ॐ गणेशाय नमः
मैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के विषय में कुछ चर्चा करने की हिम्मत कर रहा हूँ और श्री गणेश को इस लिए साक्षी मान रहा हूँ क्योकि वे ऋषि व्यास रचित महाभारत और गीता को सही सही लिपिबद्ध कर पाए। मुझसे कुछ गलती हो जाय तो क्षमा मांगता हूँ।
राम का अर्थ
कहीं पढ़ा था राम तीन अक्षरों से बना है र आ म । र का मतलब है रसातल , आ यानि आकाश म का मतलब है मृत्यु लोक यानि राम में तीनो लोक समाया है। क्योंकि वे त्रिलोकीनाथ है।
अभी अभी राम लला अपने नए भवन में विराजमान हुए है और ख़ुश हू़ कि भारत के अलावा भी 40 देशो में खुशियां मनाई गयी। कुछ समाचार के हेडलाइंस यूँ दिखे :
MEXICO GETS ITS FIRST RAM MANDIR. ...
MAURITIUS ORGANISED A BIG CAR RALLY. ...
SAN FRANCISCO'S TESLA MUSIC SHOW. ...
CALIFORNIANS WAVING SAFFRON FLAGS. ...
Taiwan organises 'Keertan-Bhajan' ...
KENYA ORGANISE RALLY.
Times Square New York Echo with Jai Shri Ram
मन में प्रश्न उठता है क्या है श्री राम ? उत्तर खुद ही सूझ जाता है : राम एक लोक आस्था है। जन मानस में रचा बसा। कई आधुनिक धर्म से भी प्राचीन आस्था। यह कोई संयोग नहीं है कि हमारे रोज कि बोलचाल कि भाषा में राम शब्द का प्रयोग बहुत प्रचलित है कुछ उदाहरण देता हूँ :
राम राम जी - अभिवादन अन्य अभिवादन जैसे राधे राधे या जय श्री कृष्ण
हे राम : जब भी मुश्किल में हो (महात्मा गाँधी के भी अंतिम शब्द )
राम राम : राम राम कर हम पहुँच ही गए
छी छी राम राम : कोई गन्दी वास्तु देख कर
हाय राम : शर्म लज्जा
राम नाम सत्य है : मृत्यु होने पर
अवश्य आपके पास भी कुछ और उदहारण होंगे।
इतना ही काफी नहीं भारत में करीब १२०० शहर ऐसे है जिनके नाम में राम आता है। निष्कर्ष यह है राम हमारे जीवन में रचा बसा है जैसे वह आत्मा हो हमारे समाज का। एक रामगढ़ तो मेरे शहर से सिर्फ ४० कि० मि० पर ही है।
राम के नाम से मेरा और मेरी अंजू दीदी का परिचय बहुत छोटी उम्र में हो गया था। १९५३ में यानि जब मै तीन वर्ष का था। हमलोग तब अपने ननिहाल बेगूसराय (बिहार) में रहते थे और हमारे मौसेरे भाई बहनों के साथ थे कुल १४ बच्चे । कुछ अवश्य बड़े थे और मेट्रिक या ISc में पढ़ते थे। शाम को सिर्फ ३ लालटेन जलाए जाते थे एक रसोई में बाबाजी के पास एक नाना के पास और एक के आस पास हम सभी भाई बहन। पढ़ाने को एक मास्टर साहब आते थे जिनकी छड़ी कुछ भाई बहनो को अवश्य बड़े होने तक याद रह गई होगी। उनके आने पर ही तीसरी लालटेन जलाई जाती बाहर बरामदे में जहां एक बड़ी दरी बिछाई जाती। हमारी स्व मसेरी बहन डा पुष्पा प्रसाद का एक वीडियो मैं एक बार FB पर डाल चूका हूँ की कैसे तब मास्टर साहेब को परेशान करते थे उनके छात्र और इस काम में हमारे छोटे चाचा जी भी शामिल रहते । मास्टर जी के चले जाने के बाद हममे सबसे बड़ी शांति दीदी रामायण का पाठ शुरू करती । सस्वर पाठ होता। हम दोनों (मैं और अंजू दीदी) को सिर्फ मंगल भवन वाला याद रहता। यह मेरा राम और रामायण से पहला साक्षात्कार था। फिर जब जमुई आ गए हमारी छोटी बहन मुकुल के जन्म के बाद तो दादू से सुनाने को मिला "राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट अंत काल पछतायेगा प्राण जब जायेंगे छूट "।
प्रभु से बड़ा प्रभु का नाम
जहाँ अन्य धर्मों में भगवान के दूत , पुत्र या गुरु पूजे या याद किये जाते है हिन्दू धर्म इश्वर के धरती पर जन्म लेने को मानता है और उसे अवतार कहा जाता है । दशावतार में से नौ का धरती पर जन्म हो चुका है । माना जाता है और सिर्फ एक अवतार कल्कि की प्रतीक्षा है। राम विष्णु के सातवें अवतार माने जाते है जिनका जन्म त्रेता युग में हुआ माना जाता है। वे एक सूर्य वंशी राजकुमार थे। इनके वंश में ही गंगा तो धरती पर लाने को विवश करने वाले भगीरथ और सत्यवादी राजा हरिचन्द्र भी हुए । राम एक मर्यादा पुरुषोत्तम अवतार थे। इन्होने मर्यादा का साथ कभी न छोड़ा। गुरु की आज्ञा पर उपद्रवी (यज्ञों का नाश करने वाला ) राक्षसों का वध किया , गुरु आज्ञा पर शिव धनुष तोड़ सीता से विवाह किया , पिता की आज्ञा पर राजगद्दी त्याग चौदह वर्ष की वनवास पर चले गए और एक साधारण मनुष्य के जैसे
