छठ पर्व और बिहार
पिछले पोस्ट में मैंने गया (बिहार) और पिंडदान की कहानी बताई और इस पोस्ट में छठ का गया और बिहार से क्या सम्बन्ध हैं की कहानी सुना रहा हूँ। गया को गया क्यों कहते कहते है और इस क्षेत्र को मगध क्यों कहते है ये भी इसी कहानी में बताया हैं मैंने ।
छठ बिहार और बिहारी से जुड़ा एक पर्व हैं । बकौल श्वेता (मेरी बिटिया) You can take a Bihari away from Bihar, but you cannot take away chhat from them. पर छठ और बिहार क्यों ? क्या कनेक्शन हैं ?
गयासुर की कहानी
जो एक मात्र मिथक या कहानी छठ के बारे में हैं मैंने सुना है वह गया (बिहार राज्य का एक शहर) के इर्द गिर्द घूमती हैं । वैदिक काल के दौरान, "कीकत प्रदेश" जो कि मध्य भारत के अधिकांश भाग में फैला हुआ था में गयासुर नामक एक 'असुर' रहता था। गयासुर आकार में बहुत बड़ा था। ऐसा कहा जाता है कि जब वह जमीन पर लेट जाता तो उसका सिर उत्तर भारत में और उसके पैर आंध्र क्षेत्र में पड़ते । खास बात यह है कि उसका दिल (हृदय स्थल) आज के गया में पड़ जाता था।'देवता' गयासुर से बहुत डरते थे क्योंकि वह उन्हें बिना किसी कारण के परेशान करता था। वे उससे छुटकारा पाना चाहते थे। गयासुर भगवान विष्णु का परम भक्त था। देवता उसके आतंक से परेशान थे और उससे मुक्ति चाहते थे । लेकिन गयासुर विष्णु के भक्त थे और उनका वरदान भी था उनके पास । देवताओं ने विष्णु की प्रार्थना की और विष्णु ने गयासुर को उसके ह्रदय भाग पर विष्णुयज्ञ करने को राजी कर लिया । गयासुर अपने आराध्य की बात कैसे टालता अपनी अवश्यम्भावी मृत्यु जान कर भी गयासुर राजी हो गया । ये तो उसके मुक्ति और वैकुण्ठ वास को निश्चित करने वाला यज्ञ जो था । गयासुर दक्षिण के तरफ सर और उत्तर के तरफ पैर रख कर सो गया और यज्ञ के लिए प्रस्तुत हो गया। स्थानीय बाह्मणो ने इस तरह से यज्ञ करवाने से मना कर दिया। विष्णुयज्ञ में शाक्यद्वीप(आज के ईरान),से गरुड़ पर आरूढ़ कर सात ब्राम्हणों को यज्ञकार्य के लिए लाया गया। ब्राह्मण शक्लद्वीपी ब्राह्मण कहलाए। शकलद्वीपी ब्राह्मण की दो शाखाये थी भोजक और मगी । मगी ब्राह्मण ही गया क्षेत्र में बस गए और उन्होंने गयासुर के ऊपर यज्ञ करवाया। मग शब्द का ईरानी भाषा में अर्थ होता है आग का गोला। आग का गोला यानी सूर्य। ये सूर्योपासक ब्राम्हण शाक्यद्वीप से यहां आने के बाद यहीं सात स्थानों में बस गये। इन्होने इन सातों जगहों में सूर्य मंदिर भी बनाया ।
इन्हीं सूर्योपासक ब्राह्मणों ने सूर्य की उपासना शुरू की और छठ महापर्व की शुरुआत हो गयी और यह है कहानी छठ और बिहार के सम्बन्ध का। गयासुर के नाम पर इस शहर का नाम गया पड़ा और मगी ब्रह्मणों के नाम पर क्षेत्र का नाम पड़ा मगध ।
बीरुगढ़ सूर्य मंदिर (सिमडेगा), देव सूर्य मंदिर (देव, औरंगाबाद)
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