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Sunday, January 17, 2021

पिठ्ठा पौषाहार।

अभी अभी पूष का महिना बीता है और माँ के बड़े जतन से बनाए कई प्रकार के पिठ्ठा की याद आ गई। पिठ्ठा चावल के आटे का बना एक पकवान है और फसल पकने के समय इसे बनाते है। पूष के महीने में बनने वाले इस व्यंजन को पौषाहार भी कहते है। नए चावल का आटा लिया जाता है फिर उसकी लोई बना कर अन्दर फिलिंग कर पानी में उबाल कर बनाते है। यूं तो पूष में पीठ्ठा बनाने की प्रथा प्राय: पूरे उत्तर भारत में कमोबेस है पर बिहार और पुर्वी भारत में यह बहुत प्रचलित है। बिहार,झारखण्ड, बंगाल, बंगलादेश, असम, उड़ीसा के आलावा केरल में भी ये व्यंजन काफी लोकप्रिय है। ऐसे तो पीठ्ठा कई प्रकार के होते है पर माँ तीन तरह का अक्सर बनाती थी। मै अपने याददाश्त सें उनकी विधि दे रहा हूँ।


चावल के आटे को गरम पानी से कुछ कड़ा कड़ा गूंध लेते है। दाल भर कर बनाना हो तो चना दाल को पानी मे ऊबाल कर छान लेते है और मसालो के साथ थोड़ा भूंज पका लेते है। नमक स्वादानुसार डाल देते है। तब हमारे घर में प्याज लहसन नहीं खाते थे पर पत्नी जी अदरख और लहसन डाल कर बनाती है इससे स्वाद काफी चोखा आता है। गुड़ भर कर बनाना हो तो बस ढ़ेला गुड़ को छोटे छोटे टुकड़े में तोड़ कर फिलिंग के लिए रख लेते थे। गुड़ में कभी कभी नारियल पाऊडर और मेवा भी मिला लेते है।




चावल के आटे की गोल गोल लोई बना कर उसके अन्दर गड्ढा कर दाल या गुड़ की फिलिंग डाल कर मुंह बन्द कर फिर से गोल कर लेते है। बस अब इन लोईयों को एक बरतन मे गरमा रहे पानी मे डाल कर कुछ देर उबाल कर लेते है। पकने के बाद दाल वाला और गुड़ वाला पिठ्ठा तैय्यार हो गया अब गपा गप खा ले गरम गरम ही। मै फिलिंग करने में माँ की मदद कर दिया करता था। गुझिया पिड़किया के आकार में भी पिठ्ठे की फिलिंग की जाती है।




तीसरे प्रकार का पिठ्ठा या पिठ्ठी बनता था खीर की तरह। चावल के आटे की लोई न बना कर उसे छोटे छोटे टुकड़े मे बाट कर दिए के बत्ती की तरह बना कर बड़े चावल के दानों की शक्ल देते है।



इन दानों के पानी के बजाय दूध मे गुड़ या चीनी के साथ पकाते है और खीर की तरह गाढ़ा कर लेते है। मुझे ये वाला भी बहुत पसन्द है। सबसे मजेदार गुड़ वाला होता था जिसे खाते समय गुड़ का घोल पिचकारी की तरह निकल पड़ता। आशा है आप को मैने पुराने दिनों की याद दिला दी । यदि कुछ और प्रकार के पिठ्ठे के बारे मे बताना चाहे तो कमेन्ट कर बता दे मन में न रक्खे।