अरुणांचल में , ग्रुप गाड़ी के अंदर, भुटान में
भाग 2 के लिए यहां क्लिक करें
17-19 अप्रैल 2018
मेरी घुमक्कड़ी के लिए 2018 एक बेहतरीन साल था। पटना और उत्तर पुर्व की यात्रा से शुरू हुआ ये वर्ष रजरप्पा-हजारीबाग, अंगराबारी, मधुबनी- उच्चैट- कपिलेश्वर, जमुई और आसपास, शिर्डी सप्तश्रृंगी के बाद उदयपुर -कुंभलगढ़ की यात्रा से समाप्त हुआ और फिर शुरू हुआ कोरोना के वे तीन वर्ष।
सप्तश्रृंगी , उदयपुर और जमुई यात्रा पर मैं पहले लिख चुका हूं। आज प्रस्तुत है उत्तर पुर्व की यात्रा पर एक ब्लॉग।
पाटलिपुत्र ज० और गौहाटी स्टेशन
२०१८ का शायद मार्च महीना था जब मेरे सबसे छोटे बहनोई कमलेश जी ने पूछा "भैया शिलॉन्ग चलिएगा ?" मै अकचका सा गया और बोल पड़ा "क्यों ?" दिमाग में आया ही नहीं कि वे पूर्वोत्तर घूमने का प्लान बना रहे है। पर उनका जवाब आया एक शादी में आमंत्रण है और आपलोग भी आमंत्रित है। उनके मित्र के पुत्री की शादी थी शिलांग में । हमलोग पहले भी अपने भांजी के सहेली की शादी में केरल जा चुके थे जब मुन्नार घूमने का मौका मिला था। बेगानी शादी में भी रहने खाने का इंतेज़ाम स्वयं कर लेने से कोई अपराध बोध नहीं होता इसलिए मैं ये प्रस्ताव ठुकरा न सका और तो और मैं अपनी दूसरी छोटी बहन और बहनोई संतोष जी को भी ट्रिप में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर लिया। तीन युगलों का यानि छह लोग का एक ग्रुप बन गया जो एक SUV के लिए आदर्श समूह का आकार था। कमलेश जी ने बताया कि उन्होंने RETURN हवाई टिकट ले लिया है और सिर्फ पांच दिन थे हमारे पास । मैं यात्रा कार्यक्रम बनाने में जुट गया ।
Seven Sisters, Tripura, Asam
मैं पहले कुछ आवश्यक जानकारी जुटाने में लग गया। क्योंकि हम सबसे पहले गुवाहाटी जाने वाले थे तो कामख्या मंदिर, उमानंद द्वीप और ब्रह्मपुत्र नद के बारे में पता था पर क्षेत्र के बारे में और जानकारी इकठ्ठा करने लगे। कालेज में दो मणिपुरी लड़के सहपाठी थे तो पता था लोग मंगोलियन प्रजाति के भी होंगे और बौद्ध या ईसाई भो होंगे। पूर्वोत्तर भारत का सबसे पूर्वी क्षेत्र है। इसमें आठ राज्य शामिल हैं- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा जिन्हे आमतौर पर "सात बहनों" के रूप में जाना जाता है), और सिक्किम बनता है आठवां राज्य या इन सात बहनो का भाई। पूर्वोत्तर भारत के ये राज्य चीन , नेपाल , भूटान , म्यांमार और बंगलादेश से साथ सीमा भी शेयर करतीं हैं।
भारत की सारी नदियों को स्त्री या माता रूप में माना पूजा जाता है। गंगा माता , माँ नर्मदा इत्यादि। ब्रह्मपुत्र को इससे इतर एक नद या पुरुष माना जाता हैं। ब्रह्मपुत्र तीन देशो में बहने वाला नद है जो दक्षिण-पश्चिमी चीन, पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है। ब्रह्मपुत्र कैलाश मानसरोवर से निकलती है। इसे असमिया में ब्रह्मपुत्र या लुइत, तिब्बती में यारलुंग त्संगपो, अरुणाचली में सियांग/दिहांग नदी और बंगालादेश में जमुना नदी के नाम से जाना जाता है। अपने आप में, यह प्रवाह के हिसाब से दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी नदी है, और 15वीं सबसे लंबी नदी है। स्रोत से समुद्र तक के हिसाब से यह भारत की सबसे लम्बी नदी हैं ।
काजिरंगा में गैंडा, डोरा सादिया या भुपेन हाजारिका सेतु जहां हम नहीं गए(curtsey Wikipedia)
इस क्षेत्र के कई रूप है। बर्फीली चोटियां, खूबसूरत झरने, तैरते टापू वाला झील, सबसे ज्यादा बारिश वाली जगहे, सबसे बड़ा नदी स्थित द्वीप माजुली है यहां। काई तरह के जंगली जानवर जैसे एक सींग वाले गैंडे ! और कई अभरण्य भी हैं यहाँ। रॉयल बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, हूलॉक गिब्बन, नाचने वाला हिरण, असमिया बन्दर , रीसस बन्दर, स्टंप-टेल्ड मकाक, नेवला, भारतीय विशाल गिलहरी, तेंदुआ, लाल पांडा,जंगली भैंसे , मिथुन, और चीनी पैंगोलिन और कई अन्य जानवर हैं इन क्षेत्र के जंगलों में बसते हैं। कई मंदिर भी हैं यहाँ। फिर जगह जगह का खाना। मैं इस उधेर बिन में था कि पांच देने में क्या देखे और क्या छोड़े ?
