श्री धर्मेन्द्र सिंह देओल का आज 24 नवंबर 2025 को 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने 1961 से बोलीवुड में कदम रखा था। ये वो समय था जब मैं टीन एज की ओर अग्रसर था और फिल्म देखने का शौक होना शुरू हुआ था। पर मुझे फिल्म देखने की थोड़ी आजादी 14 की उम्र में यानि 1964 में मिली जब महीने में एक फिल्म देखने को मिलता पर जब 15 की उम्र में, हास्टल में रहने गया तो फिल्में देखना एक आवश्यक कार्य के सामान हो गया। नई फिल्म का लगना, पुरानी प्रसिद्ध फिल्म का लगना, एक टिकट में दो खेल का लगना या Exam के बाद या यदि गणित का हो तो पहले (धारना थी कि गणित के दिन रात मे जग कर नहीं पढ़ना चाहिए) यह सब बहाने होते थे। फिल्म देखने के। तब जमाना था राजकपूर, दिलिप कुमार और देवानंद का। राजेश खन्ना का प्रादुर्भाव नहीं हुआ था। तब उनकी एक फिल्म देखी बंदिनी और बहुत पसंद आई थी फिल्म। अन्य प्रमुख अभिनेताओ से काफी युवा, सक्षम धर्मेंद्र जी से तुरंत connect कर पाया फिर देखी काजल जिसमें राजकुमार जैसे सक्षम अभिनेता के सामने भी इस जवान अभिनेता ने बहुत impress किया। फिर देखी अनुपमा। एक upcoming कवि के कठिन भूमिका बहुत खूब निभाई थी। हकीकत के हकीकत से तो सभी वाकिफ हैं। आंखें - शायद पहली जासूसी फिल्म जिसमें हास्य भी था। उनकी कई फिल्म शिकार, आया सावन झूम के, आए दिन बहार के, नीला आकाश इत्यादि पूरी तरह मनोरंजन के लिए थी। पर बहारें फिर भी आएंगी, नया जमाना, जीवन मृत्यु, फागुन, सत्यकाम कुछ हट के थी तो सीता गीता, चुपके चुपके में उनका अलग कामिक अंदाज दिखा। मेरा नाम जोकर,शिकार, मेरा गांव मेरा देश, शोले में दिखा उनका 'ही मैन' वाला रूप। हर तरह का रूप, अभिनय के हर आयाम में महिर यह शख्स, आज अपने करोड़ों प्रशंसकों को छोड़ उस लोक में चला गया जिसके बारे में कहा या पूछा गया है "कि दुनिया से जाने वाले जाने चले जाते हैं कहां"। उन्हें भगवद् चरण में जगह मिले ओम शांति। हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

स्केच श्री दीपक वर्मा के फेसबुक पोस्ट से, धन्यवाद सहित
मैंने कुछ फिल्मों का जिक्र उपर किया है। धर्मेंद्र जी की कुछ और फिल्में जो मैंने देखी है, बड़े पर्दे पर या छोटे पर्दे पर वो है शोला और शबनम, बंदिनी, काजल, आकाशदीप, हकीकत, ममता, आए दिन बहार के, फूल और पत्थर, अनुपमा, देवर, आंखें, शिकार, मेरे हमदम मेरे दोस्त, मंझली दीदी, आया सावन झूम के, सत्यकाम, मेरा नाम जोकर, जीवन मृत्यु, मेरा गांव मेरा देश,नया जमाना, गुड्डी, दो चोर , समाधि, राजा जानी, सीता और गीता, जुगनू, फागुन, यादों की बारात, चुपके चुपके, शोले, बारूद,चरस, स्वामी, ड्रीम गर्ल,चाचा भतीजा, धरम वीर, शालीमार, दिल्लगी, बर्निग ट्रेन, नसीब, मै इंतकाम लूंगी, रजिया सुल्तान, नौकर बीबी का, जागीर, सल्तनत, ओम शांति ओम। मैंने कई फिल्मे और भी देखी होगी पर याद नहीं आ रहा है।
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Monday, November 24, 2025
श्री धर्मेंद्र देओल -श्रद्धांजली
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