विकीपीडिया से साभार
अक्सर मेरे नाम बताने पर लोगों के चेहरे के भाव बदल जाते हैं। अमिताभ बच्चन बड़ी हस्ती है। पर लोगों के चेहरे पढ़ने पर लगता है कि वे कह रहे हो "कहां राजा भोज कहां गंगु तेली" और मैं अपने नाम पर झुंझला उठता और उसी झुंझलाहट मैं जो लिख बैठा वो हाजिर है।
वो परेशान था
अपनी परेशानी
एक कागज पर लिख आया
मजा़क में कोई दूसरा उसे
लाल डब्बे में डाल आया
मोबाइल के ज़माने में
खाली पड़े उस डब्बे में
पत्र पड़ा देख डाकिया
पहले तो घबराया
फिर खुश हो कर
कागज के उस टुकड़े को
डाकघर ले आया
सभी खुश थे कि कुरियर के
इस जमाने में
कोई तो है चिठ्ठी लिखने वाला
कोई "बैरंग" लिफाफा ले आया
किसीने उस पर 'स्टांप ड्यू' का
मोहर चस्पाया
और मजा लेने को
पता "अमिताभ बच्चन" लिखवाया
रास्ते में "बच्चन" धुल गया
नाम में क्या रखा है को झुठलाते
मुझसे डबल चार्ज ले कर डाकिया
वह पत्र मुझे दे गया
और मैं सोचने लगा मेरे
माता पिता ने मेरा नाम
अमिताभ क्यों रखा होगा ?
जब मै जन्मा हूंगा
8 वर्षीय अमिताभ बच्चन का
कोई नाम न होगा ।
शायद मेरे माता-पिता
हरिवंश राय बच्चन के
प्रशंसक रहे होंगे
और आज मैं डबल पोस्टल
स्टांप के पैसे चुका रहा हूं।
अमिताभ कुमार सिन्हा, रांची
Thursday, May 22, 2025
मेरा नाम भी अमिताभ है।
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बहुत आच्छा लागा
ReplyDeleteHahaha .... Nice one.
ReplyDeleteअसीम प्रकाश/असीम वैभव जी
ReplyDeleteबधाई और शुभकामनाएं
बहुत ही सुंदर रचना
Well versed
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