चेरापुंजी -गोहाटी - बोमडिला 21-22 अप्रैल 2018
अहोम मेमोरियल - असम , लिविंग रूट ब्रिज -मेघालय, दिरांग थुपसिंग दार्घे मोनास्ट्री-अरूणांचल
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गतांक से आगे..
चेरापुंजी में मुसलाधार बारिश
चेरापुंजी के JMS Retreat में डिनर के बाद क्या अच्छी नींद आई। गहरी नींद में थे कि बारिश के थपेड़ो की आवाज आने लगी। चेरापुंजी में है -यह तो होना ही था सोच कर फिर से सोने की कोशिश
कर रहा था कि कुछ बूंदे रोशनदान से अंदर आने लगी। उठ कर कुछ जुगाड़ कर रोशनदान अच्छी तरह बंद कर लेट गया। ऐसे मुसलाधार बारिश को ही अंग्रेजी में Raining Cats and dogs कहते होंगे। लगा नहीं रूकेगी ये बारिश। सुबह नींद टूटी तो सोचा चाय मंगाऊ। बाहर आया तो रिसार्ट में मैनेजर वेटर कोई नहीं दिखा। इन छोटे रिसार्ट के मालिक दिन भर मैनेजर की कुर्सी संभालते है शाम को कैश लेकर सुबह चेक आउट होने वाले अतिथियों के बिल बनाकर घर चले जाते हैं और जिनके भरोसे होटल छोड़ जाते हैं वे किसी ऐसे कमरे में या किसी कोने में दुबक कर सो जाते हैं कि आवश्यकता होने पर ढ़ूंढे नहीं मिलते।
चेरापुंजी में घना कोहरा, संतोष बाबु सुबह-सुबह तैयार, JMS का बोर्ड
हम चाय वाले को ढ़ूढंते, उसके पहले हमें मेरे बहनोई संतोष बाबु मिल गए। नहा कर तैयार। पता चला रौशनदान बंद नहीं कर पाए और बिस्तर पर ही पानी आने के कारण दोनों व्यक्ति सो भी नहीं पाए। सामान भींग गया सो अलग। बारिश तो रुक गई थी पर बाहर बहुत ही घना कोहरा छाया था। 10-15 फीट दूर के पेड़ पौधे भी दिखाई नहीं दे रहा था। खैर एक - दो घंटे में सभी चाय पी कर तैयार हो गए। करीब 40 km दूर फाल तक जाने का प्लान था और हमारे दो अति उत्साही सदस्य तो डबल डेकर रूट ब्रिज भी जाना चाहते थे। ऐसे मौसम में नहीं जा सकते ऐसा हमें पता था फिर भी ड्राइवर से पूछ ही लिया। उसने कहा जा तो सकते है पर कुछ देख नहीं पाएंगे और slippery रास्ते और घने कोहरे में कुछ हुआ तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे। अब किसकी हिम्मत। यहां से सेवन सिस्टर्स फाल या डबल डेकर रूट ब्रिज जा सकते है सबने इस बात को भुलने में ही खैर समझा। मेघालय में कुत्ते street dog नहीं दिखे। Beef भी रास्ते में बिकते दिख जाते थे।
आज ही कामाख्या मंदिर जाना था इसलिए हम तुरंत बिना नाश्ते का इंतजार किए निकल पड़े। मै आगे पैसेंजर सीट पर बैठा। कोहरा इतना कि रास्ता बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रहा था। मेरी नजर जहां रास्ता होने की उम्मीद थी इस तरह टिकी थी। मानों मेरी नजर हटी और दुर्घटना घटी।
ड्राइवर पता नहीं किस सुपर पावर के सहारे गाड़ी चला रहा था। फिर तेज बारिश शुरु हो गई और गाड़ी की गति कम हो गई। आगे हम एक जगह जब बारिश कम हुई रुक गए और नाश्ता किया और चाय पी कर चल पड़े। शिलांग को क्रोस कर गोहाटी दोपहर तक पहुंच गए।
