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Wednesday, March 29, 2023

अजंता की गुफाएं, पत्थर पर उकेरा एक कैनवास (#यात्रा)

अजंता: एक विश्व धरोहर स्थल

भारत के गुफा समूह


भारत में गुफाओं के कई समूह हैं, जो ज्यादातर बौद्ध मठों और चैत्यों के रूप में उपयोग किए जाते थे। मुझे ऐसे कम से कम 5 गुफा समूह जैसे अजंता, एलोरा, कन्हेरी (महाराष्ट्र में सभी 3), खंडगिरी और उदयगिरि (उड़ीसा में) की यात्रा  करने का अवसर मिला है।अक्सर बौद्ध गुफाएं चैत्य (ध्यान / अर्चना स्थल) या विहार (निवास) में बटीं रहती है। इस आलेख में हर गुफा का प्रकार देने की कोशिश की गई है।



अजंता के लिए मेरा जुनून


मैं पहली बार 1969 में एक छात्र के रूप में अजंता गया था तब हम जलगांव में रुके थे। मेरे पास फ्लैश के बिना एक एग्फा क्लिक 3 कैमरा था और मैंने शायद केवल एक तस्वीर ली - अजंता का एक ओवरऑल व्यू।मुझे लगता है कि हम तब गुफा संख्या 16 से आगे नहीं बढ़े थे। हालांकि, मैं 1997 में फिर से गया जब हम दोनों अपनी बेटी के साथ भुसावल के रास्ते उसे इंदौर छोड़ने गए थे। तब हमें भुसावल में रात में रुकने की जरूरत पड़ी थी। मैंने ग्रुप को अजंता की यात्रा का सुझाव दिया, जिसे मेरी पत्नी और बेटी ने कृपा पूर्वक स्वीकार कर लिया। मेरे पास उस यात्रा की लगभग मात्रा 8 तस्वीरें हैं। बाद में 2002 में एक बार मैं ऑफिस ट्रिप पर औरंगाबाद गया था और फिर से गुफाओं का दौरा करने से खुद को रोक नहीं पाया। 2012 में नासिक और शिरडी परिवार के साथ यात्रा पर गया तब, हमने औरंगाबाद, दौलताबाद, एलोरा और अजंता की यात्रा की भी योजना बनाई। मैं अपनी पत्नी के साथ हाल ही में इस यात्रा की  तस्वीरों को फिर से देख रहा था और फिर महसूस किया कि गाइड ने पेंटिंग और मूर्तियों के बारे में जो कहानियां सुनाई थीं, वे हम दोनों के सामूहिक स्मृति से लगभग गायब हो गई थीं। अब मैं उनमें से कुछ को याद करने की कोशिश कर रहा हूं।



मेरा कॉलेज ट्रिप 1969

1997 में की गई हमारी यात्रा1997 की यात्रा में देखी गई गुफाओं में से एक

कैसे पहुंचे ?

सड़क मार्ग से। औरंगाबाद अजंता की गुफाओं से केवल 100 किमी और एलोरा की गुफाओं से 30 किमी दूर है। अजंता गुफाओं तक पहुंचने के लिए आप एक स्थानीय टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या राज्य द्वारा संचालित बसों से यात्रा कर सकते हैं। ...

अजंता में गुफा देखने के लिए डोली सेवा

रेल /वायु मार्ग द्वारा :- औरंगाबाद रेल, हवाई मार्ग द्वारा मुंबई और पुणे से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जलगांव स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। अजंता में विकलांग या बुजुर्गों के लिए डोली सेवा उपलब्ध है।


अजंता की गुफाओं की सरंचना
गुफा की खोज :

