Tuesday, December 31, 2024

हमारी उत्तर पुर्व की यात्रा भाग-3 (2018) #yatra


कामाख्या मंदिर- आसम, चर्च- मेघालय, बौद्ध विहार, -अरूणाचल

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गतांग से आगे - 20th and 21st April 2018
मेघालय यानि बादलों का घर। मेघालय पहाड़ों, जंगलों, झरनों और नदियों का भी घर है। मेघालय की एक और विशेषता जो हाल के दिनों में youtube video देख कर जान पाया वह है कि मेघालय विश्व की कुछ सबसे लम्बी और जटिल गुफा प्रणालियों का घर है - पश्चिम से पूर्व तक, यहां कई भूमिगत सुरंगें और स्थान हैं जो प्राचीन जीवाश्मों ( जिसमें मोसासोरस डायनासोर का जीवाश्म भी शामिल है) से चिह्नित हैं और दुर्लभ प्रजातियों का घर हैं। गुगल करने पर पता चला कि दुनिया की सबसे लंबी गुफा यहीं है। नाम है Krem Liat Prah-Umim-Labit या क्रेमपुरी जो करीब 32 km लंबी है। इसकी खोज हुई थी 2016 में। मेघालय में 1650 गुफा समुह है। एक प्रसिद्ध canyon जिसमें झरने है नदी है और नाव भी चलती है उसे भी कोरोना काल में ही खोजा गया था। नाम है वारी-छोरा जो गारो हिल्स में है। जैसा मैंने पिछले भाग में मैंने वादा किय था कि बताऊंगा मेघालय के कई प्रसिद्ध जगह हम क्यों नहीं जा पाए। बताता हूं बताता हूं।

जगहे जहां हम नहीं गए, १.वारी-छोरा २.सेवन सिस्टर फाल ३. डबल लिविंग रूट ब्रिज (Wikipedia)

कई प्रसिद्ध जगहें जैसे गुफाएं और canyon 2018 में खास प्रसिद्ध नहीं थे जैसा मैंने उपर बताया, और अगर प्रसिद्ध होते भी और हमारे समय भी होता तो जैसा कठिन रास्ता/trek youtube में दिखाते हैं हम सिनियर कहां जा पाते। डबल डेकर रूट ब्रिज के लिए भी कई km का ट्रेक और 3500 सिढ़ीया है चेरापुंजी से। इसलिए चेरापुंजी (सोहरा) जाकर भी हम यहां नहीं गए और यदि हिम्मत जुटा भी लेते तो चेरापुंजी में जो असली वाली बारिश हो गई कहां जाने देती। बारिश ही कारण बना seven sister फाल नहीं जाने का। इनके सिवा हम सभी प्रसिद्ध जगहें गए और उसका वर्णन आगे है।

खासी हिल काउंसिल, एलिफेंट फाल की सीढ़ियां,

पिछले भाग में हम पहुंचे थे एलीफेंट फाल। वहां से हम पहुंचे रिवाई गांव। एक फुटबॉल ग्राउंड के पास गाड़ी पार्क कर ड्राइवर हमे लिविंग रूट ब्रिज - single वाला का रास्ता दिखा गया। पता चला करीब 1000-1500 सिढ़िया उतरनी पड़ेगी लिविंग रुट ब्रिज के लिए। सिढ़ियों के कही दोनों तरफ कही सिर्फ एक तरफ दुकाने सजी थी खाने पीने, स्थानीय फल, स्थानीय कलाकृति, बांस के सामानों की। स्थानीय खासी दुकानदार जो अपने खेत बगीचे का फल वैगेरह या अपनी हस्त कलाकृति बेचने आए थे ।‌ कुछ सीढियां उतरने के बाद हमारी बहन चित्रा बैठ गई "अब आगे नहीं जा पाऊंगी"। मैं भी सोच ही रहा था कि रूक जांऊ और मुझे बहाना मिल गया। मैं भी साथ देने के लिए रूक गया। पानी की बोतल का दाम यहां MRP से ज्यादा था पर पर्यटन स्थल में यह साधारण बात है। हम दोनों कभी कुछ खाया कभी कुछ पीया और बाकी चार लोग अपनी अपनी पानी की बोतल थामें नीचे उतरते चले गए।

एलीफेंट फाल‌ से रिवाई के बीच, रिवाई की लिविंग ब्रिज के रास्ते के दुकान

हम भाई बहन बांकी चार लोगों का इंतजार करने लगे। वापस लौटने पर पता चला नीचे एक चाय की दुकान थी जहां थोड़ी मंहगी पर गरमा गरम चाय मिल गई थी जो थकान मिटाने के लिए अमृत की तरह काम आई। हंसी आ गई जब पता चला जितने पैसे चाय के लगे उतने ही toilet के उपयोग करने के भी लगे।


Steps to single living root bridge and Santosh Babu at the bridge!