पत्नी के वियोग में जगह जगह भटके। पत्नी को खोजने में उन्होंने किसी देवता, राजा महाराजा की मदद नहीं ली। मदद ली सुग्रीव की जो खुद सताया हुआ था और बालि से छिपता फिर रहा था। देवत्व सिर्फ तब जाहिर होता है जब समुद्र के पार श्री लंका तक जाने के लिए पर पुल बनाना पड़ा। उसके नाम लिखते ही पत्थर समद्र में तैरने लग गए। जब श्री राम ने ऐसा देखा तो उन्होंने भी एक पत्थर समुद्र में छोड़ दिया और वो डूब गया। राम ने इधर उधर देखा की किसीने देखा तो नहीं, लेकिन हनुमान देख रहे थे। उन्होंने कहा प्रभु आपने जिसे छोड़ दिया वो तो डूबेगा ही। पर राम लिखते ही वे पत्थर भी तैरने लगे । इसने उस कथन को जन्म दिया "प्रभु से बड़ा प्रभु का नाम"
।
रामायण के कई रूप
सुना ही होगा
हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता।
कहहि सुनहि बहु बिधि सब संता ।।
लेकिन प्रभु राम की कथा लिखी किसने। इस संसार में रामायण के 300 से भी अधिक प्रकार है। शायद पहली राम कथा हनुमान ने लिखी फिर महर्षि वाल्मीकि ने और कलमबद्ध देवर्षि नारद ने किया। महर्षि वाल्मीकि राम के समकक्ष थे और उनकी कथा प्रमाणिक मानी जाती है और अन्य सभी रामायण या रामकथा कुछ अंतर को छोड़ इसी रामायण पर आधारित है। मैंने एक बार इस रामायण के अनुवाद के कुछ अंशों को पढ़ा भी था। थोड़ा लय में नहीं पढ़ पाया। २४००० श्लोको वाला यह काव्य सात कांड में बटा हुआ है क्योंकि इसमें उत्तर कांड नहीं है।
रामायण का इतिहास
वाल्मीकि की रामकथा सिर्फ उनके लिखे रामायण तक सीमित नही रही। महर्षि व्यास रचित महाभारत में भी 'रामोपाख्यान' के रूप में आरण्यकपर्व में यह कथा वर्णित हुई है। पवनपुत्र भीम और हनुमान जी वन पर्व में मिलते है और उनका संवाद भी इसी पर्व में है। इसके अतिरिक्त 'द्रोण पर्व' तथा 'शांतिपर्व' में रामकथा के सन्दर्भ उपलब्ध हैं। महाभारत के बाद बौद्ध और जैन परम्पराओं में भी राम कथा का वर्णन मिलता है। परमार राजा भोज ने चम्पू रामायण लिखी थी। जो ११ वीं शताब्दी में लिखी गयी।
रामायण कई भारतीय और विदेशी भाषाओँ में लिखी गई। विकिपीडिया के अनुसार हिन्दी में कम से कम 11, मराठी में 8, बाङ्ला में 25, तमिल में 12, तेलुगु में 12 तथा उड़िया में 6 रामायणें मिलती हैं। हिंदी में लिखित गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस ने उत्तर भारत में विशेष स्थान पाया। इसके अतिरिक्त भी संस्कृत,गुजराती, मलयालम, कन्नड, असमिया, उर्दू, अरबी, फारसी आदि भाषाओं में राम कथा लिखी गयी। थाईलैंड में एक जगह है अयूथया जिसे वे अयोध्या ही मानते है और यहां के रामायण का नाम है रामकियेन। कम्बोडिया के रामायण का नाम है रामकर , जावा, इंडोनेशिया में तो चार रामायण है सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानी रामकथा। नेपाल में भानुभक्त कृत रामायण है।
आईये इसे एक टेबल के रूप में देखें
देश देश का रामायण
नेपाल | भानुभक्तकृत रामायण, सुन्दरानन्द रामायण, आदर्श राघव |
कंबोडिया | रामकर |
तिब्बत | तिब्बती रामायण |
पूर्वी तुर्किस्तान | खोतानी रामायण |
इंडोनेशिया | ककबिनरामायण |
जावा | सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानी रामकथा |
इण्डोचायना | रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैर रामायण |
बर्मा (म्यांम्मार) | यूतोकी रामयागन |
थाईलैंड | रामकियेन |
भारतीय भाषाओँ में रामायण
