Friday, January 19, 2024

चौधुरी होशियारपुरी एंड संस

एक रिटायर्ड आदमी आखिर क्या करें ? वो तो वेल्ला होता है। कोई काम न काज । पत्नी भी उसे बेमतलब बाजार भेजती रहती है तांकि कुछ तो कर ले और मुझे भी थोड़ा चैन मिले। फिर भी काफी समय बच जाता है। क्या वह TV देखे , या राजनीति पर वाद - विवाद या बहस करे ? किससे बहस करे ? दोस्त भी दूर दूर हो जाते है। क्या कहा ? पत्नी से ? मज़ाक कर रहे हो भई । या शायद उसे कोई रचनात्मक काम करना चाहिए । कुछ एक्स्ट्रा काम कर पैसे कमाए , कोई व्यापार करे , या समाज के लिए कुछ करें। विज्ञानं कहता है आप बात करे किताब पढ़े दिमाग का काम लेते रहे नहीं तो डिमेंशिया या अल्ज़ाइमर का खतरा रहता है। अब आप पूछेंगे भई तुम भी तो रिटायर्ड हो तुम क्या करते हो ? मैं यह दावा नहीं करता कि मैं अपना सारा समय ब्लॉग लिखने में लगाता हूँ। कई बार हारने के लिए बहस करता हूँ - पत्नी से , और टीवी भी देखता हूँ। मैं टीवी में दुनिया के समाचार के अलावा OTT प्लेटफार्म पर सीरियल भी देखता हूँ । इनमे हमें सबसे अच्छा "पंचायत" "गुल्लक" और "महारानी" लगे और महारानी के तीसरे भाग का इंतज़ार हम कर रहे है। थ्रिलर में अनदेखी, क्रिमिनल जस्टिस और टब्बर बहुत पसंद आया। बुरी बात यह है कि पसंद वाले सभी सीरियल जल्द ख़त्म हो जाते है। अब कितने OTT PLATFORM कि सदस्यता ले। अच्छे सीरियल की कमी के कारण कुछ और करना पड़ा। यूट्यूब में हम कंटेंट ढूढ़ने लगे। ट्रेवल व्लॉगस कई देखे फिर कोई सीरियल खोजने लगे / इसमें पाए जाने वाले कंटेंट में ज्यादातर तो हमको या मेरे हमसफ़र को पसंद नहीं आता।

अब हमसफ़र से एक बात याद हो आई। हमसफ़र फवाद खान और माहिरा खान का पाकिस्तानी ड्रामा है जो पाकिस्तान का दूसरा सबसे लोकप्रिय TV ड्रामा है। पाकिस्तानी ड्रामा में हम अपना मुकम्मल हिदुस्तान ढूढ़ने लगे - जब हम एक थे। लाहौर , करांची के लिए या मरी, हुंजा वैली के लिए कोई वीसा नहीं लेना पड़ता। इन ड्रामों के कथानक में अक्सर सास बहु , नन्द - भौजाई या जेठानी देवरानी, अमीर - गरीब, Joint family वाली कहानियां होती है और उनमे से कुछ अच्छी भी होती है। हो एक फर्क दिखता वह होता है इंस्टेंट तलाक जिसपर आधारित है सीरियल "हमसफ़र " जिसमे गर्भवती माहिरा खान को उसकी सास बदचलनी का आरोप लगा घर से रात में निकल देती है और वह बड़ी मुश्किल में दिन काटती है। फवाद खान तलाक नहीं देता है। अंत में फवाद खान को सब पता चलता है और परिवार फिर से एक हो जाता है। पाकिस्तानी सेरिअल्स में शादी के लोक गीत ढोलकी दिखाते ही है कुछ भी ख़ुशी हुई लोग भंगड़ा भी पा लेते है । 1947 की भयानक त्रासदी के बाद भी बहुत कुछ दोनों तरफ एक जैसा है। उस पर बॉलीवुड फिल्म की लोकप्रियता भी दिख जाती है इन ड्रामा में गाने अक्सर हिंदी फिल्म के गुनगुनाये जाते है। पंजाबी लोकगीत तो ऎसी की शायद ओरिजिनल इन्हीं में गा रहे हो । कई संवाद भी हमारी फिल्मों के होते है। पाक ड्रामा में अच्छी बात है की कोई वायलेंस , शराबखोरी अशिष्ट भाषा और वल्गरिटी नहीं होती किसी किसी सीरियल में धूम्रपान जरूर देखा है। शायद भारत को ध्यान में रख कर ही बनाये जाते है ये सेरिअल्स। अब क्यूंकि मैं पुराने ड्रामा देखते हूँ सभी एपिसोड उपलब्ध रहते और आपको सप्ताह के किसी खास दिन की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती।