चेरापुंजी और शिलांग के बीच के स्टाप
कामाख्या दर्शन
समय कम था हम सीधे कामाख्या मंदिर चले गए। वी आई पी दर्शन के टिकट काउंटर पर लाईन लगा कर बैठ गए। जब तय समय बीतने के घंटे भर बाद तक काउंटर नहीं खुला तो हम दूसरे काउंटर पर गए इस तरह करते कराते हम टिकट लेने में कामयाब हो गए और करीब एक घंटे में दर्शन कर फारिग हो गए। मंदिर में माता की पिंडी जिस स्थान पर है वहां घुप अंधेरा था। सिर्फ एक दिया टिमटिमा रहा था। वहां कहां पैर रखना है पता नहीं चल रहा था।
कामाख्या मंदिर के बाहर, मंदिर प्रांगण में, कामाख्या पहाड़ी से दृश्य
मंदिर से निकल कर खोजते हुए रिवर व्यू गेस्ट हाउस पहुंच गए जहां हमारा बुकिंग थी। एकदम ब्रह्मपुत्र के किनारे। रिवर साईड का सिर्फ दो रुम मिला जिसमें एक ग्राउंड फ्लोर पर था जहां से ब्रह्मपुत्र का किनारा भी नहीं दिखाई दे रहा था। आज हमें शम्मी और किशोर जी के यहां जाना था डिनर के लिए। हमारे साले के साली और साढ़ू भाई से मिलना जरूरी था क्योंकि इन्होंने हमें कीमती सलाह suggestion दिया था ट्रेवल एजेंट श्री सैकिया से भी मिलाया था। सैकिया की बिटिया शम्मी के स्कूल में पढ़ती जो थी। हमारा ड्राइवर घर चला गया इसलिए हम दो ओला कर शाम को चल पड़े।
पुजा के बाद विश्राम, भव्य मंदिर, सुर्यास्त मंदिर से
हमारा पारम्परिक असमिया स्वागत
थोड़ी खराब कीचड़ भरे रास्ते होते हुए हम पहुंच गए उनके फ्लैट में। खूबसूरत फ्लैट था। हम उनके द्वारा किए असमिया पारंपरिक स्वागत से भाव विभोर हो गए। सभी को खादा और झापी पहना कर स्वागत किया गया। चाय, स्टार्टर, डिनर और स्वीट डिश गजब था। छोटी आलू जो मटर के जैसा दिख रहा था हमने कभी खाया न था। रात में वापस लौटते समय ओला बुक करने पर ड्राइवर आता न था बस हर बार कैंसल कर रहा था या पहुंच नहीं पा रहा था। हम direction भी बता नहीं पा रहे थे। खैर जब किशोर जी ने direction बताया तब कैब आई और हम अपने GH लौट पाए।
शम्मी के घर पर खादा झापी से भव्य स्वागत
अगले दिन हमें सुबह सुबह अरूणाचल के लिए निकलना था। हम सो गए। सुबह सामने एक पार्क दिखा और थोड़ी दूर पर एक जेट्टी थी जहां से उमानंद द्वीप जा सकते थे पर समय था नहीं अपने पास। वापसी के लिए हमने इसी गेस्ट हाउस को बुक कर लिया। थोड़ी देर बाद नाश्ता कर हम निकल पड़े। अहोम स्मारक और भुपेन हजारिका चौक के बाद एक प्रसिद्ध दुकान पर रसगुल्ले खाने के लिए हम रुके फिर आगे चल पड़े।
हमारे गेस्ट हाउस के सामने का दृश्य
अरुणांचल चले हम
हम तेजपुर -भालूपोंग हो कर नहीं जा रहे थे जैसा पहले सोच रखे थे। हम सिपाझार मंगलदोई होकर जा रहे थे। ड्राइवर आने जाने वाले से कौन सा रास्ता बंद है या जिस पर काम चल रहा है इसकी खबर ले रहे थे। हम थोड़ी देर बाद खरूपेटिया पहुंचे जहां चौक पर शिवलिंग shape के एक मंदिर था। हम थोड़ी देर यहां रूके चाय के लिए । बाद में एक जगह भैरबकुंड का बोर्ड दिखा । इसका जिक्र अगले ब्लॉग में फिर आएगा।
