२८ नवंबर शाम के सात बज कर बाईस मिनट। मैं रोज सुरंग में फंसे मजदूरों के बचाव के समाचार सुनता रहा हूँ । १२ नवंबर जो जब मजदूरों के फंसे होने का खबर आया तो पता लग गया की मेरे प्रदेश झारखण्ड के भी कई भाई फंस गए है । ये जीवट वाले झारखंडी सीमा रोड संगठन में हर जगह सेवा देते दिख जाते है। पहले लगा छोटी मोटी दुर्घटना है और कुछ मीटर ही सुरंग बंद हुआ पर अगले दिन जब बचाव कार्य में उच्चतम स्तर से प्रयास होते दिखा तो इसकी भयावहता समझ आई। उत्तरकाशी में सिलक्यांरा सुरंग चारधाम प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है। ५ किलोमीटर लम्बा ये सुरंग यह बरकोट के पास है और यमुनोत्री से गंगोत्री की यात्रा को २० km छोटी करने और सभी मौसम में उपयोग करने योग्य बनाया जा रहा था। कहना न होगा की उत्तराखंड में पहाड़ो में पर्यावरण बहुत नाज़ुक होता है और प्रत्येक प्रोजेक्ट कुछ न कुछ हानि पंहुचा जाता है। मुझे याद है ८०'s तक गंगोत्री से हमारे पंडा जी जब जाड़ों में हमारे घर आते तो बताते की ऋषिकेश से ऊपर बहुत कम ही रोड है और उन्हें प्रायः पूरी दूरी पैदल तय करनी पड़ती है और अब हम गंगोत्री और बद्रीनाथ तक बस से जा सकते है। हमने भी जून के उत्तराखंड ट्रिप में बहुत जगहों पर लैंड स्लाइड देखी थी।
१२ नवम्बर को अचानक सुरंग के प्रवेश से करीब १५० -२०० मीटर सुरंग धंस गयी और ४१ व्यक्ति अंदर फंस गए। बचाव कार्य तुरंत शुरू किया गया। राष्ट्र के सभी संसाधन और विशेषज्ञ कार्य में जुट गए - राज्य के मुख्यमंत्री , प्रधान मंत्री , सड़क मार्ग मंत्री सभी ने कार्य को आगे बढ़ाया पहले बोरिंग मशीन लगाई गयी फिर विशेष मशीन एयर फाॅर्स के हवाई जहाज़ से लाया गया। थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया से विशेषज्ञ बुलाये गए। पहले कुछ दिनों एक छोटी ४ इंच के पाइप से ऑक्सीजन , खाना दवाई , पानी भेजी गयी फिर एक बड़ी ६ इंच वाली पाइप लगाने से सुविधा बढ़ गयी। एक ८००-९०० mm पाइप को डाल कर मजदूरों को निकलने का फैसला लिया गया। Vertical भी खुदाई की जाने का प्रबंध किया गया और इसके लिए BRO ने तुरंत फुरंत सड़क भी बना दी। फंसे मजदूरों के मनोबल को बनाये रखने के लिए प्रयास किये गए और फंसे बहादुर लोगों ने १७ दिन तक भी आशा नहीं छोड़ी। जब कुछ ही मीटर बाकि थे विशेष मशीन टूट गयी। अब लगाए गए ऐसे मजदूर जिन्हे कहा जाता है "Rat Miner "। यह वो लोग है जो मेघालय जैसे राज्य में कोयले तो पतले परत को भी हाथ से खोद कर निकल लेते। इस प्रक्रिया को गैरकानूनी और असुरक्षित घोषित किया जा चूका था। पर ये विशेषज्ञ miner में ही आखिर कुछ बचे मीटर खोद डाली सिर्फ एक दिन में और कल २८-११-२०१३ को एक एक कर ४१ लोगों को स्ट्रेचर के जैसे ट्राली से खींच कर बाहर निकल लिए गए। इसके पहले बचाव कर्मी अंदर गए और एक अस्थायी नौ बिस्तरों वाले अस्पताल भी बना डाला। हमारे मोहल्ले में भी कुछ लोगों ने पड़ाके फोड़े। जान कर ख़ुशी हुई की सभी मजदूर स्वस्थ्य थे और मानसिक रूप से मजबूत भी थे। सारा राष्ट्र तनावमुक्त हो गया।
Wednesday, November 29, 2023
४१ लोग और ३९८ घंटे - उत्तराखंड सिलगरिया बरकोट सुरंग में
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