हम लोग करीब महीने भर से अपने चेन्नई और और जगहों की यात्रा का प्लान बना रहे थे। चैन्नई में मेरी सबसे छोटी बहन रहती है और मेरा नाती भी पढ़ता है। हम उत्सुक थे। पता नहीं क्या था कि हमारे प्रिय धनबाद अलैप्पी एक्सप्रेस में टिकट मिला ही नहीं। आश्चर्यजनक रूप से एक स्पेशल साप्ताहिक ट्रेन
हमारे प्लान में फिट बैठ रहा था। स्टापैज भी कम था। सिर्फ एक कमी थी इसमें हमारे आवश्यकता अनुसार सेकेंड एसी नहीं था। खैर इसके थर्ड एसी में टिकट बुक कर लिया।
राजमुंदरी के पास का एक दृश्य
आगे क्या होने वाला है क्या पता। क्योंकि रांची में बन रहे ससपेंसन ओवर ब्रिज के कारण कई ट्रेनें रद्द हो रही थी मैंने
गांड़ी के प्रारंभिक स्टेशन बरौनी से खुलने की स्थित रात में ही चेक कर रहा था और यह क्या खुली ही डेढ़ घंटे देर से और एक स्टाप तक में ही ढ़ाई घंटे लेट हो गई। मैंने flight टिकट देख डाले। चलने के के दो दिन और पहुंचने के एक दिन बाद का टिकट दिखा। एक तो सिर्फ एक ही फ्लाइट थी वह भी रात का था और पत्नी जी घर को हमारे अनुपस्थिति के लिए तैयार करते करते (सभी समानों को समेटना, ढ़कना, गमलों में पानी डालने की व्यवस्था करना इत्यादि) परेशान थी । उनका जवाब था "दो दिन और का टेंशन नहीं ले सकते !!"
हमारे पास समान थोड़ा ज्यादा था। पर हमने कुछ भी हो जाय इसी ट्रेन से ही जाएंगे का निश्चय कर मैं ट्रेन के स्टेटस को लगातार चेक करने लगा। जब ट्रेन तीन घंटे से ज्यादा लेट चल रही थी तब हम ओला ले कर हटिया स्टेशन पहुंच गए। सामान हम अकेले ट्रेन तक ले जाने को स्थिति में नहीं थे । कुली मिलेगा या नहीं की चिंता थी तभी एक महिला कुली आई। मुझे अब यह बताने में शर्म आ रही है कि मैंने उससे कहा सामान थोड़ा ज्यादा है (मेरा मतलब था महिला हो कर इतना सामान कैसे ले जाओगी ?) । उसने मुझे आश्वस्त किया और बताया उसके पास लगेज ट्राली भी है। मेहनताना भी reasonable मांग रही थी। उसका आत्मविश्वास देख कर मैंने पुरूष कुली जो आ गए थे उसे वापस भेज दिया पर उससे पूछ बैठा हमारी ट्रेन किस प्लेटफार्म पर आएंगी? जवाब आया "अपने कुली से ही पूछिए।"
भारतीय रेल में महिला कुली Photo shared from internet
महिला ने बड़ी आसानी से सारा सामान ले लिया। हमने महिला का बोझ कम करने की गरज से एक एक छोटा समान लेना चाहा लेकिन उसने हमें कुछ ले चलने नहीं दिया।
हमने रांची के बजाय हटिया स्टेशन से टिकट ली थी तांकि ट्रेन प्लेटफार्म नं० 1 पर आए और हमें सुविधा हो। लेकिन ट्रेन शायद 2 पर आने वाली थी। हमारी कुली महोदया
ने इसी कारण हमें लिफ्ट के पास बिठाया और फिर अपने मोबाइल पर चेक कर बताया कि ट्रेन प्दोलेटफार्म नं० 2 पर आएंगी लेकिन बाद में प्लेटफार्म न० बदल भी सकता है । यानि वह एक Hi tech कुली भी थी। अन्ततः ट्रेन 3 No. पर आई। और हम लिफ्ट से गए। ऐसे तो हमारी बोगी ट्रेन के बीच में थी और मैंने सोच रखा था कि गेट के आसपास आएगा पर लिफ्ट प्लेटफार्म के दूसरे ओर था और हमें काफी चलना पड़ा और कुली को तो समान सहित। हमारी या किसीके मदद बिना कुली महोदया ने सारा सामान ट्रेन में चढ़ा कर हमारे बताऐं सीट न० के नीचे ठीक ठाक लगा दिया।
ट्रेन में चढ़ने के बाद जो बात मन में आई वह थी जो खाना दोपहर के लिए आर्डर किया उसका क्या होगा। ट्रेन चार घंटे लेट जो हो गई थी। आगे क्या हुआ अगले ब्लॉग में।
क्रमशः
Friday, January 24, 2025
महिला कुली हटिया स्टेशन पर
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