Thursday, November 11, 2021

आज का सुबहनामा

कोरोना के बाद कम होता छठ का उत्साह

व्रत त्योहारों का सिलसिला आज के उगते सूरज के अर्ध्य के साथ समाप्त हो गया । इस बार खरना प्रसाद तो अपने एक पड़ोसी के यहाँ खा आए पर शाम सुबह का अर्ध्य देने कहीं नहीं गए। कुछ आलस कुछ इस कारण से की हमारा सूप उठा देने वाली लक्ष्मी छठ इसबार अपने गाँव गई हुई है । खैर सुबह ठेकुआ प्रसाद तो अभी तक नहीं खाया पर कही न कहीं से आ ही जाएगा पर और सालों के अपेक्षा इस बार घाट से लौटते कम छठ व्रती सड़क पर दिखे। सिर्फ एक वैन दिखा जिस पर ईख वैगेरह लदे थे। कोरोना ने सबको घर में ही हौदा बना कर छठ कर लेने का रास्ता दिखा दिया है और नदी पोखरों पर जुटने वाली भीड़, रौनक कहीं गायब हो गई है।


बेवजह मजा़क

घर से निकल कर नुक्कड़ तक ही गया था तो देखा एक लड़की जो शायद माँ को पीछे बिठा कर स्कूटर चला रही थी गाड़ी उबड़ खाबड़ रास्ते पर रोक कर पार्क करने की कोशिश कर रही थी कि अपना कार्टन रखते रखते एक दुकानदार ने कह दिया चक्के में हवा कम है। वह मजाक कर रहा था पर स्कूटर से उतरने का उपक्रम करती लड़की का ध्यान चक्के के टायर पर चला गया और वो बैलेंस नहीं रख पाई और गिर पड़ी। मै करीब था मदद करता उसके पहले उस लड़की ने उठ कर स्कूटर पार्क कर लिया पर मजाक करने वाला दूकानदार जो शायद लड़की को जानता था हंस रहा था। ऐेसे situation में किया बेवजह मजा़क कभी खतरनाक भी हो सकता है। मुझे अच्छा न लगा पर उस दुकानदार से मेरी थोड़ी misunderstanding पहले से है इसलिए मैने उसे कुछ नहीं कहा और आगे बढ़ गया ।


कुत्ते का बॉडीगार्ड

रास्ते मे एक कुत्ता मेरे साथ चलने लगा। थोड़ा आगे निकलने पर वह रुक जाता मानो मेरी प्रतीक्षा कर रहा हो। रास्ते के सभी पोल, हर पार्क किए कार के टायर पर श्रद्धांजलि चढ़ाता ओवर ब्रिज तक मेरे आगे पीछे वह चलता रहा। मुझे आश्चर्य हो रहा था आखिर श्रद्धांजलि का उसका storage capacity इतना अधिक कैसे है ? जब रास्ते मे एक बड़ा सा कुत्ता दिखा तब मुझे समझ आया कि दूसरे कुत्ते के teritory को cross करने के लिए मेरे साथ का protection ले रहा था। अक्सर कुत्ते मालिक की रखवाली करते है पर इस छोटे कुत्ते ने मुझसे ही body guard की ड्यूटी करवा ली।



केबल का जंजाल

रास्ते मे मैने नटिस किया कि सभी बिजली, लाइट पोल और पेड़ो पर अनेको optical fibre केबल लटके, बंधे हुए है। ऐसा मैंने विदेशो में नहीं देखा क्योंकि वह अंडरग्राउंड केबलिंग हैं । यहाँ तो एक ही एरिया में ४-६ फाइबर ऑप्टिक वाली कंपनियों का केबलिंग है। क्यों नहीं एक एरिया में एक ही सुपर नेटवर्क हो ? क्यों नहीं अंडरग्राउंड tunnel हो जिसमे अलग अलग कंपनी द्वारा केबलिंग लीज पर किया जा सके ? जब DTH ब्रॉड कास्ट हैं तो केबल टीवी को क्यों नहीं ओब्सोलेटे घोषित कर दिया जाय ?


विछिप्त या पियक्कड़

मैं अपने सुबह यात्रा में रोज़ एक पकी दाढ़ी वाले बेतरतीब आदमी को देखा करता था । सोचता था की या तो वह विछिप्त है या भिखारी । पर आज उसे हड़िया (local rice beer ) के दुकान पर देख कर आश्चर्य हुआ । पीने के पैसे कहाँ से मिले इसे ? या दुकान वाली ने इसे मुफ्त में ही पीने को दिया ?

बस आज इतना ही कुछ बातें रह गई जो फिर लिखूंगा ।

1 comment:

  1. I have also once been assigned the role of a dog protector. The rather friendly lab stood in front of us with its tail wagging, but not giving us even an inch to move away. We stood, perplexed by the dog's behaviour (it wasn't threatening, but refused to let us go away either) until we saw two big dogs pass by behind their owner. The moment teh big dogs went away, the lab left us alone :-D

    Cabling will be required even in case of DTH. In big cities like Delhi NCR, the cabling is underground, and often we will see some part dug up by one company or the other. They fill the gap, but the side of the road is never smoothened and fixed as before unfortunately.

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