हमसफर से हमें अपनी दूसरी पास्टाईम याद हो आया। अच्छे मनोरंजक पाकिस्तानी ड्रामा जी जिंदगी या यूट्यूब पर देखना। जी ज़िंदगी चैनल जब शुरू हुआ था तब पहला सिरियल था औन ज़ारा यह एक कामेडी था। औन की दादी, बुआ और होने वाले ससुर ने बहुत अच्छी एक्टिंग की। कहानी औन और ज़ारा के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। औन, अपने परिवार में एकमात्र पुरुष होने के कारण, हर कोई उसका बहुत लाड़-प्यार करता है। औन अपने अत्यधिक सुरक्षात्मक और दबंग परिवार के सदस्यों की बेड़ियों से मुक्त होने के लिए मर रहा है। ज़ारा एक जिद्दी और जिंदादिल लड़की है। औन के विपरीत, वह एक ऐसे घर में रहती है जहाँ वह अपने परिवार की एकमात्र महिला सदस्य है। ज़ारा अपने पिता और दादा के साथ रहती है। उसके पिता, जमशेद, एक सेवानिवृत्त सेना अधिकारी, चाहते हैं कि ज़ारा वायु सेना में शामिल हो। हालाँकि, ज़ारा पारिवारिक जीवन जीना चाहती है

दूसरा सिरियल था ज़िन्दगी गुलज़ार है । कहानी कशफ़ मुर्तज़ा (सनम सईद ) और ज़ारून जुनैद (फवाद खान ) के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। कशफ़ एक निम्न-मध्यम वर्गीय पारिवारिक पृष्ठभूमि से आती है और अपनी माँ, राफिया और अपनी दो बहनों, सिदरा और शहनीला के साथ रहती है। राफिया के पति मुर्तजा ने राफिया को छोड़ दिया था क्योंकि उसने बेटे को जन्म नहीं दिया था। मुर्तजा ने एक अन्य महिला से शादी की, जिसने अंततः उसके बेटे हम्माद को जन्म दिया। परिवार को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे कशफ को पुरुषों के प्रति शर्मिंदा, असुरक्षित और अविश्वास हो जाता है। राफिया एक सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल के रूप में काम करती है और घर चलाने के लिए शाम को बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है। उनकी बेटियाँ भी बुनियादी जीवन जीने के लिए कई तरह के त्याग करती हैं।

जारून जुनैद के परिवार में उनके पिता जुनैद हैं, जो शांत और परिपक्व हैं। उनकी मां ग़ज़ाला जुनैद एक स्वतंत्र कामकाजी महिला हैं। ज़ारून की बहन, सारा, जीवन के बारे में अपनी माँ के समान ही विचार रखती है। ज़ारून के करीबी दोस्तों में अस्मारा और ओसामा शामिल हैं। वह इस बात से अनजान रहता है कि अस्मारा उससे प्यार करती है। उनके परिवार वालों ने उनकी सगाई कर दी, लेकिन जीवनशैली में असंगत मतभेदों के कारण उन्होंने सगाई तोड़ दी। इस बीच, उसकी बहन की शादी विफल हो जाती है। ज़ारून ने अपनी आदर्श पत्नी के बारे में कुछ धारणाएँ विकसित कीं।


कशफ़ को एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति मिलती है। उसकी मुलाकात जारून जुनैद से होती है, जो उससे बिल्कुल अलग जिंदगी जीता है। ज़ारून का समृद्ध अहंकार कशफ़ को गहराई से परेशान करता है। पुरुषों के प्रति उसके अविश्वास और वर्ग भेद के बारे में विचारों के कारण, वह अन्य छात्रों के साथ घुल-मिल नहीं पाती है। उसकी और ज़ारून की आपस में नहीं बनती है, जिसका मुख्य कारण ज़ारून का चुलबुला स्वभाव और अकादमिक रूप से उससे बेहतर प्रदर्शन करने की ईर्ष्या है। इसके बावजूद, जारून उसके साथ मेल-मिलाप करने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी कोशिशों को बार-बार असफलता मिलती है। एक दिन उसने ज़ारून को यह कहते हुए सुना कि वह केवल एक चुनौती के रूप में मित्रता करने और कशफ को फंसाने और उसकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहा था। लाइब्रेरी में उनके बीच भारी लड़ाई होती है और कशफ उससे पूरी तरह नफरत करने लगता है। ओसामा, ज़ारून का सबसे अच्छा दोस्त, कशफ़ को बहुत सम्मान देता है और उसके बचाव में आता है। सीरियल का अंत बड़ा सुखपूर्ण हुआ है जारून और कशफ शादी कर लेते है एक बच्चा भी होता है और दोनों एक साथ सुखी सुखी रहते है। यह सीरियल भारतीय उपमहाद्वीप - भारत सहित में बहुत लोकप्रिय हुआ।

