Monday, November 22, 2021

ख्यालों में घुमक्कड़ी ( #यात्रा)

ख्यालों में गंगटोक - दर्जिलिंग यात्रा

मन ने कहा "जाओ कहीं घूम आओ"
मैं आज फिर अपने मनपसंद शगल में मशगूल होना चाहता हूँ, शायद मेरे सिवा भी कई और लोगो का भी यह एक पसंदीदा शगल हैं - यात्रा की रूप रेखा तैय्यार करना यानि हवाई किले बनाना । हमारे लिए २०१८ घूम - घुमक्कड़ी के ख्याल से बहुत बढ़िया साल था । फरवरी में हज़ारीबाग़ -रजरप्पा , मार्च में अंगराबारी, पटना और उत्तर पूर्व इंडिया (असम, मेघालय, अरुणांचल ) , मई में काठमांडू - चंद्रगिरि , जुलाई में मधुबनी - मंगरौनी - उच्चैठ , सेप्टेंबर में शिरडी - सप्तश्रृंगी , अक्टूबर में जमुई , लछुआर , नेतुला भवानी, दिसंबर में उदयपुर-कुम्भलगढ़ , चित्तौरगढ़। उसके बाद medical कारणों से कुछ ऐसे मशगूल हुए की पास की जगहें घूमने का सोच भी नहीं सके । और फिर २०२० के मई तक फारिग तो हो गए पर तब तक कोरोना का प्रकोप शुरू हो गया । २०२० का पूरा साल और २०२१ के शुरुआती महीने कोरोना के भेंट चढ़ गए । २०२१ में आखिरकार दिल्ली से रांची आ गए और अप्रैल में बच्चों (यानि पोता और पोती ) के साथ पतरातू घाटी और डैम घूमने गए जो करीब २ साल बाद किया जाने वाला पहला घुमक्कड़ी था । आगाज़ अच्छा था क्योंकि फिर अक्टूबर में करीब १५० KM दूर स्थित ऐतहासिक -धार्मिक स्थल इटखोरी भी घूमने गए । लेकिन ये जो सफ़र का अनुराग (wanderlust) हैं वह उकसा रहा हैं की कहीं और जाओ या न जाओ प्रोग्राम तो बना ही सकते हो । ऐसा प्रोग्राम जिसे कभी भी अमल में लाया जा सकता हैं । पिछली बार के उत्तर पूर्व भारत की यात्रा के अंत में भूटान के अंदर पांव रखने का मौका मिला था जब हम सीमा से सटे एक प्रसिद्द मंदिर में दर्शन सिर्फ एक बोर्ड पर मंदिर का नाम देख कर चले गए थे इसलिए भूटान तो हमारे बकेट लिस्ट में था ही, पर कोरोना में बॉर्डर खुला न हो तो क्या होगा ? मैंने इसलिए एक दूसरे प्रोग्राम पर काम करना शुरू कर दिया वह है दार्जीलिंग और गंगटोक की यात्रा। जानता था की ट्रेन से यह यात्रा NJP या न्यू जलपाईगुड़ी से और हवाई जहाज से जाने पर बागडोगरा या पक्योंग (सिक्किम) एयर पोर्ट से शुरू करनी होगी । और मै प्लानिंग में लग गया।

सफर के साथी कौन ?
मैं यह सोच कर चल रहा हूँ की एक टीम यानि हम दोनों पति पत्नि रांची से चलेंगे और एक टीम दिल्ली और पटना से ज्वाइन करेगी। क्योंकि दिल्ली से आने वाली टीम बड़ी होगी और दिल्ली - बागडोगरा या दिल्ली - पक्योंग की हवाई यात्रा बजट हिला देगी इसलिए मैंने ट्रेन की यात्रा को ही चुना है। रांची से एक साप्ताहिक ट्रैन चलती हैं कामाख्या एक्सप्रेस जो न्यू जलपाईगुड़ी गुरुवार दोपहर को पहुँचती हैं और मंगल दोपहर को वापस रांची जाती हैं यानि ४ पूरे दिन और दो आधे दिन में सभी जगह घूम लेना होगा । दिल्ली या पटना / पाटलिपुत्र से डिब्रूगढ़ राजधानी भी दोपहर तक न्यू जलपाईगुड़ी पहुंच जाती है और रांची या दिल्ली से जाने वाली टीम की timings मैच करती हैं इस तरह तो 6 दिन 5 रात (6D 5N) का प्रोग्राम बनाना ठीक रहेगा ।



