फ़र्ज़ करें आप रास्ते पर चले जा रहे हो और अचानक एक कार आपके सामने से गुजर जाती है और आप देख कर हैरान हो जाते हैं कि कार में ड्राइवर ही नहीं है। आप क्या सोचेगे? खुद से चलने वाली कार बाजार में आ गई हैं या डर जाएंगे कि कोई भूत चला रहा है?
ड्राइवरलेस कार या autonomous कार का प्रयोगिक चलन कई अमेरिकन शहर जैसे फिनिक्स, लास एंजेलिस, सेन फ्रांसिस्को में जारी है । कई शहरों में ऐसी कार का उपयोग टैक्सी के रूप में शुरु भी हो गया है।
आम लोगों के लिए ऐसी कार एक भुतहा कार लग सकती है। एक स्टडी के अनुसार ड्राइवरलेस टैक्सी में सफर करना थोड़ा परेशान करने वाला अनुभव हो सकता है, कई लोगों के लिए शुरुआत में थोड़ा डर और अनिश्चितता हो सकती है, लेकिन यह यात्रा करने का एक सुरक्षित और कुशल तरीका भी हो सकता है। कुछ लोगों को यह अनुभव वाकई डरावना लगता है, खासकर इसकी नवीनता। वहीं कुछ लोग इसे ज़्यादा पसंद करते हैं और पारंपरिक टैक्सियों की तुलना में इसे बेहतर भी पाते हैं।
अमेरिका के फिनिक्स और औस्टिन शहर में उबर ने Baidu और Waymo जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी का उपयोग करते हुए, चालक रहित कारों को बतौर टैक्सी तैनात भी कर दिया है । इन चालक रहित वाहनों को Uber की राइड-हेलिंग सेवा में एकीकृत किया जा रहा है, जिससे ग्राहकों को स्वचालित टैक्सी बुलाने का विकल्प मिलेगा । ऊबर वाले अन्य शहरों में भी भविष्य में इन चालक रहित टैक्सियों को लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं। एक समाचार के अनुसार लोग 20-20 चालक सहित टैक्सी को decline कर रहे हैं ताकि उन्हें चालक रहित टैक्सी में सफर का अनुभव मिल सके।
Waymo Taxi San Francisco, फोटो Wiki के सौजन्य से
कैसे चलता है चालकरहित कार
मैं स्टील रोलिंग मिल के कंट्रोल से वाकिफ हूं। इसमें एक mode होता है optimisation ! इस मोड में कंट्रोल सिस्टम में प्रयोग होने वाले फार्मुला हर बार थोड़ा update होता है और एक समय ऐसा आता है सिस्टम इतना perfect हो जाता है कि सही सही product बनने लगता है। यानि हर बार सिस्टम कुछ सीखता है और याद रख लेता है। यही learning process कृत्रिम बुद्घिमत्ता या arficial intelligence का आधार है। जब हम कार चलाते हैं तो हम रोड के दूसरे उपयोग कर्ता के action को predict कर लेते है और तो और रोड के गड्ढे भी हमें याद हो जाते है। Three C का गुरू मंत्र हमें corner, child and cattle से सावधान रहना अवचेतन अवस्था में भी सिखा देता है। मानव मष्तिस्क का यह optimisation ही चालक रहित वाहन में उपयोग होने वाले artificial intelligence के जड़ में है। आखिर सीखने के बाद कई जानवर भी
सरकस में सायकल चला लेता है तो on board computer क्यों नहीं ? चालक रहित कार में हर तरह के सेंसर लगाने पड़ते हैं, आखिर मानव चालक कार में आंख, कान से देख सुन कर रोड के अवरोध, अन्य वाहन की स्थिति, सिग्नल के रंग, रोड पर के लेन मार्किंग, स्पीड लिमिट, वाहनों के हार्न, एम्बुलेंस के सायरन इत्यादि के अनुसार कार चलाते है। इन inputs को अपने अनुभव (यानि learning prpcess या मस्तिष्क के optimisation-जिसमें अन्य चालको के क्रिया प्रतिक्रिया का पुर्वानुमान भी सामिल है) के अनुसार analyze कर एक्सलेटर ब्रेक या स्टेयरिंग को दबाता या घुमाता है। कहना न होगा कि औटोमेटिक गियर वाली या एलेक्ट्रिक वाहन से क्लच पहले ही हट चुका है। लब्बो-लुआब यह है सब function तो चालक रहित कार में भी आवश्यक है। जिसमें सेंसर inputs को analyze करने और कार चलाने या कृयान्वित करने की जिम्मेदारी कार के optimized AI चलित ओन बोर्ड कंप्यूटर की होगी आगे इस पर और चालक रहित कार के औटोमेशन लेवल पर भी चर्चा करेंगे।