अजंता चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाएं लगभग 30 पूजा हॉल या चैत्य मठों या विहारों का समूह हैं, जो घोड़े के नाल (Horse shoe) के आकार की खाई के किनारे स्थापित हैं। गुफाओं का निर्माण दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 480 ईस्वी के बीच किया गया था। 1983 से यह एक विश्व धरोहर स्थल है। गुफाओं की खोज 1819 में ब्रिटिश बॉम्बे प्रेसीडेंसी अधिकारी जॉन स्मिथ द्वारा संयोग से की गई थी, जिन्होंने शिकार अभियान के दौरान गुफा नंबर 10 का प्रवेश द्वार देखा था। हालांकि, उन्होंने एक कॉलम पर अपना नाम और तारीख लिखते समय कुछ भित्ति चित्रों को क्षतिग्रस्त कर दिया। चित्रों को संरक्षित करने के कई प्रयास किए गए। चित्रों की पहली प्रति 1844 में रॉबर्ट गिल द्वारा बनाई गई थी, जो 1866 में लंदन में आग में नष्ट हो गई थी। बाद में जॉन ग्रिफिथ्स, जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स, मुंबई में तत्कालीन प्रिंसिपल, और उनके कुछ छात्रों ने गुफाओं में 2 दशक बिताए और 300 चित्र और बनाये । उन्हें लंदन भेजा गया और इसमें से लगभग 100 फिर से नष्ट हो गए । 166 चित्र अभी भी लंदन में हैं और आखिरी बार 1955 में प्रदर्शित किए गए थे। हालांकि इनमें से 21 पेंटिंग अभी भी जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में उपलब्ध हैं। Art work का एक फोटोग्राफिक सर्वेक्षण भी 1920 में क्षेत्र के तत्कालीन शासक निजाम द्वारा प्रायोजित किया गया था।

गुफाओं का इतिहास और निर्माण का समय :

गुफाओं को अब नम्बर दिए गए है, हालांकि ये नम्बर किसी भी कालानुक्रम के हिसाब से नहीं डाले गए। गुफाओं को 2 चरणों में बनाया गया था। जबकि सातवाहन या मौर्य काल (इतिहासकार इस पर भिन्न  मत रखते हैं) यानी 200 ईसा पूर्व से 100 ईसा पूर्व के बीच पहले चरण में सात गुफाओं का निर्माण किया गया था। ये गुफाएं बुद्ध की किसी भी मूर्ति के बिना है और हिनायन गुफाएं हैं, जो शायद सामुदायिक प्रयासों से बनाई गई हैं। गुफा संख्या 10 शायद यहां बनी सबसे पुरानी गुफा थी, इन गुफाओं में हिनायन दर्शन के आधार पर कम सजावट है। भित्ति चित्र ज्यादातर जातकों पर आधारित होते हैं। गुफा 8 के बारे में इतिहासकारों में मतभेद हैं, और यह माना जाता है कि संभवतः यह दूसरी अवधि की सबसे पुरानी महायान गुफा थी, जिसे बाद में कुछ सोच कर एक चैत्य का रूप दिया गया था, बुद्ध की मूर्ति तब मोनोलिथ पत्थर से नहीं बनाई गई थी, इसलिए ढीली पड़ गई और टूट कर अब गायब हो गयी है।


Cave-9

Cave 10

बाकी गुफाएं महायन बौद्ध धर्म पर आधारित हैं और आमतौर पर इसमें बुद्ध की मूर्तियां और पूजा के लिए एक अलग क्षेत्र या बुद्ध की प्रतिमा के साथ एक गर्भगृह होता है। ये गुफाएं पहले की गुफाओं के दोनों तरफ बनाई गई थीं और इनमें छतों की दीवारें और स्तंभ अच्छी तरह से सजाए गए हैं। दूसरी अवधि की ये गुफाएं 1–7, 11, 14-29 हैं, जो संभवतः पहले की गुफाओं के विस्तार हैं। 450 ईस्वी और 480 ईस्वी के बीच बनी , इन गुफाओं के लिए धन किसी और ने दिए थे । ऐसा माना जाता है कि वाकाका हिंदू राजा हरिसेन या उनके मंत्रियों ने अधिकांश गुफाओं को बनवाया। कुछ गुफाएं जैसे गुफा संख्या 4 को एक अमीर भक्त द्वारा बनवाया गया था। भारतीय स्वर्ण युग यानी गुप्तवंश काल के प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन 450-480 ईस्वी तक आंतरिक मतभेदों और सफेद हूणों के खिलाफ किए गए प्रयासों के कारण, उनका प्रभाव कम हो रहा था ।हून तोर्माना का बेटा मिहिरगुला ही वास्तव में मलावा क्षेत्र का शासक था।