Photo credit Rediff.com

रूट की समय सीमा :
गुरुवार - 12 से 1 बजे के बीच दिन में न्यू जलपाईगुड़ी आगमन - मंगलवार को न्यू जलपाईगुड़ी से प्रस्थान के बीच ही यात्रा का प्रोग्राम बनाना पड़ेगा।
ट्रिप एक फुल टाइम टैक्सी से ही करेंगे यह मैने सोच रखा हैं, क्योंकि खासकर जब बच्चे साथ तो यह एक सुविधाजनक विकल्प हैं । ऐसे कोई और परिवहन के साधन लेने पर बहुत समय बर्बाद होगा और जगह जगह रूक कर फोटोग्राफी करने कि सुविधा भी तभी हैं जब आपकी अपनी गाड़ी हो या फिर फुल टाइम टैक्सी । हमारा पिछले बार का उत्तर पूर्व का अनुभव भी फुल टाइम टैक्सी की ओर ही इशारा करता है। सिक्किम नंबर वाली टैक्सी लेने से उत्तर सिक्किम जाना आसान होता है।



गंगटोक और दार्जीलिंग Photo wkimedia- Google search

मुख्य गंतव्य दो हैं - दार्जीलिंग और गंगटोक । इस कारण दूसरा प्रश्न मन में यह उठा कि पहले कहाँ जाया जाय। गंगटोक जाने में ४-५ घंटे लगेंगे और रास्ते में जाम मिलने की संभावना बनी रहती हैं । दार्जीलिंग से समय कम लगता हैं और जाम भी कम मिलते है । मैं पहले गंगटोक जाने की सलाह दूंगा क्योंकि अंतिम दिन वापसी की ट्रैन पकड़ने के लिए समय पर पहुंचना जरूरी होगा और कम समय और जाम रहित रास्ता ही अंतिम दिन ठीक रहेंगा ।

जाने आने के समय कहाँ कहाँ रुका जाय ? मेरे मन में दो तीन जगहे हैं - कलिम्पोंग, मिरिक, खर्सियांग । मिरिक और खर्सियांग के बीच एक जगह चुननी पड़ेगी क्योंकि दोनों अलग अलग रूट पर हैं । मिरिक अपने आप में एक हिल स्टेशन हैं जो कम भीड़भाँड़ वाली जगह हैं जबकि खर्सियांग उसी रूट पर जिसपर टॉय ट्रैन चलती हैं । ऐसे सुना हैं टॉय ट्रैन अभी दार्जीलिंग से घूम तक ही चलती हैं । मैंने मिरिक चुना हैं यदि निर्धारित समय - सीमा में वहाँ जा सकें । इस सीमा मे रह कर जो रूट बनता है वह नीचे दे रहा हूँ ।



गुरुवार - न्यू जलपाईगुड़ी - गंगटोक - ११८ km ४:१५ hrs
गुरुवार / शुक्रवार - गंगटोक- रात्रि विश्राम (2N)
शनिवार - गंगटोक- कलिम्पोंग - ७६ km २:४८ hrs
शनिवार - कलिम्पोंग २-३ Hrs site seeing
शनिवार - कलिम्पोंग - दार्जीलिंग ५२ km २:१० hrs
शनिवार/रविवार दार्जीलिंग रात्रि विश्राम (2N)
सोमवार - दार्जीलिंग - मिरिक - ४० km १:५० hrs
सोमवार - मिरिक रात्रि विश्राम (1N)
मंगलवार- मिरिक - न्यू जलपाईगुड़ी ५६ km १:५० hrs

