कामाख्या मंदिर- आसाम, चर्च- मेघालय, बौद्ध विहार, -अरूणाचल
गतांग से आगे - 19th and 20th April 2018
भाग -1 के लिए यहां क्लिक करें
पिछले भाग में वादा किया था कि कैसे iteniary बनी कैसे ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की और होटल बुकिंग कैसे किया। इस ब्लॉग में मैं उसकी चर्चा करूंगा।
History of Shillong
हमारे शिलोंग होम स्टे के पास था यह स्प्रेड ईगल फाल्स (इंटरनेट फोटो टूरिज्म ऑफ़ इंडिया के सौजन्य से सधन्यवाद)
और गारो युगल (wiki)
पहले पहल हम लोगों ने कहां कहां जाना है या जा सकते उसे चुना। और गुगल मैप से यात्रा समय का अंदाजा लगाया। टूर आपरेटरों के पास कोई टूर पैकेज हर राज्य का 6 से 9 दिन से कम का नहीं था। और महगें भी। हम तीन। राज्य घूमना चाहते थे यानि 20 दिन और कम खर्च के लिए तो सारा इंतज़ाम खुद करना पड़ सकता है। अब जगह जगह
ट्रांसपोर्ट करना मुश्किल होता हमारे पास थे सिर्फ छ: दिन। मैंने तीन राज्यों के लिए 2-2 दिन बांट दिए और बना लिया एक असंभव सी itinerary । और कई टूर आपरेटर से सिर्फ ट्रांसपोर्ट के लिए संपर्क साधा।
info@koyalitravels.in ने 6 लोगों के लिए इनोवा या टेम्पो ट्रेवलर का प्रस्ताव भेजा ₹ 40,000/- और 73,000/-का। अब 2018 में यह ज्यादा था और गाड़ी भी हमारी जरूरत से बड़ी थी, उस पर उन्हें कुछ रूट को भी असंभव बताया और मना कर दिया। और सामान गाड़ी के छत पर रखने की मनाही भी थी। फिर मैंने aprup@myvoyage.co.in के आपरूप सैकिया से संपर्क साधा। कई मेल भेजे और और फिर बनी हमारी final iteniary कुछ अपनी की, कुछ उनकी मानी। ट्रांसपोर्ट के लिए टाटा सुमो गोल्ड के लिए उन्होंने मांगा ₹ 32,000/- और हमने एडवांस के तौर पर ₹ 5000/- ट्रांसफर कर दिए। अरूणांचल के inner line permit के लिए सबके आधार और पैसे भी भेज दिए। Booking.com और airbnb पर चार जगहों पर accommodation भी बुक कर लिए।सब सेट होने पर हम निकल पड़े थे तीन जगहों से।
अर्ल होलीडे होम शादी में आने वाले मेहमानो का होटल, शिलांग होलीडे होम हमारा होटल और हॉलिडे होम के छत पर से दृश्य
पिछले भाग में मैंने बताया कि गोहाटी पहुंचने पर हमलोग रिटायरिंग रूम में रूके थे और कुछ जगहें घुम कर हम शिलांग पहुंच गए थे। अब आगे।
शिलांग के पहले डॉन बोस्को म्युजियम का टिकट लेने में कुछ देर-दिक्कत हुई पर हम हर फ्लोर पर घूमें किसी किसी फ्लोर पर भीड़ थी और रूकना भी पड़ा। सबसे उपर पांचवें तल्ले से शिलांग शहर का दृश्य अत्यंत मनभावन था। हमारा बुकिंग शिलांग होलीडे होम में था और जिस शादी में जा रहे थे वह था अर्ल होलीडे होम में। ड्राइवर पूरे रास्ते बता रहा था कि उसे हमारे होटल का location पता है। हम भी निश्चितं थे पर वह हमें शादी वाले होटल में ले आया। फिर हमें गुगल ने बहुत घुमाया। होटल किसी स्प्रेड इगल फाल के पास था पर हम उसके इर्द-गिर्द घूमते रहे।