गुफा नम्बर 1


भित्ति चित्रों से प्रेरित कपड़े के डिजाइन





गुफा नंबर -1 बन कर पूरी होने वाली अंतिम गुफा हो सकती है। इसमें अच्छी तरह से संरक्षित चित्र हैं। जिसमें प्रसिद्ध बोधिसत्व पद्म पाणि भी शामिल हैं। इन चित्रों के माध्यम से कई कहानियों को दर्शाया गया है। इस गुफा के चित्र आज भी कपड़े के डिजाइन को प्रेरित करते है ।


Cave 26

Cave-7

Cave 19

Cave-19


Cave-19- Entrance


Cave-26

Sleeping Buddha- Cave 26



Typical Vihar Layout (Later caves)

गुफा-2 गुफा-1 के समान है। इसकी दीवार चित्र संरक्षण की बेहतर स्थिति में हैं।
गुफा -3 को छोड़ दिया गया।
गुफा -4- मथुरा नाम के एक अमीर भक्त द्वारा प्रायोजित
गुफा -5- परित्यक्त
गुफा-6 डबल स्टोरी विहार जिसमें गर्भगृह और दोनों स्तरों में हॉल है।
गुफा -7 में दो बरामदा के साथ एक भव्य अग्रभाग (Facade) है
गुफा -8 एक अस्थिर खनिज परत की खोज के कारण एक और अधूरा विहार छोड़ दिया गया। आधुनिक समय में लगभग नदी के स्तर पर इस गुफा का उपयोग स्टोर और जनरेटर रूम के रूप में किया जाता है।
गुफा-9 हिनियन काल चैत्य।
गुफा -10 हिनियन काल चैत्य.
गुफा -11- 5 वीं शताब्दी विहार
गुफा -12 हिनियन काल विहार 200 ईसा पूर्व से 100 सीई
गुफा -13 हिनियन काल विहार 200 ईसा पूर्व से 100 सीई
गुफा -14- एक और अधूरा विहार है
गुफा -15- एक अधिक पूर्ण विहार है, इसमें चित्र थे, 15 ए सबसे छोटी हिनियन काल की गुफा है
गुफा -16- हरिसेना के मंत्री वराहदेव द्वारा प्रायोजित (धन इत्यादि से) विहार। इसमें बुद्ध का जीवन रेखाचित्र है।
गुफा -17 इसमें सभी गुफाओं के कुछ सबसे अच्छी तरह से संरक्षित और प्रसिद्ध चित्र हैं।
गुफा-18 छोटी गुफा, इसका उद्देश्य ज्ञात नहीं है।
गुफा -19 पांचवीं शताब्दी ईस्वी का एक महायन चैत्य गृह है, जिसमें बुद्ध की खड़ी मुर्ति हैं।
गुफा-20 पांचवीं शताब्दी का विहार।
गुफा -21-से 25: सभी पांचवीं शताब्दी के विहार हैं







गुफा -26 पांचवीं शताब्दी चैत्य गुफा 19 से बड़ी है, जिसमें पूजा हॉल में बैठे बुद्ध की मुर्तिकार के साथ विहार डिजाइन है। इस गुफा में शयन मुद्रा बुद्ध की मूर्ति भी है।
गुफा -27- इसके दो स्तर क्षतिग्रस्त हैं, ऊपरी स्तर आंशिक रूप से ढह गया है
गुफा-28 अधूरा विहार
गुफा -29 अधूरा चैत्य - उच्च स्तर पर 20-21 गुफाओं के बीच स्थित है।
गुफा-30- 1956 में एक लैंड स्लाइड ने फुटपाथ को गुफा-16 तक बंद कर दिया। मलबे की निकासी के दौरान गुफा 15 16 के बीच निचले स्तर पर एक और हिनायन काल विहार गुफा की खोज की गई थी। यह अजंता की सबसे पुरानी गुफा हो सकती है

आईये अब आधुनिक काल में लौटें चले !

Monday, June 1, 2020

एलोरा- चट्टानों पर किया महानतम प्रयोग (#यात्रा)

MENUचट्टानों पर किया महानतम प्रयोग जैन गुफाएँहिन्दू गुफाएंबौद्ध गुफाएं

जब हमारी यात्रा कार्यक्रम को बदलना पड़ा !

