Monday, July 14, 2025

सावन में शिव के धाम भाग -1

सावन के महीने में शिव दर्शन के लिए यात्राओं और आस पड़ोस की मंदिरों पर समर्पित है मेरा यह ब्लॉग सीरीज । सबसे पहले उन यात्राओं के पर मैं लिख रहा हूँ जो मैंने नहीं किया या पूरा नहीं कर पाया और अपने उम्र के इस पड़ाव में कर न पाऊँ पर मैंने जो भी जानकारी उपलब्ध की अपने उन जानने वालों से जिन्होंने यात्राएं की या फिर अन्य साधनों से जो मैंने इस आशा से कभी एकत्रित की की कभी वहां जा पाऊं। कुछ जानकारी पुरानी हो सकती है , कृपया कमेंट में बताये मैं सही जानकारी से ब्लॉग को revise कर दूंंगा। पहले भाग मैं अपने एक पुराने ब्लॉग को नई जानकारी से पुनः प्रस्तुत कर रहा हूँ।

कैलाश मानसरावर यात्रा (ट्रेक)
मैने अपने एक पुराने web page मे कई जगहों की तीर्थ यात्रा के बारे में लिखा है। मैने बैद्यनाथ धाम की कांवर यात्रा को मिला कर 7 ज्योतिर्लिंग की यात्रा भी की पर कई यात्राऐं जैसे वैष्णों देवी, केदारनाथ और कैलाश मानसरोवर मेरे Bucket List में ही रह गए और मै Senior से Super Senior हो गया। केदारनाथ के रास्ते सोनप्रयाग से लौट आना पड़ा क्योंकि आगे रास्ता VIP भ्रमण के लिए बंद थे ऐसे हमारी मंज़िल भी त्रियुगी नारायण ही थी और वहां भी नहीं जा पाया। कैलाश मानसरोवर पर है मेरा यह लेख। अन्य जगह तो जा सकता हूँ खास कर घोड़ा या हेलीकाप्टर से पर मानसरोवर के लिए तो मेडिकल टेस्ट पास करना होगा जाना चाह कर भी शायद मै न जा पाऊँ। ऐसे कुछ सालों पहले मेरी एक सिनियर रिश्तेदार कैलाश मानसरोवर नेपालगंज से हवाई मार्ग से तिब्बत बोर्डर और वहाँ से बाकी की यात्रा SUV से पूरी की तो मेरा मनोबल बढ़ गया है। यदि ऊंचाई पर होने वाली दिक्कतें झेल पाऊ तो जा भी सकता हूँ।

मेरे सीनियर रिश्तेदार की कैलाश मानसरोवर यात्रा 2018

हिंदू शास्त्रों के अनुसार कैलाश पर्वत पर भगवान शिव का वास है। कैलाश मानसरोवर क्षेत्र जैन धर्म और बौद्धों के लिए भी पवित्र है। कैलाश ट्रेक भारत सरकार द्वारा हर साल जून से सितंबर के बीच लिपु-लेख पास (उत्तराखंड) वाले मार्ग से या नाथुला पास (सिक्किम) वाले मार्ग से आयोजित किया जाता है ये दोनो ट्रेक सभी सक्षम भारतीय नागरिकों के लिए खुला है जिनके पास होना चाहिए वैध भारतीय पासपोर्ट और धार्मिक इरादा। तीन मार्ग नेपाल के रास्ते से भी मौजूद हैं । यात्रा सड़क मार्ग और उच्च ऊंचाई पर ट्रेकिंग का मिश्रण है। यात्रियों का चुनाव नीचे दिए तरीके से किया जाता हैं ।
Goverment Advisory for this yatra

Yatris need to spend 3 or 4 days in Delhi for preparations and medical tests before starting the Yatra. Delhi Government arranges comman boarding and lodging facilities free of cost for Yatris only. Yatris are at liberty to make their own arrangements for boarding and lodging in Delhi.
The applicant may do some basic checks to determine their state of health and fitness before registering on-line. However, this will not be valid for the medical tests to be conducted by DHLI and ITBP in Delhi before the Yatra.

