Tuesday, October 14, 2025

Poetry in motion

ट्रक के पीछे लिखे स्लोगन सच में मजदार तो होते है ड्राइवर के दुखी जीवन के बावजूद उसके हसमुख होने का प्रूफ भी है। सभी यात्रियों ने सड़क पर पढ़ा हैं मैंने COMPILE किया देखे :
Poetry in motion .. slogans behind trucks.
"मालिक की गाड़ी, ड्राइवर का पसीना
चलती है सड़क पर बन कर हसीना !!"

"मालिक की ज़िंदगी बिस्कुट और केक पर
ड्राइवर की ज़िंदगी एक्सिलेरेटर और ब्रेक पर!!"

"पत्ता हूँ ताश का जोकर न समझना,
आशिक हूँ तेरे प्यार का नौकर न समझना!!"

"या खुदा क्यों बनाया मोटर बनाने वाले को,
घर से बेघर किया मोटर चलाने वाले को!!"

"ड्राईवर की ज़िन्दगी में लाखों इलज़ाम होते हैं,
निगाहें साफ़ होती हैं फिर भी बदनाम होते हैं!!"

"चलती है गाड़ी उड़ती है धूल
जलते हैं दुश्मन खिलते हैं फूल!!"

"दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गये
वो उतर कर चल दिये हम गियर बदलते रह गये !!"

"कभी साइड से आती हो, कभी पीछे से आती हो
मेरी जाँ हार्न दे देकर, मुझे तुम क्यों सताती हो!!"

"रूप की रानी चोरों का राजा,
मिलना है तो सोनिया विहार आ जा!!"

"कीचड़ में पैर रखोगी तो धोना पड़ेगा
गोरी ड्राइवर से शादी करोगी तो रोना पड़ेगा!!"

"लिखा परदेस क़िस्मत में, वतन की याद क्या करना
जहाँ बेदर्द हाकिम हों, वहां फ़रियादक्या करना!!"

"पानी गिरता है पहाड़ से, दीवार से नहीं
दोस्ती है हमसे, हमारे रोज़गार से नही!!"

"बुरी नज़र वालों की तीन दवाई,
जूता, चप्पल और पिटाई!!"

सौ में नब्बे बेईमान फिर भी मेरा भारत महान ।

काला कुरता, काला चश्मा, काला रंग कढाई का,
एक तो तेरी याद सताए, दूजा सोच कमाई का

दुल्हन वही जो पिया मन भाये,
गाड़ी वही जो नोट कमाए

अपनो ने मुझे लूटा गैरो में कहाँ दम था
मेरी कश्ती वहॉ डूबी जहाँ पानी कम था

टाटा में मै पैदा हुई हावड़ा में श्रृन्गार हुआ
दिन रात सगं रहते रहते ड्राइवर से मुझको प्यार हुआ

जगह मिलने पर पास मिलेगा

हिम्मत हैं तो पास कर वर्ना बरदाश्त कर


अनारकली, लद के चली।
कुछ नए

बुरी नजर वाले । तू सेल्फी ले ले

2G 3G 4G जहाँ मिले बात कर लो जी

जहाँ जहाँ हम है वहाँ वहाँ दम है।

बुरी नजर वाले तेरे बच्चे जिए।
जब तक जिए तेरा खून पिए।

कमा के खा। नजर न लगा।

धीरे चलोगे बार बार मिलेंगें
वर्ना हरिद्वार मिलेंगें।

दो गज की दूरी है बहुत जरूरी।

प्रेम रंग

प्रेम रंग
प्रेम इक अहसास है इसे अहसास ही रहने दो यारों
रंगों छंदों में इसे बांधने की जिद न करो
किसी के आने से जब मन में खनक जग जाए
किसी के जाने से जब मन में कसक जग जाए
जब आंखों को पढ़ने का शउर आ जाए
जब तारीफ सुन अपने पे गुरूर आ जाए
जब किसी के आंसू तूम्हें बरबस तड़पा जाए
जब किसी की बेरूखी न हो काब़िले बर्दास्त
यही इश्क है यही इश्क है यही इश्क है जनाब
जब भयानक ठंड हो और दे दो अपनी कंबल
हो बारिश और तुम दे‌ दो जब अपना छाता
जब ग़मगीन हो रोने को दे दो अपना कांधा
समझो कि तुम्हें प्यार हुआ प्यार हुआ है प्यारे
इसे प्रेम प्यार या मुहब्बत कह लो
कौन सा रंग है यह, ये तो बताना मुश्किल है
चाहो तो इसे प्रेम रंग कह लो।
बिच्छोह का अलग मिलन‌ का अलग रंग होता है।
कोई भी रंग हो यही तो प्रेम रंग होता है।
अमिताभ, रांची

तीज पर

तीज का आशीर्वाद
हर बोझ नारियों पर डाला
हे राम ! तूने क्या कर डाला
पति का जीवन अछुन्न रहे
इसका व्रत भी करना उसको
पुत्र की आयु अनंत बढ़े
इसका व्रत भी रखना उसको
उनके जीवन के खातिर भी
क्यों कोई व्रत है नहीं बना
पति भी किसी दिन निर्जल सोए
क्यों ऐसा व्रत है नहीं बना
नौ महीने अपने अंदर पाले
पैदा करने का कष्ट सहे
पाले पोसे, वाणी भी दे
डगमग पग को रवानी भी दे
जब नारी पत्नी बन जाय कभी
आशीष भी पति जीवन का मिले !
सौभाग्यवती रहो!
क्या उसका जीवन कुछ भी नहीं?
गर पति है पत्नी का सुहाग
पत्नी भी है पति का सुभाग
किसी एक बिन जग है अंधियारा
संग दोनों चले तो है उजियारा
प्रभु बना रखे दोनों का साथ
यह है इस वृद्ध का‌ आशीर्वाद!
अमिताभ सिन्हा, रांची