Day-1 गंगटोक ! क्या देखे क्या छोड़े ?
गंगटोक पहुंचने पर यदि हो सके तो महात्मा गाँधी रोड के किसी होटल में रुकना सही रहेगा तांकि पहले दिन जब शाम तक पहुंचे तो पास कहीं शॉपिंग या अनोखे नेपाली / सिक्किमी /तिब्बती खाना खा सके । ऐसे बढ़िया होम स्टे में भी रूक सकते हैं । मेरा पिछला होम स्टे का अनुभव ५०-५० था बोमडिला में बहुत अच्छा से शिलॉन्ग में उतना अच्छा नहीं और चेरापुंजी में बीच बीच का । अतः फूंक फूंक कर पांव रखना ठीक रहेगा । कहाँ कहाँ घूमेंगे मैंने यह भी सोच रखा हैं । गंगटोक से ४०-५० KM की दूरी पर स्थित चोंगो लेक, बाबा हरभजन सिंह यानि बाबा मंदिर और नाथुला पास पूरे एक दिन का समय लेता है और इन्हें मैंने अभी अपनी यात्रा कार्यक्रम से निकाल रखा हैं क्योंकि हम दोनों वरिष्ठ नागरिक हैं शायद ऊँची जगहों में होने वाली ऑक्सीजन की कमी वर्दाश्त नहीं कर पाए और नाथुला पास के लिए तो विशेष परमिट भी लेना पड़ता हैं । इस तरह गंगटोक में दूसरे दिन देखने लायक जगह होगी :



Day-2
1. राष्ट्रीय तिब्बत विज्ञान संस्थान, डू ड्रुल चोर्टेन
2. एंचेय मोनेस्ट्री
3. गणेश टोक
4. हनुमान टोक
5. बकथांग फाल्स
6. ताशी व्यू पॉइंट
7. बन झाकरी फॉल
8. रांका मोनेस्ट्री
9. रुमटेक मोनेस्ट्री
10. रोपवे
इस थकाने वाले excursion के अंत मे होने वाला रोप वे ride थकान दूर कर देगा।

Day-3 कलिम्पोंग
रात्री विश्राम के बाद तीसरे दिन हमारा अगला "स्टॉप ओवर" है कलिम्पोंग जहाँ नाश्ते के बाद शायद हम १० बजे तक पहुंचे पर यदि गंगटोक में रोप वे का ट्रिप छूट गया हो तो आज उस ट्रिप को पूरा कर सकते हैं क्योंकि रोप वे ९:३०-५ बजे तक ही चालू रहता हैं यदि ऐसा हुआ तो तीन घंटे के ड्राइव के बाद हम १ -२ बजे दिन तक कलिम्पोंग पहुंच सकते हैं । जितनीं देर से पहुंचेंगे उतना कम समय हमे कलिम्पोंग में घूमने को मिलेगा क्योकिं वहां रात में रुकने का कार्यक्रम नहीं हैं ।
कलिम्पोंग में क्या देखे क्या छोड़े ?
उपलब्ध समय के हिसाब से सिर्फ तीन जगह घूमना ही सही रहेगा कलिम्पोंग में :
दुर्पीन दरा मोनास्टरी
डॉ ग्रैहम'स होम
पाइन व्यू नर्सरी
यह सभी जगहे आस पास हैं और ज्यादा समय नहीं लेगी । और दो या ढाई घंटे के ड्राइव के बाद ५-७ बजे शाम तक दार्जीलिंग अपने होटल में पहुंच जायेंगे और शायद ही कहीं और घूमने निकल पाय ।

Day -3 दार्जीलिंग : रात्रि विश्राम ।
Day -4 दार्जीलिंग : घूमने की जगहें ।
चौथे दिन दार्जीलिंग में बहुत सुबह ४ बजे ही जगना पड़ेगा और जाना पड़ेगा टाइगर हिल - सूर्योदय देखने । क्योंकि हिमालय के उसपार से उगते सूरज का अद्भुत दृश्य कौन नहीं देखना चाहेगा ? टाइगर हिल के बाद 'घूम' मोनास्टरी और बतासिया लूप देखने के बाद वापस होटल जाना होगा नाश्ते के लिए । 'घूम' जाने के लिए टॉय ट्रैन का मज़ा भी ले सकते हैं । नाश्ते के बाद जाऐगें अन्य जगहें यानि :
जापानी पीस पैगोडा
चिड़िया खाना (रेड पांडा और अन्य ऐसे जानवर यहीं मिलेगा )
पर्वतारोही संस्थान
रोप वे
तेनज़िंग नोर्गे रॉक
तिबत हेंडीक्राफ्ट सेण्टर (रिफ्यूजी सेण्टर)
होटल वापस