"ज़ी ज़िन्दगी" के सारे सीरियल देख डाले टीवी पर भी और OTT पर भी । कुछ जो पसंद आये - मात , थकन ( नायिका सबा कमर जिसने हिंदी मीडियम में भी काम किया ) मेहविश हयात और सजल अली का "मेरे कातिल मेरे दिलदार" । फवाद खान , माहिरा खान , सबा कमर और सजल अली हिंदी फिल्मों में भी आ चुकी है। हम अब खोज खोज कर पाक ड्रामा यूट्यूब पर देखते है और पसंद वाली पूरी देख लेते है। अक्सर पाक ड्रामा परिवार के आस पास घूमता है और हीरो हीरोइन अक्सर कजिन होते है। जब बच्चो कि शादी कि बात आती है तब माँ को अपने ननद के बच्चे पसंद नहीं आते और बाप को साली या साले के बच्चे पसंद नहीं आते। इन सबसे बचने के लिए हम कॉमेडी खोज खोज कर देखते है। कुछ के नाम दे रहा हूँ - सुनो चंदा , कला डोरिया , चुपके-चुपके , प्रेम गली , परिस्तान, अहदे - वफ़ा , यकीन का सफर, चाँद तारा इत्यादि। हर पाकी सीरियल में किसी न किसी बॉलीवुड फिल्म का गीत के मुखड़े , डायलाग इत्यादि रहती है। सुन्दर स्त्री की तुलना ऐश्वर्या रॉय से और हीरो की तुलना शाहरुख खान से करना मामूली बात है। अमिताभ के डायलॉग "रिश्ते में हम " "जहां मैं खड़ा होता हूँ - लाइन वहीँ" भी सुनने को मिल जाती है। पंजाबी गाने और लोकगीत में भारतीयता की पुट होती है। हाल में जो सीरियल अच्छा लगा वो था। चौधुरी एंड संस।




चौधुरी एंड संस। चौधुरी परिवार होशिआरपुर से पाकिस्तान गया है ऐसा प्रतीत होता है और उनके करीबी अब भी भारतीय हैदराबाद में रहते है। इस ड्रामा में पाकिस्तान के हैदराबाद और हिंदुस्तान के हैदराबाद के CONFUSION को प्रयोग में लाया गया है। परी की माँ ने अपने खानदान से बाहर भाग कर शादी कर ली थी और इसलिए परी के नना और उनका प्रिय पोता- बिल्लू परी की माँ से बहुत नफरत करते है। वास्तव में परी के माँ बाप उसे लेकर परिवार से माफ़ी मांगने आ रहे थे जब एक दुर्घटना में उनका देहांत ही गया। दादी ने परी को पला पर उम्र होने पर वो चिंतित है और हैदराबाद - दक्कन से आये है कह कर पारी के साथ उसके ननिहाल रहने आ जाती , बिना उसे बताये है । दादी जानती है की राज खुलने पर परी के माँ के कारण सब नफरत करेंगे वो राज को राज रखना चाहती है पर जब परी के समझ में आता है की वह अपने ननिहाल में है तो वह सभी को बताना चाहती है। इसी बीच परी और बिल्लू की शादी कर दी जाती है और कई भावपूर्ण दृश्यों के बाद सीरियल ख़त्म होती है। यह सिर्फ कॉमेडी ही नहीं बहुत कुछ है।

मैंने तो अपने काम काज न रहने पर किस तरह समय बिताएँ पर अपनी राय रखी। बहुतों को ये अच्छा नहीं लगे की मेरा एक व्यसन पाक ड्रामा देखने है , पर आप क्या करते है ?

2 comments:

  1. मैंने भी पाकिस्तानी सीरियल की आगे साली थी लेकिन अब एक ही ढर्रा वाले सभी लगते है जैसे वहाँ की लड़की मॉडर्न , बुर्का कभी नहीं , बिज़नेस लीडर लेकिन विचार दक़ियानूसी पति सकी , माँ दारू बाज़ तो थक गया बोर हो गया तो छोड़ दिया । अब अपने OTT भी एक कंटेंट्स के साथ है लेकिन अब मेरे पास धैर्य की कमी हो गई है । बस चलो घूमने और घूम ही रहे हैं

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  2. डाली थी

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