आज फ़िजा में इतना शोर क्यों है?
तमन्नाएं चीख पुकार कर रही
मन शोर सुनने को तैयार क्यों है?
फागुन के आने का सबब लगता है
फागुन में इतना चमत्कार क्यों है?
भवनाओं के ववंडर में फंस गया हूं
पर इसमें फंसने का मलाल क्यों हूं?
अमिताभ कुमार सिन्हा, रांची
No comments:
Post a Comment