2012 में हमारी योजना सिर्फ नाशिक और शिरडी की तीर्थ यात्रा पर जाने की  थी, पर जैसा हमेशा मेरे साथ होता रहा हैैै, जब  यात्रा पर जाने का प्रोग्राम बना तो मेरे मन में आस पास घूम आने की इच्छा जाग गई। हमारे शिर्डी यात्रा के सुत्रधार मेरे छोटे बहनोई कमलेश बाबु थे और उन्हें पूणे जाना था,  उनके प्रोग्राम में औरगांबाद फिट बैठता था अतः एलोरा- अजंता की गुफाओ को घूमने का प्रोग्राम बना। शिर्डी से हम बस से औरगांबाद गए और दो दिन के लिए एस० यू० वी ०  बुक कर लिया गया।  घृष्णेश्वर ज्योतिरलिंग का अभिषेक करने के बाद पहला पड़ाव एलोरा की गुफाए थी। और दूसरे दिन हम अजंता भी गए । अजंता पर मेरा ब्लॉग देखे ।

आस पास की जगहों के दृश्य

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औरंगाबाद के होटल के प्राइवेट डाइनिंग एरिया घृष्णेश्वर ज्योतिरलिंग 
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एल्लोरा गुफा में कल्याण सुन्दर मूर्ति बीबी का मकबरा
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दौलताबाद फोर्ट लेटे हुए हनुमान की मंदिर खुल्ताबाद

एलोरा चट्टानों पर किया महानतम प्रयोग

जहाँ अजंता अपने चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं, एल्लोरा अपने अद्वितीय मूर्तिकला के लिए इसे- "चट्टानों पर किया महानतम प्रयोग"   कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहाँ की गुफाए एक आर्ट गैलरी की तरह है, दीवार फर्श और छत पेन्टिगं के वजाय चट्टानों को काट कर बनाई मुर्तियों से सजी है। एलोरा में भी कई चित्र है पर अच्छी अवस्था में नहीं है।  एलोरा एक यूनेस्को विश्व धरोहर है और दुनिया का सबसे बड़ा मठ-मन्दिर गुफा समुह । औरगांबाद  से 30 कि॰मि॰ की दूरी पर स्थित है। गाड़ी से हम पहले गुफा समूह उत्तर की तरफ गये। गुफा स० 29-21 पार्किंग से नज़दीक था। सभी गुफाएँ सीधी खड़ी चट्टान को काट कर बनाई गई हैं । गुफा 30-34 जैन गुफा है। 13-29 हिन्दू गुफा और शेष 1-12 बौद्ध गुफा है जो दक्षिण के तरफ है।  गुफाओं काे 600-1000 ईसा पूर्व में बनाया गया। सबसे प्रसिद्ध गुफा है गुफा न० 16 जिसे कैलाश मन्दिर भी कहते हैं । 757-783 ई० के बीच राष्ट्रकुट राजा कृष्ण 1 ने इस गुफा का निर्माण पत्थर को उपर से नीचे की ओर तराश कर करवाया । यानी मन्दिर का कंगूरा पहले बना फिर नीचे गढ़ते गढ़ते मन्दिर बना।एलोरा में छोटा कैलाश भी है और है एक इन्द्र सभा। इनके आलावा 25-30 छोटी गुफाए भी है जैसे गणेश लेनी या जोगेश्वरी गुफा जो हम नहीं गए।
पहले  हम लोग 29 न० गुफा के पास वाले पार्किंग में रुके  और आस पास की गुफायों को देख कर  32  न० गुफा के तरफ गए  और जैन गुफाओं को देख आये. अंत में गुफा न० 16 (कैलाश) के पास रुके और गुफा न० 16 से 1 तक देख आये. कुछ गुफाओं का मरम्मत हो रही थी  और बाहर से देख कर संतोष करना पड़ा । पार्किंग के पास चाय नाश्ते की दुकान भी है
सबसे पहले जैन गुफाओं के बारे में बात करते हैं 
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जैन गुफाएँ