Advisory: The Yatra involves trekking at high altitudes of up to 19,500 feet, under inhospitable conditions, including extreme weather, and rugged terrain, and may prove hazardous for those who are not physically and medically fit. The itinerary provided is tentative and visits to the places are subject to local conditions at any point of time. The Government of India shall not be responsible in any manner for any loss of life or injury to a Yatri, or any loss or damage to property of a Yatri due to any natural calamity or due to any other reason. Pilgrims undertake the Yatra purely at their own volition, cost, risk and consequences. In case of death across the border, the Government shall not have any obligation to bring the mortal remains of any pilgrim for cremation to the Indian side. All Yatris are, therefore, required to sign a Consent Form for cremation of mortal remains on the Chinese side in case of death.

This Yatra is organized with the support of the state governments of Uttarakhand, Delhi, and Sikkim; and the cooperation of Indo Tibetan Border Police (ITBP). The Kumaon Mandal Vikas Nigam (KMVN), and Sikkim Tourism Development Corporation (STDC) and their associated organizations provide logistical support and facilities for each batch of Yatris in India. The Delhi Heart and Lung Institute conducts medical tests to determine fitness levels of applicants for this Yatra.

लिपु लेख दर्रा हो कर कैलाश मानसरोवर यात्रा ।

यह एक पारंपरिक मार्ग है और नाथू-ला-पास हो कर नए मार्ग के खुलने तक भारत होते हुए मानसरोवर तक जाने का एक मात्र मार्ग था । इस मार्ग से यात्रा करने पर ज्यादा दूरी तक पैदल ट्रेकिंग करनी पड़ती थी (लगभग 200 किमी) बाकि की यात्रा चीनी बसों , एसयूवी द्वारा की जाती हैं । कुछ दूर तक एक नए रोड का उद्घाटन माननीय राजनाथ सिंह ने कुछ साल पहले किया था। इस मार्ग से ट्रैकिंग की दूरी काफी काम हो गई है । अब गाला से लिपुलेख पास तक की यात्रा पैदल करनी होती है बाकि की यात्रा यानि धारचूला से गाला तक SUV से की जाती है , यदि रोड ठीक हो और कोई भू स्खलन नहीं हुआ हो। कैसे जाना हैं वह उपर दिए मानचित्र से स्पष्ट है। लिपु लेख के बाद औसत ऊँचाई MSL से ऊपर 4500-5300m के बीच है। अच्छे मौसम में यात्रा में 22-25 दिन लगते हैं लागत लगभग 1.8 लाख रुपये ।

नाथू ला दर्रा होकर कैलाश- मानसरोवर यात्रा

नाथुला हो कर कैलाश - मानसरोवर मार्ग पूरी तरह से मोटर से की जाती है और इसमें केवल 8 दिन लगते हैं। अधिकतम ट्रेकिंग की दूरी लगभग 35 किमी ही है। २०१८ में इसकी कीमत करीब 2 लाख रुपये थी ।

नेपाल हो कर कैलाश - मानसरोवर यात्रा

नेपाल हो कर कैलाश मानसरोवर जाने के तीन प्रचलित मार्ग हैं ।
रूट A. लखनऊ-नेपालगंज-सिमीकोट-हिल्सा-कैलाश मानसरोवर । कैलाश मानसरोवर पहुंचने के लिए एक लोकप्रिय मार्ग है। इस रूट में सिमीकोट तख आप हवाई यात्रा करते हैं और सिमीकोट से हिलसा के लिए एक हेलीकॉप्टर लेते हैं। हेलीकॉप्टर लेना तेज है और सुविधाजनक है लेकिन तुलनात्मक रूप से अधिक महंगा है। इस मार्ग से कैलाश पर्वत की यात्रा में परिक्रमा के साथ 8 दिन लगते हैं और से परिक्रमा के बिना 5 दिन।‌ नेपालगंज यदि आपके पास है तो इस मार्ग की पुरज़ोर अनुशंसा की जाती है। समय न्युनतम लगेगा।
जाने का सबसे अच्छा समय: मई, जून, सितंबर (जुलाई-अगस्त पर्यटन मानसून से प्रभावित हो सकते हैं।
नीचे लिंक पर क्लिक करे और जाने यात्रा और बातें विस्तार से।
हवाई मार्ग - हेलीकाप्टर - सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा

रूट B. काठमांडू - क्यारोंग - कैलाश मानसरोवर कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए एक थल मार्ग (over land) मार्ग है यात्रा जिसमें लगभग 14 दिन लगते हैं। अभी कुछ दिन पहले इसी मार्ग में स्थित मैत्री पुल बह गया है। जाने का सबसे अच्छा समय: मई-सितंबर। 2018 में लागत INR 1.5 लाख। ऑपरेटर के साथ जांचें

रूट C. काठमांडू - ल्हासा - कैलाश मानसरोवर - आप ल्हासा के लिए उड़ान भरेंगे और फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सड़क मार्ग से जाएंगे और लगभग 15 दिन लगते हैं। यह सबसे अच्छा है यदि आपके पास पर्याप्त समय है और आप ल्हासा और कैलाश मानसरोवर दोनों की यात्रा करना चाहते हैं

जाने का सबसे अच्छा समय: मई-सितंबर। ऑपरेटर से संपर्क करें। 2018 में लागत INR 4 लाख

इसके सिवा दर्शन के दो और तरीके है या यों कहे तीन तरीके। पहला हवाई दर्शन : नेपाल गंज से एक हवाई जहाज से नेपाल चीन के सीमा तक ले जाते है और हवाई जहाज से ही कैलाश पर्वत के दर्शन कर सकते है।

पायलट भतीजे द्वारा खींचा फोटो

इसमें वीसा , उम्र , हेल्थ चेक अप की कोई परेशानी नहीं। नीचे लिंक पर क्लिक करे और जाने और बातें विस्तार से। खर्च ४३५००/- प्रति व्यक्ति ।

लखनऊ - नेपालगंज - हवाई दर्शन - नेपालगंज - लखनऊ।

अब भारत की धरती से भी कैलाश दर्शन किया जा सकता है। अदि कैलाश और ॐ पर्वत के साथ पुराने लिपुलेख के पास से कैलाश दर्शन के स्थान को हाल के वर्षों में बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन ने खोज निकला। KMVN इसके लिए एक यात्रा भी Organize करता है गुंजी तक हलोकॉप्टर फिर रोड से। उनके web साइट पर इसका खर्च दिखाता है ८००००/- प्रति व्यक्ति। हवाई दर्शन के मुकाबले ऐसे यात्रा में कैलाश दर्शन के लिए काफी समय मिलता है। लिंक पर क्लिक करे और ज्यादा सूचना मिलेगी।

उत्तराखंड से कैलाश दर्शन।

अब अंतिम तरीका अत्यंत साहसी लोगों के लिए। मैंने एक यू ट्यूब वीडियो में नेपालगंज से सिमीकोट हो कर लिमि लाप्चा (नेपाल) तक मोटर साइकिल से जाने का वीडियो देखा था पर रोड अभी बन ही रहा है, और बहुत बड़े बड़े पत्थरो के बीच से बाइक ले कर गए जो साधरण लोगों के लिए शायद संभव न हो । पुलिस वाले मना भी। करते है, पर सिमिकोट तक हवाई मार्ग से और वहां से लिमि - लाप्चा तक सड़क मार्ग से जाया जा सकता है। कुछ टूर ऑपरेटर इसका इंतजाम भी कर देते है । लाप्चा से कैलाश का साफ़ साफ़ दर्शन हो जाता है क्योंकि एरियल दूरी कुछ ७-१० KM की ही होती है। लिंक दे रहा हूँ।

नेपाल के धरती (Limi Laapcha ) से कैलाश दर्शन।
अगले भाग में और कुछ जानकारी ले कर आऊंगा। तब तक हर हर महादेव।

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