Robo racing car, फोटो Wikipedia के सौजन्य से
चालक रहित कारों में सेंसर:
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कैमरे: लेन में बने रहने, ट्रैफ़िक संकेतों की पहचान और वस्तुओं का पता लगाने के लिए दृश्य जानकारी प्रदान करते हैं।
** रडार: वस्तुओं की दूरी और गति मापते हैं, विशेष रूप से प्रतिकूल मौसम की स्थिति में उपयोगी। धुंध में जब मानव की आंखें देख नहीं सकती, वैसे मौसम में भी इसके भरोसे चालक रहित कार चल सकती हैं।
** LiDAR (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग): पर्यावरण का एक 3D मानचित्र बनाता है, जो विशेष रूप से वस्तुओं का पता लगाने और मानचित्रण के लिए उपयोगी है।
** अल्ट्रासोनिक सेंसर: पार्किंग सहायता जैसे नज़दीकी दूरी के पता लगाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
** इनके सिवा वाहन के आंतरिक स्थिति जैसे कार की स्पीड, acceleration, तापक्रम इत्यादि के लिए भी सेंसर होते है।
चालक रहित कारों के लेवल:
कई औटोमेशन feature मानव चलित कार में आने बहुत पहले से आते हैं जैसे ओटोमेटिक गियर,
क्रूश कंट्रोल, कैमरा और proximity sensor / alarm. पर कई feature आते गए जिससे कार में कई आटोमेशन लेवल हो गए।
सोसाइटी ऑफ ऑटोमोटिव इंजीनियर्स (SAE) इंटरनेशनल द्वारा कम कारों को परिभाषित किया गया है, जो स्तर 0 (नो ड्राइविंग ऑटोमेशन) से लेकर, जहाँ चालक का पूर्ण नियंत्रण होता है, स्तर 5 (पूर्ण ड्राइविंग ऑटोमेशन) तक है, जहाँ वाहन बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के, किसी भी परिस्थिति में, कहीं भी स्वयं चल सकता है। ये स्तर प्रौद्योगिकी की प्रगति को दर्शाते हैं।
** जहाँ स्तर 1-2 के लिए चालक की निरंतर निगरानी आवश्यक है,
** स्तर 3 के लिए चालक को विशिष्ट परिस्थितियों में पर्यवेक्षक बनने की अनुमति है, और
** स्तर 4-5 के लिए चालक की न्यूनतम या शून्य भागीदारी के साथ उच्च या पूर्ण स्वचालन की आवश्यकता होती है। ऐसे मेरी राय यह है कि मशीन सब कुछ सीख ले पर मानव मन के छठी इंद्री के सोच को नहीं समझ सकता।
लदा फदा ट्रोला
भारत में यदि ऐसी कार आ जाए
अब आप कल्पना कीजिए भारत में सब कंटीनेंट के शहरो में ऐसी कार लांच हो जाय । उन जगहों में जहां लेन ड्राइविंग ठीक ठाक follow की जाती है ऐसी कार तो आराम से चल लेगी पर जब फास्ट लेन में धीमी ट्रक चल रही हो या तीन लेन घेर कर लदी फदी ट्रोला आगे आगे चल रही या मोटर साइकिल लेन कटिंग कर रहे हो तो ऐसी कार कितनी गति से चल पाएगी यह कोई भी अनुमान लगा सकता है। ऐसे बाइकर्स द्वारा लेन कटिंग तो अमेरिका यूरोप में भी होता ही है आजकल। भारत में तो उन एक्सप्रेस वे पर भी बाइकर्स घुस जाते हैं जहां 2 wheelers बैन है। रास्ते पर पानी भरा हो या भयंकर बर्फ पड़ रही हो तो क्या ऐसी कार चल सकेगी ? पता नहीं।
ट्रैफिक सब कन्टीनेंट में
आशा है अब आप जब कभी भी स्वचलित कार देखेंगे तो उसे भूत चलित समझ कर नहीं डरेंगे, happy undriving !
Thursday, August 21, 2025
चालक रहित (Driverless) वाहन
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बहुत ही ज्ञान वर्धक लेख लेकिन ये ड्राइवरलेस गाड़ी को पटना या काठमांडू जैसे ट्रैफिक में चलाना एक चैलेंज होगा
ReplyDeleteएक पैराग्राफ सब कंटिनेंट में ऐसी कार आने से क्या होगा जोड़ दिया है। Author
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