कम से कम 2,000 वर्षों से, भारत और श्रीलंका में रामायण के विभिन्न संस्करण बताए गए है और मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया में 1,000 से अधिक वर्षों से; और अब पश्चिम में भी तेजी से बढ़ रहा है और कई विदेशी भाषाओ में अनुवाद हुआ है या लिखे गए हैं। वाल्मीकि कृत रामायण के बाद संस्कृत भाषा में कई रामायण लिखे गए। अध्यात्म रामयण जो संभवतः ऋषि व्यास द्वारा लिखा गया तुलसी दास लिखित रामचरित मानस का आधार माना जाता है। संस्कृत भाषा में कई रामायण लिखे गए और भावविभूति कृत उत्तर राम चरित्र में ही राम के राज्याभिषेक के बाद कि कहानी मिलती है यानि वाल्मीकि के आश्रम में राम और सीता के जुड़वे पुत्रों का जन्म और राम का अश्वमेघ यज्ञ। राजा भोज लिखित चम्पू नारायण के बाद १२ वीं शताब्दी में लिखी गयी तमिल भाषा कि रामायण कम्ब रामायण। गूगल के अनुसार अन्य संस्करणों में कृतिवासी रामायण शामिल है, जो 15वीं शताब्दी में कृतिबास ओझा द्वारा लिखित एक बंगाली संस्करण है; 15वीं सदी के कवि सरला दास द्वारा विलंका रामायण और 16वीं सदी के कवि बलराम दास द्वारा जगमोहन रामायण (जिसे दांडी रामायण भी कहा जाता है), दोनों उड़िया में; 16वीं सदी के कवि नरहरि द्वारा कन्नड़ में तोरवे रामायण; अध्यात्मरामायणम, 16वीं शताब्दी में थुंचत्थु रामानुजन एज़ुथाचन द्वारा लिखित एक मलयालम संस्करण; 18वीं शताब्दी में श्रीधर द्वारा मराठी में; 19वीं सदी में चंदा झा द्वारा मैथिली में; और 20वीं सदी में, कन्नड़ में राष्ट्रकवि कुवेम्पु की श्री रामायण दर्शनम और तेलुगु में विश्वनाथ सत्यनारायण की श्रीमद्रामयण कल्पवृक्षमु, जिन्हें इस काम के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। झारखण्ड में रामायण का एक संस्करण फादर कामिल बुल्के ने लिखा है जिसका नाम है रामकथा उत्पत्ति और विकास। उनके अनुसार रामकथा अंतर्राष्ट्रीय कथा है जो वियतनाम से लेकर इंडोनेशिया तक फैली है ।
रामायण कि बात हो और तुलसी दास कृत राम चरित मानस के बारे में चर्चा न करूँ ? उत्तर भारत में यह सबसे लोकप्रिय रामायण है। एक तो यह लोकभाषा में लिखा ग्रन्थ है दूसरा यह मीटर में लिखा ग्रन्थ है और सभी चौपईया सुर में गाई जा सकती है। अक्सर इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ लोग घर में रखते है खास कर हनुमान जी की भक्ति में। मैं यह दावा नहीं करता कि पूरे ग्रन्थ को कभी पढ़ा है पर यह बहुत सुर में गाया जा सकता है यह मुझे पता है। राम पर भजन तो बचपन में बहुत बार गाया था हमारे नज़दीक के शिव मंदिर में। मंदिर तो शिव जी का था पर भजन राम का ही गाते थे हम लोग।
अब मैं राम के नाम वाले कहावतें लिखता हूँ । आपको कोई याद आ रहा है तो बताये।
- मुंह में राम बगल में छूरी
- राम नाम जपना पराया माल अपना
- जिसका राम धनी उसको कौन कमी
- आया राम गया राम
- दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम
- राम मिलाय जोड़ी एक अँधा और एक कोढ़ी
- राम जी कि माया कहीं धूप कहीं छाया
कुछ विशेषण भी राम या रामायण से हमारे बोलचाल में आ गई है। जैसे
राम जैसा राजा
भरत सा भाई
लखन सा देवर
राम लखन सी जोड़ी
हनुमान सा भक्त
रावण सा ज्ञानी
और अंत में घर का भेदी लंका ढ़ाहे
राम के विषय में कितना भी लिखा पढ़ा जा सकता है लेकिन मेरा सीमित राम ज्ञान से अभी बस इतना ही।
Your presentation proves that you have done extensive research on Ramayan. Very nicely summarized.Keep writing jijaji.
ReplyDeleteThanks, your name please?
Deleteअच्छी प्रस्तुति। कहावत है "मुॅंह में राम बगल में छुरी"
ReplyDeleteगलती सुधार दी
Deleteअद्भुत प्रस्तुति , आपने सभी जानकारी एक जगह पर दी , बहुत ही अच्छा लगा । धन्यवाद
ReplyDeleteThanks Bijay ji
Deleteइतना सुनदर विवेचन। शबद नहीं कुछ कहने को
ReplyDeleteबहुत सजीव संस्मरण, could relate to it. उत्तर भारत में सच में राम हमारे कण-कण में बसे हुए हैं। बहुत अच्छी रचना
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