगु चढ़ई गिरिवर गहन।
जासु कृपा सो दयाल, द्रवहु सकल कलिमल-दहन।।

कुछ और विषय को लेकर या राम वन गमन के अगले भाग के ब्लॉग के साथ फिर हाज़िर होऊंगा।

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