हमलोगों को भूख लग रही थी पर आज तो सोहरा या चेरापूंजी पहुचना था। इसलिए हम एशिया के सबसे साफ सुथरे गांव मावल्यान्नॉंग की ओर निकल पड़े। करीब 20 कि०मी० के बाद ही आ गया मावल्यान्नॉंग। गांव की जनसंख्या करीब 400-450 है। खासी मातृसत्तात्मक समाज है यहां। हरे भरे इस गांव में सड़के साफ सुथरी थी और साफ रखने का काम सभी मिलजुल कर करते। हर घर के आगे बांस की टोकरियां रखी थी कचरा फेंकने के लिए। प्लास्टिक का उपयोग यहां बैन है।

माविल्लोंग के कुछ दृश्य।

मेरे मन में कुछ और ही बात चल रही थी। मेरे विचार से इस गांव में पर्यटक भी बैन कर देना चाहिए‌ । कई बस और गाड़ियां लगी थी पार्किंग में जब हम आऐ। इतने सारे लोग और गाड़ियां पर्यावरण को स्वच्छ रहने देते होंगे? जरा सोंचे। खैर कुछ ढाबानुमा रेस्तरां भी थे यहां और एक अच्छी जगह देख कर हमने अपने अपने पसंद का खाना खाया। हमारा अगला स्टाप था दावकी। ये वहीं जगह है जहां नाव हवा में चलती दिखाई जाती हैं उमगोट नदी का शीशे की तरह साफ transparent पानी के कारण।

बोरहिल झरना

दिन का खाना खा कर हम निकल पड़े दावकी की ओर। रास्ता बंगालादेश‌ के बोर्डर के करीब था। खुला बोर्डर था। जगह जगह सफेद झंडे लगे थे । जो वास्तव में बोर्डर था। बहुत खूबसूरत दृश्य मिलते गए और हम फोटो ग्राफी में busy हो गए। कसेली यानि सुपारी के जंगल से भरा था इलाका। रास्ते में कई झरने मिले‌ । हर झरने पर हम रूक जाते और फोटो खींचते। आखिर हम पहुंच गए दावकी । पता चला उंमगोट नदी के बीच से गुजरती है भारत बंगालादेश सीमा। BSF के जवान एक लाईन में खड़े थे और सीमा का काम देख रहे थे। हम नदी में किनारे तट उतर पड़े। जैसी आशा थी पानी उतना क्रिस्टल क्लियर नहीं था। लोगों ने बताया कि उपरी क्षेत्र में बारिश हुई है इसलिए पानी धुमल हो गया है। बंगलादेशी पर्यटक कभी कभी इस तरफ आ जाते और BSF के जवान उन्हें वापस भेज देते। हम लोग भी बंगलादेश की तरफ जा कर आचार खरीद लाए। बहुत मजा आया। एक विदेश यात्रा भी हो गई बिना वीसा के।

दावकी गांव और नदी का किनारा

जब हम फोटो खींचते खींचते थक गए तब हम आगे के लिए निकल पड़े। अगला स्टाप था चेरापूंजी जिसे लोकल जबान में सोहरा बोला जाता है। पहुंचते पहुंचते अंधेरा हो गया और जिस रिट्रीट में हमने तीन कमरे बुक कर रखा था उसका नाम था JMS RESORT ! और जैसा हर नई जगह को ढ़ूढने में थोड़ा वक्त लगता है यहां भी लगा । हमारा गुगल मैप ठीक काम कर नहीं रहा था। वहां मोबाइल से खींचे कुछ फोटो में दिल्ली के पास के किसी Ocean Pearl Retreat का Location दर्ज है। पकोड़ा चाय तुरंत हाजिर हो गया। रात के ख़ाने का आर्डर पहुंचते ही दे दिया और घंटे भर में गरमा गरम बन भी गया।

Pnoramic view from JMS Resort's porch

सभी ने मिलकर मेरे कमरे में खाना खाया। खाना लजीज था या भूख जोरो की लगी थी ये तो पता नहीं पर रात में नींद अच्छी आई। Cute साफ सुथरा बड़े कमरे थे। सामने खूबसूरत लान । मेन रोड से न तो बहुत दूर न ही बहुत पास। रिसार्ट बहुत पसन्द आया। अगले सुबह जगा तो क्या देखता हूं.... न न क्या हुआ अगले भाग में बताऊंगा।

क्रमशः

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