सावन के महीने में शिव दर्शन के लिए यात्राओं और आस पड़ोस की मंदिरों पर समर्पित है मेरा यह ब्लॉग सीरीज । सबसे पहले उन यात्राओं के पर मैं लिख रहा हूँ जो मैंने नहीं किया या पूरा नहीं कर पाया और अपने उम्र के इस पड़ाव में कर न पाऊँ पर मैंने जो भी जानकारी उपलब्ध की अपने उन जानने वालों से जिन्होंने यात्राएं की या फिर अन्य साधनों से जो मैंने इस आशा से कभी एकत्रित की की कभी वहां जा पाऊं। ये दूसरा भाग अमरनाथ जी की यात्रा पर लिख रहा हूं।
विकी मिडिया और हिन्दुस्तान से साभार
अमरनाथ की कथा
अमरनाथ गुफा जम्मू और कश्मीर में स्थित एक पवित्र गुफा है, जो भगवान शिव को समर्पित है।
अमरनाथ जी की कथा यह है: देवी पार्वती के मन को एक प्रश्न उद्वेलित कर रहा था कि शिव तो अजर अमर है पर मुझे हर जन्म के बाद नए स्वरूप में जन्म ले कर शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करनी पड़ती है। एक बार देवी पार्वती ने देवों के देव महादेव से यह पूछ ही लिया।
महादेव ने पहले तो देवी पार्वती को टालने की कोशिश की। पर त्रिया हठ के आगे किसकी चली है ? उन्हें यह गूढ़ रहस्य उन्हें बताने ही पडे़। शिव महापुराण में इस कथा का वर्णन है जिसे भक्तजन अमरत्व की कथा के रूप में जानते हैं।
भगवान शिव एक ऐसा स्थान ढूंढ़ने लगे जहां यह कथा देवी पार्वती के सिवा कोई और न सुने।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अमरनाथ की गुफा ही वह स्थान है जहां भगवान शिव ने पार्वती को अमर होने के गुप्त रहस्य बतलाए थे, उस दौरान वहां उन दो दिव्य ज्योतियों के अलावा तीसरा कोई प्राणी नहीं था। न महादेव का नंदी और न हीं उनका नाग, न सिर पर चंद्रमा और न ही गणपति, कार्तिकेय….!
महादेव ने अपने वाहन नंदी को सबसे पहले छोड़ा, नंदी जिस जगह पर छूटा, उसे ही बैलगांव या पहलगाम कहा जाने लगा। अमरनाथ यात्रा यहीं से शुरू होती है। यहां से थोडा़ आगे चलने पर शिवजी ने अपनी जटाओं से चंद्रमा को अलग कर दिया,
वो स्थान चंदनवाड़ी कहलाती है। इसके बाद गंगा जी और पंच तत्वों को पंचतरणी में और कंठाभूषण सर्पों को शेषनाग नामक स्थानों पर छोड़ दिया।
अमरनाथ यात्रा में अगला पडा़व है गणेश टॉप, मान्यता है कि इसी स्थान पर महादेव ने पुत्र गणेश को छोड़ा। इस जगह को महागुणा का पर्वत भी कहते हैं। इसके बाद महादेव ने जहां कीट पतंगों को त्यागा, वह जगह पिस्सू घाटी है।
इसके पश्चात् पार्वती संग एक गुफा में महादेव ने प्रवेश किया। तांकि कोई तीसरा प्राणी व्यक्ति, पशु या पक्षी गुफा के अंदर घुस कथा को न सुन सके इसलिए उन्होंने चारों ओर अग्नि प्रज्जवलित कर दी। फिर महादेव ने जीवन के गूढ़ रहस्य की कथा सुनाई।
अमरनाथ यात्रा का पंजीकरण
चारधाम की तरह अमरनाथ यात्रा करने के लिए भी पहले पंजीकरण करना जरूरी है। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से पंजीकरण किया जा सकता है। ऑनलाइन पंजीकरण श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) की आधिकारिक वेबसाइट jksasb.nic.in पर किया जा सकता है। ऑफलाइन पंजीकरण जम्मू-कश्मीर बैंक, येस बैंक, पीएनबी बैंक और एसबीआई की कई शाखाओं में किया जाता है।
आवश्यक बातें।
13 से 70 वर्ष के व्यक्ति ही यह यात्रा कर सकतें हैं। अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रशन करते समय आपके पास अपनी 4 पासपोर्ट साइज फोटो, वेरिफिकेशन के लिए आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस में से कोई एक चीज होनी चाहिए। आप जिस राज्य में रहते हैं, वहां के डॉक्टर का बनाया हुआ हेल्थ सर्टिफिकेट और यात्रा एप्लिकेशन फॉर्म की जरूरत होती है। आनलाइन आवेदन में यही सब अपलोड करना पड़ता है। रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ रकम भी जमा करनी पड़ती है जो 2025 के लिए 220/- रूपए है।
अमरनाथ यात्रा रजिस्ट्रेशन के बाद क्या होता है ?