शादी का कार्यक्रम स्थल , डॉन बोस्को संग्रहालय के पांचवे तल्ले से शिलांग का दृश्य
फिर किसी तरह लोगों से पूछ पाछ कर हम पहुंचे। नया होटल था और इस नाम से मिलते जुलते कई होम स्टे भी मिले। होटल का approach में एक मोड़ के बाद अचानक डराने वाली तीखी ढ़लाई आई जो कुछ ओवर हैंग के साथ कंक्रीट से ढ़ाल कर बनाई गई थी। ड्राइवर ने जिस तरह गाड़ी चलाई हम उसके expertise का लोहा मानने से अपने को रोक न सके। होटल साफ सुथरा और आरामदेह था। खाना नाश्ता आर्डर देने पर बना देते थे।
शाम को तैयार होकर हम शादी में शरीक होने निकल पड़े। आखिर हमलोंग यहां आए इसी मकसद के लिए थे। सजावट खाने का इंतजाम बहुत उम्दा था, हम बस लिफाफा देने का इंतजार करने लगे। खाना हमने पहले ही खा लिया था। हमें न यहां कोई जानता था न ही हमें भाषा समझ आ रही थी।
हम शादी में शामिल हो कर देर रात तक आ गए और बहुत देर तक आपस में बातें करते रहे। स्प्रेड ईगल फाल का कलकल झरझर ध्वनि लगातार आ रहा था पर अगले दिन बहुत कोशिश कर भी हम फाल देख नहीं पाए।
सुबह नहा-धोकर चाय नाश्ता कर और चेक आउट कर हम निकल पड़े। लिविंग ब्रिज के लिए। सबसे पहले हम लोरेटो के पास एक चर्च देखा फिर वार्ड्स लेक, लेडी हैदरी पार्क पहुंचे। एक छोटा जू भी था यहां।
वार्ड्स लेक, लेडी हैदरी पार्क के बाहर
करीब दो घंटे यहां रुकने के बाद हम चल पड़े एलिफेंट फाल की ओर। खासी हिल काउंसिल होते हम झरने तक पहुंच गए। एलीफेंट फाल एक तीन चरणों में गिरने वाले फाल है। झरने का मूल खासी नाम का क्शैद लाई पातेंग खोहसिव है। लेकिन अंग्रेजों ने हाथी के शक्ल वाले एक पत्थर के कारण झरने का नाम रख दिया एलिफेंट फाल। काफी समय लगा झरने के तीनों चरण को देखने में क्यों कि कमलेश बाबु को तीनों चरण देखे बिना चैन नहीं था।
एलीफैंट फॉल के पास नोटिस बोर्ड, फॉल का पहला चरण, एलीफेंट फाल मार्केट
एक छोटा बाजार सा लगा था एलीफैंट फॉल के पास और हम चाय पीने से अपने को रोक न पाए। कई लोग खासी ड्रेस में फोटो खींचा रहे थे , हमारे पास समय नहीं थे इन सबों के लिए और हम आगे बढ़ गए।
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मेघालय में कई जगहें है जहां पर्यटक जाते है और यू tube वाले हर रोज नई नई जगह दिखा भी देते है। जब मैं यात्रा कार्यक्रम बना रहा थे तब कई जगहों के बारे में पता भी था जैसे बैम्बू ब्रिज ट्रेक , डबल डेकर लिविंग रुट ब्रिज , सेवन सिस्टर्स फॉल। हमने कुछ जगहों का कार्यक्रम ही नहीं बनाया और कुछ जगह जा नहीं पाए। इनके विषय में मैं अगले भाग में लिखूंगा ।
इसके बाद हम इसी दिन Living root bridge, मावल्यान्नॉंग, और दावकी भी गए पर वह कहानी अगले भाग में।
Good travel story. It is very useful for new travelers. I too, shall take your advice in future.
ReplyDeleteधन्यवाद, आभार
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