डे ५ दार्जीलिंग - मिरिक
मिरिक
मिरिक पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग ज़िले में स्थित एक मनोरम हिल स्टेशन है। हिमालय की वादियों में बसा छोटा सा पहाड़ी क़स्बा मिरिक पिछले कुछ वर्षों में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। इसके पीछे कई कारण हैं। एक तो यह कि पश्चिम बंगाल में यह सबसे ज़्यादा आसानी से पहुंचने वाला स्थान है, दूसरा यहां रूटीन हिल स्टेशन जैसी भीड़ भाड़ नहीं है। इस जगह के बारे में अभी बहुत लोग नहीं जानते हैं इसलिए भी यहां की प्राकृतिक सुंदरता बरक़रार है। मिरिक में कई नारंगी के बाग हैं और चाय बागान तो हैं ही ।अन्य देखने लायक जगहे
१. मिरिक लेक
२. पशुपतिनगर (नेपाल बॉर्डर)
३. बोकर मोनेस्ट्री
४. मिरिक चाय बागान
५. मिरिक चर्च
६. रमीते धारा व्यू पॉइंट
रात्री विश्राम
पशुपतिनगर - ककरभीट्टा हो कर पूर्वी नेपाल का ईलाम जिला भी घूमा जा सकता है और यदि समय हो तो पाथिभरा भवानी और काठमांडू भी जाया जा सकता है। एक नया अनुभव के लिए।

Day 6 मिरिक से नई जलपाईगुड़ी यह टूर का आखिरी दिन होगा और हमारी यात्रा न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पहुंच कर ट्रेन पकड़ने के साथ ख़त्म हो जाएगी ।

बजट


६ लोगों का जिसमे २ बच्चे हैं उनका बजट यूँ होगा
१. ट्रैन : ६ लोगों का टिकट - Rs २४०००.०० जो इस यात्रा खर्च का भाग नहीं है
२. ६ दिनों की टैक्सी ......- Rs १८०००.००
३. लंच और डिनर (6x6x2 ) Rs १२०००.००
४. पार्किंग वैगेरह.......... Rs २०००.००
कुल.................... Rs ४४०००.००
per person ........... Rs ७३३३.००
इंटरनेट के हिसाब से यह खर्च आता हैं रु १२००० - १४००० प्रति व्यक्ति । ऐसे शेयर टैक्सी या बस का उपयोग कर और बचत की जा सकती है।

जिस ट्रेवल एजेंट से २०१८ में नार्थ ईस्ट के लिए टाटा सुमो किराये पर लिए थे उनका इ मेल था "aprup@myvoyage.co.in and arpana@myvoyage.co.in or packages@myvoyage.co.in" और फोन न० था +91 96780 71669 (Mr Aprup Saikia)

क्यो चलना है ?

2 comments:

  1. ट्रेन या प्लेन क्यों? पूरी यात्रा सड़क से यानि कार से क्यों न की जाए!

    ReplyDelete
  2. हम तैयार हैं जनवरी से अप्रैल तक देख सकते हैं मुझे आगे भी जाना है कामाख्या माता की पूजा करने । ट्रेन बेहतर विकल्प जो सकता है थकान कम होगी । कालिंपोंग अच्छी जगह है लौटने पर बात होगी । वैसे गाड़ी भी अच्छा ऑप्शन है । सेवन सेटर की दो गाड़ियाँ लगेगी । चूँकि जगह नज़दीक है पटना से इसलिए बस निकल चलना है ।

    ReplyDelete