Thursday, December 21, 2023

राजगीर का भूगोल और इतिहास से इसका सम्बन्ध


पढ़िए मेरा ब्लॉग राजगीर नवंबर २०२३

किले क्या और क्यों है ? और जहां है वहीँ क्यों है ? सभी किले सैन्य चौकी है पर कुछ किले राजपरिवार के रहने का स्थान भी है। राजतन्त्र में राजा का हार जाने, मारे जाने या पकडे जाने का मतलब होता है युद्ध हार जाना। इसलिए किले दुर्गम सुरक्षित स्थानों में बनाये जाते थे। जैसे कुम्भलगढ़ और कई मराठा किले। लेकिन दूसरी महत्वपूर्ण जरूरत है पानी। पुराना राजगीर जो दो सामानांतर पर्वत श्रंखला के बीच है इसलिए दुर्गम और सुरक्षित जरूर रहा होगा पर पानी ? उत्तर मिला पंचाने नदी में। यह नदी पांच नदियों (खुरी , तिलैया , धनराजे , धांधर और मंगुरा ) का संगम बनती है और प्राकृतिक घोरा कटोरा झील भी इसके करीब ही है। इन दो मुख्य जरूरते पुरे होने से यह जगह बनी राजगृह - राजाओं का घर ।

मैं कई बार राजगीर के पास के नेशनल हाईवे से गुजरा हूँ पर कभी राजगीर के प्रसिद्द ऐतहासिक स्थल नहीं दिखे। इसबार जब राजगीर गया तो जो बात हमने यह जानने की चेष्टा की की ऐसे क्या है इस स्थान के भूगोल में की महाभारत काल , बुद्ध काल , मौर्य काल , गुप्त काल , वर्धन काल और पाल काल तक के कुछ न कुछ अवशेष इस स्थान और इसके आस पास मिले है। बिम्बिसार और उसके पुत्र अजात शत्रु के बारे में पढ़े थे और पढ़ी थी मगध के शक्तिशाली साम्राज्य की वैशाली पर एक स्त्री (आम्रपाली ) के कारण की गयी चढ़ाई। पर राजगीर ही क्यों ? मैंने थोड़ी कोशिश की है इसे समझने के लिए।


राजगीर का एक पुराना सरकारी मैप कृतज्ञता सहित

भारतीय राज्य बिहार के दक्षिण मध्य क्षेत्र में राजगीर शहर। यह रत्नागिरि, विपुलाचल, वैभवगिरि, सोनगिरि और उदयगिरि नामक पांच पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह एक महत्वपूर्ण बौद्ध, हिंदू और जैन तीर्थ स्थल है।राजगीर बिहार राज्य का छोटा पृथक पहाड़ी क्षेत्र है । विशाल पत्थरों से बनी यह संरचना दक्षिण बिहार के मैदानों से तेजी से बढ़ती ढलान है जो पांच पहाड़ियों में तब्दील हो जाती है । पहाड़ियाँ उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम में लगभग 65 किमी तक दो लगभग समानांतर पर्वतमालाओं जैसी हैं जो उत्तर-पूर्व में एक संकीर्ण घाटी को घेरती हैं जो धीरे-धीरे दक्षिण-पश्चिम की ओर खुलती है। उनके शिखर समतल, बड़े पैमाने पर सुविधाविहीन छोटे वनों जैसे हैं। सबसे ऊँची चोटी समुद्र तल से 1,272 फीट (388 मीटर) की ऊँचाई पर है लेकिन, सामान्य तौर पर, वे शायद ही कभी 1,000 फीट (300 मीटर) से अधिक हो।
इस नक़्शे से यह पता चलता है यह कितनी सुरक्षा का अहसास दिलाती होगी उन राजाओं को जिसका गृह था राजगृह या राजगीर। चारो तरफ के पहाड़ राजगीर को छिपा कर कर भी रख सकते थे। उस पर २५०० साल या उससे भी पहले अनगढ़ पत्थडों से बने CYCLOPEAN दीवार भी तो थी। इसे CYCLOPEAN इसलिए कहते क्योंकि बड़े बड़े पत्थर को CYCLOPS यानि दैत्यों द्वारा ही बनाये जा सकते थे। पत्थरो के बीच कील के तरह छोटे छोटे पत्थरो को ठोका गया हो ऐसा लगता है। ४० - ४५ KM लम्बी यह दीवार भारत की सबसे लम्बी दीवार भी है। ऐसे थोड़ी सी दीवार ही सबूत बची है। थोड़ी थोड़ी दूर पर चबूतरे बने है सैनिको और शस्त्रों के लिए। साढ़े सत्रह फ़ीट चौड़ी यह दीवार ३-४ मीटर ऊँची है। ऐसे जहाँ ३०० मीटर ऊँची पहाड़िया हो वहां ऐसी दीवार की जरूरत हो ऐसा तो नहीं लगता। अंदर में एक आंतरिक दीवार भी हुआ करती होगी। Cyclopean दीवार दो जगह "NH (NATIONAL HIGHWAY) 120" से कट भी जाती है और गाइड आपको इसी जगह यह दीवार को दिखने ले जाते है।