एलोरा में पाँच जैन गुफाएँ 9 वीं और  10 वीं शताब्दी की हैं। वे सभी दिगंबर संप्रदाय के हैं। जैन गुफाएँ जैन दर्शन और परंपरा के विशिष्ट आयामों को प्रकट करती हैं। ये गुफाएं तप के एक सख्त अर्थ को दर्शाती हैं - वे दूसरों की तुलना में अपेक्षाकृत बड़े नहीं हैं, लेकिन वे असाधारण रूप से विस्तृत कला कार्यों को प्रस्तुत करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण जैन मंदिर छोटा कैलाश (गुफा 30), इंद्र सभा (गुफा 32) और जगन्नाथ सभा (गुफा 33) हैं। गुफा 31 एक अधूरा चार-स्तंभ वाला हॉल/ मंदिर है। गुफा 34 एक छोटी गुफा है,जिसे गुफा 33 के बाईं ओर से प्रवेश किया जा  सकता है।  
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गुफा न० ३२-३४ गुफा न० ३२
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गुफा न० ३३ गुफा न० ३४
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गुफा न० ३२ गुफा न० ३० छोटा कैलाश
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गुफा न० ३३-सर्वानुभूति गुफा न० ३२

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हिंदू समूह की गुफाएं

हिंदू समूह (गुफाएं 13 से 29)।  इन गुफाओ का निर्माण सातवीं से नवमी शताब्दियों के बीच हुआ था । रचनात्मक दृष्टि और निर्माण >के कौशल के संदर्भ में, ये गुफाएं अतुलनीय  हैं।  इन गुफाओं में  गुफा न० 14, 15, 16, 21 और 29 ज्यादा प्रसिद्ध है 
गुफा न० 13 एक सरल गुफा है, जो संभवतः एक आनाज भंडार था। गुफा न० 14 सम्भवतः  एक बौद्ध विहार था  जो 7 वीं शताब्दी में किसी समय शिव को समर्पित मंदिर में परिवर्तित हुई थी।
गुफा 15, को दसावतर (विष्णु के दस अवतार) गुफा भी कहा जाता है।गुफा न० 16 , एलोरा  के बेहतरीन मंदिरों में से एक है। तीन मंजिला मंदिर में एक शिव नटराज से और एक शिव लिंगम  से उभरते हैं, जबकि विष्णु और ब्रह्मा श्रद्धांजलि देते हैं। गुफाएँ 17 से 20 और गुफाएँ न० 22  से 28  सरल मठ हैं। गुफा न० 21, जिसे रामेश्वर गुफा के रूप में जाना जाता है, में पहले के मंदिरों में दर्शाए गए परिचित शैव दृश्यों की रोचक व्याख्याएँ हैं। मकर (पौराणिक समुद्री जीव) पर खड़ी देवी गंगा की आकृति विशेष रूप से उल्लेखनीय है।बड़ी गुफा न० 29 यानि डुमर लीना, को सरल  गुफाओं में  से एक और कैलाश को पूरी तरह से विकसित मंदिरों में  से एक माना जाता है।



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गुफा न० २९ रावण कैलाश हिलाते हुए गुफा न० २९शिव पार्वती चौपड़ का खेल
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गुफा न० २९ कल्याणसूंदरमूर्ति गुफा २९ अंधकासुर वध
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गुफा न० २९ से २१ गुफा न० २१ रामेश्वरम
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गुफा १६(कैलाश) प्रवेश गुफा १६(कैलाश)
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गुफा १४


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बौद्ध गुफाएं

गुफा  1 से 12 बौद्ध गुफाएं हैं। गुफा 6 को सबसे प्राचीन गुफा माना जाता है, इसके बाद गुफा 5, गुफाएं 2, 3, 4  और फिर गुफाएं 11 और 12. गुफा 11 और 12 तीन मंजिला हैं और एलोरा में बौद्ध परिसर में नवीनतम उत्खनन माना जाता है । एलोरा तांत्रिक (वज्ररायन) बौद्ध  धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। हमें एलोरा में  हीनयान के अस्तित्व का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है। हाँँ महायाान गुफाएँ है यहाँ ।  
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गुफा 9 गुफा 10
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गुफा 10 चैत्य गुफा 11
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गुफा 12 गुफा न० 2
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गुफा 10 गुफा 2
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गुफा 2 गुफा 1-9

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कुछ और फोटो नीचे दिए गए है
गुफा 16गुफा 16गुफा 21
गुफा 32गुफा 10हमारे 8 में से 6 सदस्य
अमृत मंथनगुफा 33गुफा 21

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ट्रेवल ब्लॉग के लिए मेरा यह ब्लॉग देखते रहिये।फिर मिलेंगे।