Saturday, August 26, 2023

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: ओणम केरल का राज्य पर्व

सेवानिवृत्त के पहले मैं एक केंद्रीय उपक्रम में कार्यरत था तब कई केरलवासी भी सहकर्मी थे। मध्यपूर्व के आकर्षण के पहले केरलवासी उत्तर भारत में हर क्षेत्र में कार्यरत दिख जाते थे - नर्स, क्लर्क से लेकर चेयरमैन तक। पहले एक कहावत बहुत प्रसिद्ध थी कि जब नील आर्मस्ट्रांग चांद पर उतरा तो एक मलयाली होटल वाले ने काफी के साथ उसका स्वागत किया । आशा है हमारा विक्रम लैंडर भी वहां किसी मलयाली को खोज निकाले। आखिर साईकल से पहुंचा हमारा पहला राकेट केरल के ही थंबा से छोड़ा गया था। खैर अपने केरलवासी सहकर्मियों को दो पर्व धूमधाम से मनाते देखा था। अयप्पा पूजा और ओणम। ये ब्लॉग ओणम पर है जो इस वर्ष २० अगस्त २०२३ से ३१ अगस्त तक मनाया जा रहा है।



ओणम एक दान वीर भक्तवत्सल राजा बलि के धरती पर पुनः आगमन की खुशी में मनाया जाता है। महर्षि कश्यप सभी प्राणियों के पुर्वज माने जाते हैं। उनकी पत्नियां दिती और अदिति दक्ष प्रजापति की पुत्रियां थी। दिति दैत्यों की माता थी अदिति देवों की। दिति के दो पुत्र थे हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप। हिरण्याक्ष को श्रीविष्णु के वाराह अवतार और हिरण्यकश्यप को नरसिंह अवतार ने मारा। हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद विष्णु के भक्त थे। इन्हीं प्रह्लाद के पौत्र थे राजा बालि । तीनों लोक के स्वामी राजा बलि बहुत पराक्रमी थे और प्रजा वत्सल भी। इंद्र के प्रर्थना और देवों को देवलोक वापस दिलाने के लिए श्री विष्णु ५२ अंगुल के बौने वामन का रूप धर राजा बलि ९९ वें यज्ञ में पहुचें। इस यज्ञ के बाद बलि का इंद्र होना निश्चित था। वामन ने दानवीर बलि से तीन पग धरती के दान की कामना की। वामन के छोटे पैरों को देख तीन पग धरती का दान बलि को अपने यश के अनुरूप नहीं लगा और उन्होंने बहुत सारी गाएं और धरती के साथ धन का दान का प्रस्ताव रखा पर वामन ब्राह्मण अपनी तीन पग वाली बात पर अडिग रहे। बलि ने गंगा जल हाथ में लेकर तीन पग धरती दान कर दिए। तब श्री विष्णु अपने विशाल रूप में प्रकट हुए और दो पग में स्वर्ग और धरती दोनों नाप लिए। तीसरे पग के लिए बलि ने अपना सर प्रस्तुत कर दिया। विष्णु ने उसे सदा के लिए उसे पाताल भेज दिया जहां वह अब भी राज करता है। बलि सात चिरंजीवियों में से एक है। विष्णु ने बलि को वर्ष में एक बार अपने राज्य की प्रिय प्रजा के बीच वापस धरती पर आने का वरदान दिया। राजा बलि दस दिनों के लिए अपनी प्रिय प्रजा के बीच हर साल वापस आते हैं और केरल और आसपास इन्हीं दस दिनों को ओणम पर्व के रूप में मनाया जाता है। कल २७ अगस्त २०२३, यानि श्रावण की एकादशी से पूर्णिमा तक यह त्योहार बड़े धूम-धाम से मनाया जाएगा। सजे हाथी की शोभा यात्रा और नौका दौड़ इस पर्व की विशेषता है। सभी को ये कहानी तो पता है, प्रायः सब को। अब मैं कुछ बताना चाहता हूं जो शायद आपको पता न हो।

बलि ने सबकुछ दान कर दिया था जीता हुआ स्वर्ग भी, अत: भगवान विष्णु ने उससे वरदान मांगने को कहा जिस पर राजा बलि ने भगवान को अपने साथ पाताल लोक में वास करने का वरदान मांगा। वरदान से बंधे भगवान विष्णु राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गए। परंतु इससे देवी लक्ष्मी को समस्या हुई , यदि भगवान विष्णु पाताल लोक में वास करेंगे तो बैकुंठ धाम जो उनका स्थान है वह तो रिक्त रहेगा, वो स्वयं भी अकेली रह जाएंगी। देवी लक्ष्मी अकेले नहीं रहना चाहती थीं और इसलिए वो भगवान विष्णु को लौटा लाने के लिए पाताल लोक पहुंची लेकिन अपने दिए हुए वरदान में बंधे भगवान विष्णु को पाताल लोक से लौटा लाना इतना भी आसान नहीं था।

देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को उन्हें लौटा देने के लिए राजा बलि से बहुत अनुनय विनय किया लेकिन राजा बलि नहीं माने। अतः एक रास्ता निकाला गया, राजा बलि के हाथ में देवी लक्ष्मी ने रक्षा सूत्र (राखी) बांधते हुए मंत्रोच्चारण किया ‘येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:’।
इस रक्षा सूत्र के माध्यम से देवी लक्ष्मी और राजा बलि दोनों भाई-बहन हो गए और देवी लक्ष्मी ने उपहार के रूप में राजा बलि से भगवान विष्णु को मांग लिया। अब राजा बलि के सामने नहीं कहने का कोई रास्ता ही नहीं था, उन्होंने बहन बन चुकीं देवी लक्ष्मी को उपहार स्वरूप भगवान विष्णु को उन्हें लौटा दिया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद देवी लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु अपने बैकुंठ धाम लौट आए।
रक्षा बंधन के दिन पुरोहित या ब्रह्मण आपके हाथ में धागा बांधते यहीं सूत्र " येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:" दोहराते हैं जो देवी लक्ष्मी राजा बलि को राखी बांधते हुए कहती हैं और आपको राजा बलि की तरह चिरंजीवी होने की कामना करते हैं।
HappyOnam!

English Translation:

Many Malyali were our co-workers when I was working as Engineer in a Central Govt undertaking. Before the charm of the Middle East, Malyalis were omnipresent in India in all walks of life - from nurses, clerks even Chairmen of large companies. Earlier a saying was very famous that when Neil Armstrong landed on the moon, a Malayali tea shop owner welcomed him with coffee. Hope our Vikram Lander also finds a Malayali there. After all, our first rocket that carried on carts and cycle was launched from Thumba in Kerala itself. Well, I had seen my Malyali colleagues celebrating two festivals with great pomp. Ayyappa Puja and Onam. This blog is on Onam which will be is being celebrated this year from 20th August 2023 to 31st August.
Onam is celebrated to celebrate the return of the heroic Bhaktavatsala King Bali to earth. Maharishi Kashyap is considered the progenitor of all living beings. His wives were Diti and Aditi who were daughters of Daksha Prajapati. Diti was the mother of demons and Aditi was the mother of gods. Diti had two sons Hiranyaksha and Hiranyakashyap. Hiranyaksha was killed by the Varaha avatar of Sri Vishnu and Hiranyakshyap was killed by the Narasimha avatar. Prahlad, the son of Hiranyakashyap, was a devotee of Vishnu. King Bali was grandson of this bhakt Prahlad. King Bali, the master of all the three worlds, was very mighty and was loved by his subjects . During 99th yagya being performed by king bali, Vishnu appeared in the form of a dwarf Vamana Brahmin just 52 fingers tall. After this Yagya, the King Bali was sure to be Indra. Vaman asked for three steps of land from Danveer Bali as Daan. Seeing the small feet of Vamana, the Daan of just three steps of land did not match Bali's fame and he proposed a donation of many cows and money along with the land, but Vamana Brahmin remained firm on his three steps. Bali donated three steps of earth by taking Ganga water in his hand. Then Shri Vishnu appeared in his real majestic form and measured both heaven and earth in two steps. For the third step, Bali presented his head. Vishnu banished him forever to Patala where he still reigns. Bali is one of the seven Chiranjeevis. Vishnu granted Bali the boon of coming back to earth once a year among the beloved subjects of his kingdom. King Bali returns every year to his beloved subjects for ten days and these ten days are celebrated as Onam festival in and around Kerala.
Bali had donated everything, so Lord Vishnu asked him to ask for a boon. King Bali asked God for a boon to reside with him in the patal lok. Bound by the boon, Lord Vishnu accompanied King Bali to Patal Lok. But this caused a problem to Goddess Lakshmi (wife of Sri Vishnu), if Lord Vishnu resides in Patal Lok then Baikunth Dham which is his place will remain vacant, she herself will also be left alone. Goddess Lakshmi did not want to be alone and so she reached Patal Lok to bring back Sri Vishnu but it was not so easy to bring Sri Vishnu back from Patal Lok bound by the boon given by him.
Goddess Lakshmi pleaded a lot with King Bali to return Lord Vishnu to her but King Bali did not agree. So a way was found, Goddess Lakshmi tied Raksha Sutra (Rakhi) in the hand of King Bali and chanted 'येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:’
Through this Raksha Sutra both Goddess Lakshmi and King Bali became brother and sister and Goddess Lakshmi demanded Lord Vishnu from King Bali as a gift. Now there was no way to say no in front of King Bali, he returned Lord Vishnu as a gift to Goddess Lakshmi who had become his sister. After this whole incident, Lord Vishnu along with Goddess Lakshmi returned to his Baikuntha Dham.
Remember on the day of Raksha Bandhan while tying thread on your hand, the priest or Brahmin repeats the mantra "येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:" which Goddess Lakshmi says while tying Rakhi to King Bali and wishes you to live long life King Bali.

Happy Onam !

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