ब्रह्मपुत्र शाम के वक्त, ब्रह्मपुत्र के उस पार
हम लोगों ने निश्चय किया कि वाइल्डलाइफ नहीं देखेंगे क्योंकि इसमें ही दो से तीन दिन लग जाते। हमने मंदिर और प्राकृतिक दृश्यों पर ध्यान केंद्रित करने लगे । गुवाहटी के सिवा असम का कोई और शहर नहीं जा पाएंगे अतः कामख्या , उमानंद , भुबनेश्वरी देवी के अलावा ब्रह्मपुत्र के किनारे स्थित कुछ और मंदिर देखना और असम का मछली भात खाने के अलावा यहाँ हमें एक रिश्तेदार के यहाँ भी जाना था। दो दिन गुवाहाटी , दो दिन मेघालय के अलावा आधा दिन था हमारे पास। मै अरुणांचल प्रदेश भी ट्रिप में शामिल करना चाहता था। बहुत कहने पर कमलेश जी एक दिन RETURN फ्लाइट स्थगित करने पर राजी हो गए । कुछ मेहनत कर मैंने एक ITINERARY बना डाला।
भुपेन हजारिका स्मारक, उजन बजार फेरी घाट, उमानंद द्वीप
17 अप्रैल को हम नए बने पाटलिपुत्र स्टेशन पहुंचे दस बजे रात की ट्रेन थी। नए स्टेशन जाने के लिए अभी कोई साधन नहीं मिल रहा था पर आखिर एक औटो वाला राजी हो गया और हम राजीवनगर से पाटलिपुत्र स्टेशन जा पहुंचे।
18 अप्रैल के शाम तक हम चार लोग गौहाटी पहुंच गए। मैंने रिटायरिंग रूम बुक कर रखा था ओर क्योंकि अगले दिन कमलेश जी और दीपा चैन्नई से फ्लाइट से आने वाले थे मैंने उनके नाम से भी ट्रेन का टिकट लेकर रिटायरिंग रूम बुक कर रखा था। उपर तल्ले पर पर रिटायरिंग रूम था इसलिए स्टेशन की चिल्ल पों से महफूज था और हम आराम से सो पाऐ । गोहाटी स्टेशन ऐसा पहला स्टेशन है जो १००% सोलर पावर पर निर्भर है। ता अगले दिन सुबह हमने उमानंद जाने का प्रोग्राम बनाया। यह मंदिर एक टापू पर है और ब्रह्मपुत्र के किनारे से स्टीमर से जाना पड़ता था। जेट्टी के पास दो खूबसूरत मंदिर में गए। एक का नाम था शुक्रेश्वर महादेव मंदिर।
शुक्रेश्वर महादेव मंदिर, दोल गोविंद मंदिर
अगले दिन सभी के साथ फिर आए थे यहां। हम एक फेरी की टिकट लेकर बैठ गए। क्या पता था ये फेरी ब्रह्मपुत्र के उसपार ले जाएगी। हम तो समझे उमानंद ही पहुंचे है और मंदिर की खोज में निकल पड़े। चलते चलते हम एक विष्णु मंदिर पहुंचे हमे पता चल चुका था कि गलत जगह आ गए हैं। हम उसी मंदिर में रुक गए। मंदिर का नाम असमिया में लिखा था दोल गोविंद मंदिर। बहुत ही सुन्दर मंदिर और सात्विक भावना पुर्ण दर्शन हुए। गाढ़े दूध में बना खीर प्रसाद बड़े चाव से हमने ग्रहण किए और घूमती बकरी को भी खिलाया। लौटते बहुत शाम हो गई और अंतिम फेरी जा चुकी थी। बामुश्किल एक प्राईवेट फेरी से हम गोहाटी लौट पाए। कमलेश जी लोग भी आ चुके थे और हम स्टेशन के दूसरी और मछली भात का डिनर करने निकल पड़े। पर होनी को कौन टाल सका है मेरी बहन चित्रा एक तार से फंस कर गिर पड़ी और फिर पूरे ट्रिप लंगड़ाती रही। डिनर बहुत स्वादिष्ट था।
जिवा वेज रेस्तरां, उमियम लेक, डॉन बोस्को म्युजिअम
हमने पूरे ट्रिप के लिए एक टाटा सुमो बुक कर रखा था। और अगले दिन शुक्रेश्वर मंदिर दुबारा देखते शिलौंग के लिए निकल पड़े। आश्चर्य हुआ की इस हाईवे पर के एक तरफ असम और दूसरी ओर मेघालय था। हम रास्ते में ड्राइवर के सुझाए जिवा वेज रेस्तरां में नाश्ता करते हुए शिलांग के ओर निकल पड़े। नाश्ता लजीज था और सर्विस भी अच्छी थी। उमियम लेक (जो असल में एक डैम है) देखने के बाद हम पहुंच गए डान बोस्को म्युजियम। डान बास्को एक इसाई preacher थे । उन्होंने उत्तर पुर्व के परंपरा , कला संस्कृति का गहन अध्ययन किया और बनाया एक अनूठा संग्राहालय। डॉन बॉस्को संग्रहालय में उत्तर-पूर्व संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान के दृश्य है , क्षेत्र की असंख्य जनजातियों के रूपांकनों, कलाकृतियों और चित्रणों के विशाल संग्रह है और है शिलांग के शानदार दृश्य।
अभी इतना ही। गोहाटी हम दो बार और आने वाले थे इस ट्रिप में और फिर और बताएंगे गोहाटी के बारे में। और बताएंगे किस ट्रेवल एजेंट से गाड़ी ली, होटल का क्या किया, अरूणांचल का परमिट कैसे बनाया, और भी काम की बातें। अगले ब्लॉग में मेघालय का भ्रमण गाथा।
क्रमशः
No comments:
Post a Comment