राजगीर गुगल मैप की नजर में

क्योंकि यह स्थान दो समानांतर पर्वतमालाओं द्वारा संरक्षित था, अजातशत्रु ने इसे 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में पूर्वी भारतीय साम्राज्य मगध की राजधानी बनाया और इसका नाम राजगृह रखा। अजातशत्रु ने अपने पिता राजा बिम्बिसार को कैद करके सिंहासन पर कब्ज़ा कर लिया। और अभी भी एक जगह बिम्बिसार की जेल के नाम से जाना जाता है। बिम्बिसार, जिसे स्वयं बुद्ध ने बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया था, ने अनुरोध किया कि उसकी जेल एक छोटी पहाड़ी के पास बनाई जाए ताकि वह सुबह और शाम को बुद्ध को गुजरते हुए देख सके।


Cylopean दीवार curtsey wikipedia

आधुनिक समय में, आगंतुक बौद्ध तीर्थ विश्व शांति स्तूप जहां के निकट माना जाता है कि बुद्ध ने का उपदेश दिया था, की यात्रा के लिए पहाड़ी की चोटी तक रोपवे का अनुसरण कर सकते हैं। भारत का सबसे पुराना रोपवे यहीं है। नीचे उतरने पर, दर्शक गिद्ध की चोटी (ग्रिधकुटा) देख सकते हैं, जहां कहा जाता है कि बुद्ध ने दिन के उपदेश के बाद विश्राम किया था।
जरासंध की कहानी
जरासंध के जन्म की कहानी भी अजीब है राजा बृहद्रथ की दो रानियां थी पर उन्हें कोई संतान नहीं थी। राजा ने एक मुनि चन्द्रकौशिका से प्रार्थना की तो उन्होंने एक आम का फल उन्हें दिया। अब राजा ने आम के दो टुकड़े किये और उसे दोनों रानियों को खिला दिया। अब ऐसा करना तो था नहीं और दोनों रानियां आधे आधे बच्चे को जन्म दिया। रानियों ने बच्चे के लोथड़ों को त्याग करने का निश्चय दिया। जरा एक राक्षसी थी और उसे यह लोथड़े मिले तो उसने उन्हें एक साथ कर मिला कर ले जाना चाहा। लेकिन मिलाते ही दोनों लोथड़े जुड़ गए और ज़िंदा हो गए। बच्चे का शरीर हीरे की तरह कठोर था और वो शेर की तरह गरज रहा था। जरा ने बच्चा राजा बृहद्रथ को दे दिया। इसी जरा का एक मंदिर भी है राजगीर में।
जरासंध के दामाद कंस को कृष्णा ने मारा था और यहीं कारण था की जरासंध और कृष्ण की दुश्मनी का। जरासंध ने कई बार मथुरा पर चढ़ाई की हर बार कृष्ण उसकी पूरी सेना को मर देते पर जासंध को जाने देते। महाभारत की लड़ाई के बाद जब युधिष्ठिर राज सूय यज्ञ यज्ञ करने वाले थे तो कृष्ण को जरूरी लगा की पहले जरासंध को खत्म करना जरूरी है। कृष्ण भीम और अर्जुन जब जरासंध के पास गए तो कृष्ण ने जरासंध से कहा की हम तीनों में से किसी एक से युद्ध कर ले। जरासंध ने भीम को चुना। १८ दिन तक मल्ल युद्ध हुआ। अंत में कृष्ण के इशारा करने पर भीम ने जरासंध को दोनों पैरों को अलग करने के लिए खींचा। जरासंध दो भाग में पैदा हुए थे इस लिए आसानी से दो भाग में बंट गया। लेकिंन फिर तुरंत जुड़ भी गया। अंत में कृष्ण ने एक तृण को तोड़ कर उलटी तरफ फेंक कर इशारा किया तब भीम ने जरासंध के दोनों भाग उलटे तरफ फेंके और इस बार वे जुट न सके।
आम्रपाली और अजातशत्रु :
आम्रपाली को वैशाली गणराज्य में नगर वधु का ओहदा प्राप्त था पर कहते हैं कि बिंबिसार का पुत्र अजातशत्रु उसे हासिल करना चाहता था। जब यह बात वैशाली के गण सभा को पता चला तो तो उन्होंने आम्रपाली को जेल में डाल दिया गया। अजातशत्रु को यह पता चला तो उसने वैशाली पर आक्रमण कर कई लोगों की जान ले ली। लेकिन इससे कुछ हासिल नहीं हुआ। बुद्ध विहारों में तब स्त्रियों का प्रवेश वर्जित था पर बुद्ध के कहने पर आम्रपाली पहली बौद्ध भिक्षुणी बानी और संघ के शरण में आई।

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