1. यात्रा परमिट (Yatra Permit):
रजिस्ट्रेशन के बाद, आपको एक यात्रा परमिट मिलेगा, जिसमें आपकी जानकारी, यात्रा की तारीख और मार्ग (बालटाल या पहलगाम) का उल्लेख होगा।
2. मेडिकल जांच:
आपको किसी अधिकृत अस्पताल से स्वास्थ्य प्रमाण पत्र (CHC) प्राप्त करना होगा।
3. बायोमेट्रिक और आधार सत्यापन:
आपको सरस्वती धाम में बायोमेट्रिक और आधार सत्यापन करवाना होगा।
4. RFID कार्ड:
सत्यापन के बाद, आपको RFID कार्ड जारी किया जाएगा।
5. यात्रा:
RFID कार्ड और अन्य आवश्यक दस्तावेजों (जैसे स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, फोटो, आदि) के साथ, आप अपनी चुनी हुई तिथि और मार्ग से यात्रा शुरू कर सकते हैं।
6. यात्रा के दौरान:
यात्रा के दौरान, आपको सुरक्षा जांच से गुजरना होगा और आवश्यक निर्देशों का पालन करना होगा।
7. दर्शन:
पवित्र गुफा में भगवान शिव के दर्शन करने के बाद, आप अपनी यात्रा समाप्त कर सकते हैं।
अमर नाथ यात्रा पर जाने के भी दो रास्ते हैं। एक पहलगाम होकर और दूसरा उत्तर सोनमर्ग के समीप बालटाल से। यानी कि पहलगाम या बालटाल तक किसी भी सवारी से पहुँचें, यहाँ से आगे जाने के लिए अपने पैरों का ही इस्तेमाल करना होगा। अशक्त या वृद्धों के लिए सवारियों का प्रबंध किया जा सकता है। पहलगाम से जानेवाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा जाता है। इसमें 3 दिन लगते है।
फोटो भास्कर के सौजन्य से
बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल १४ किलोमीटर है लेकिन यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है और इसे 1 दिन में पूरा करना होता है। इसीलिए सरकार इस मार्ग को सुरक्षित नहीं मानती और अधिकतर यात्रियों को पहलगाम के रास्ते अमरनाथ जाने के लिए प्रेरित करती है। इस रास्ता उनके लिए है जिन्हें रोमांच और जोखिम लेने का शौक रखने वाले लोग इस मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं। इस मार्ग से जाने वाले लोग अपने जोखिम पर यात्रा करते है। पहलगाम से घोड़े खच्चर मिलते है पर बालाटाल से पैदल ही एक मात्र विकल्प है ऐसे डांडी जिसमें एक कुर्सी पर बैठ कर चार लोग के कंधे पर जाया जाता है अवश्य मिलता है। पैदल को छोड़ सभी विकल्प महंगे होते हैं।
उपर दिए सारी जानकारी मैंने internet से ली है। अगले ब्लॉग में कुछ और शिव मंदिरों के बारे में लिखूंगा।
Tuesday, July 22, 2025
अमरनाथ सावन में शिव के धाम भाग -2
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