खरूपेटिया का मंदिर,टेढ़े मेढ़े रास्ते और मंज़िल अपनी दूर
हमारे मोबाइल का समय आगे दिखाने लगा। गजब तो तब हुआ जब दीपा का कुछ पैसा कटने का मैसेज भी आ गया। दर असल हमारा मोबाइल भुटान का मोबाइल सिग्नल पकड़ रहा था और दीपा ने कुछ इंटरनेट डाटा खर्च किया होगा जिसका चार्ज एयरटेल के एकाउंट से लग गया। थोड़ी दूर बाद एक रूपा नामक शहर मिला जो अरूणाचल में है। एक बहुत खूबसूरत मोंनास्ट्री भी था यहां।
Ex Armyman's रेस्तरां, रास्ते में मिला एक झरना
आगे पहाड़ी रास्ता शूरु हो गया। हरियाली, नदी, पहाड़ और झरने के मनमोहक दृश्यों में हम खो गए ठंड भी बढ़ गई। एक अंत्यंत खूबसूरत मोनास्ट्री दिखी ओर हमने रूक कर फोटो लिया। एक Ex Armyman के रेस्तरां में रूक कर हमने चाउमिन खाया चाय पी और आगे चल पड़े।
ग्युटो मोनास्ट्री तेनजिंगगांव, बोमडिला होम स्टे से एक दृश्य
ताशी होमस्टे में ताशी परिवार की मेहमाननवाज़ी
आज 9-10 घंटे का ड्राइव था। खैर प्रकृति और मौसम का आनंद लेते हम बोमडिला पहुंच गए। 8000 फीट पर बसे इस शहर में बहुत ठंड थी और हमें Airbnb से बुक किया अपना Tashi होम स्टे ढ़ूढना था। सर्किट हाउस से थोड़ी दूर था यह! रात के सात बज गए थे। होम स्टे के मालिक झीरिंग ताशी दिरखोपिया जी my dear आदमी थे पर Air bnb से किया पहला बुकिंग हमारा था। क्योंकि मैंने पूरा पेमेंट airbnb को किया था ताशी जी चिंतिंत थे कि उन्हें कब पैसे मिलेंगे। मैंने उनका विश्वास यह कह के जीता कि अगले दो दिन में Air bnb से confirmation नहीं आई तो मैं फिर से पेमेंट कर दूंगा। इस होम स्टे का हमारा अनुभव हमेशा यादगार रहेगा।
होम स्टे मालिक के आंगन में सभी के साथ चाय, लोअर गोंपा (बोमडिला बजार के पास)
लगा ही नहीं हम घर से बाहर किसी अनजान शहर में किसी अनजान व्यक्ति के घर में है। किचन में घुस कर क्या बन रहा है देखते चाय भी पी हमने। उनके portion के आंगन में उन दोनों के साथ पी गई सुबह की चाय यादगार रहेगा। ताशी जी एक रिटायर्ड सिविल इंजीनियर थे और उनका पुत्र किसी दूसरे शहर में काम करता था और उनका पहले तल्ले का पोर्सन जिसमें तीन रूम था हमारे उपयोग में था। सुबह हम जब उठ कर बालकोनी नुमा टेरेश पर आए तो ठंडी हवा सीधे शरीर में चुभ रहा था फिर भी नजारे तो गजब के थे।
हिम्मते गर्ल दा - मददे खुदा, ताशी होम स्टे के बालकनी से खींची गई एक फोटो
जाने कितने फोटो खींचे। पता नहीं चला यहां upper gompa, middle gompa और lower gompa के नाम से तीन मोनास्ट्री थे। हम कार से दो गोंपा गए । चढा़ई थी। लोअर गोंपा बाजार के पास था और हम वहां दूसरे दिन दोपहर के बाद गए। अगले दिन धीरांग गए, मोनास्ट्री गए और जहां गए अगले ब्लॉग में।
क्रमशः
Babut acha deshatan.barnan bhi jankari purn hai. shubh lamnao k sath didi
ReplyDeleteThank you , Didi .. Utsah Vardhan ke liye .
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