Tuesday, October 3, 2023

यात्रा के क्रम में फ़िल्मी लोगों से मुलाक़ात

यह तब की बात है जब डर्टी पिक्चर फिल्म टीवी पर दिखाई गई थी और मेरा एक पुराना ब्लॉग मेरे दिमाग में आया और उसका एक संशोधित संस्करण फिर से यहाँ इस ब्लॉग में दे रहा हूँ जो हिंदी में है। ऐसे १९६९ में जब पहली बार कालेज ट्रिप में मुंबई गया था तब कई दोस्त फिल्मी हस्तियों को देखने के लिए इधर उधर भाग रहे थे, मैं घूमने में समय दे रहा था। दोस्त बता रहे थे कि बबीता फिल्म से ज्यादा सुंदर रू बरू देखने में लगती है और राजेश खन्ना को दूर से देखे। क्या पता था आगे कई बार फिल्मी लोगों से मुलाकात होगी।
हवाई यात्राओं में सेलिब्रिटी से मुलाक़ात

हवाई यात्राओं में आप अक्सर कभी न कभी , कहीं न कहीं, किसी न किसी सेलिब्रिटी से मिलते है दूर से या करीब से यह आपकी तक़दीर या दिलचस्पी पर निर्भर करता है। मुझे जिन सेलिब्रिटी से मिलने का मौका प्रायः एयर पोर्ट पर मिला है , वे है पण्डित रवि शंकर (कोलकाता एयरपोर्ट १९८०'स ) मैंने उनका ऑटोग्राफ भी लिया झिझकते हुए। फिर कोलकाता में ही श्री देवी को देखा - पहले पहचान नहीं पाया (बिना मेक अप के जो थी )। शायद उनकी माँ साथ थी। एक दक्षिण भारतीय हवाई यात्री जब "श्री देवी श्री देवी" चिल्लाने लगा तब ही उन्हें पहचान पाया - वो चेन्नई का फ्लॉइट ले रहीं थी और मैं विज़ाग का ।

ऐसे ही चेन्नई - विज़ाग के फ्लाइट में रामायण सीरियल के पूरे कास्ट (श्री रामानंद सागर सहित ) के साथ सफर करने का मौका भी मिला और राम जी (श्री अरुण गोविल ) मेरे अगले सीट पर ही थे। अब ओटोग्राफ मांगने का काम बचकाना लग रहा था पर मैंने "मेरे बच्चों के लिए ऑटोग्राफ दे दीजिये" कह कर उनके और मेघनाद (श्री विजय अरोरा जी) का ऑटोग्राफ ले ही लिया। मन था रावण (श्री अरविन्द त्रिवेदी ) और श्री रामानंद सागर का भी ऑटोग्राफ लू पर उनकी सीट दूर थी और वे कई पंखों (फैंस ) से पहले ही घिरे थे।

एक बार और फ़िल्मी लोगों से सामना तब हुआ जब दिल्ली (पुराने टर्मिनल) से मैं कोई फ्लाइट ले रहा था । वेटिंग एरिया में मेरे सामने एक बहुत गोरी खूबसूरत औरत दो छोटी बच्चियों के साथ बैठी थी । पहचानी पहचानी लग रही थी पर नाम नहीं याद आ रही थी । पास ही अमरीश पुरी जी और आलोकनाथ जी खड़े थे जिन्हे मैं पहचान रहा था पर ऑटोग्राफ लेने की कोई इच्छा नहीं थी तब । अमरीश पुरी जी जोर शोर से किसीसे (फ़िल्मी आदमी ही होगा ) बातें कर रहे थे । आलोकनाथ अलग थलग चुप चाप खड़े थे । तभी अमरीश पुरी उस गोरी चिट्टी औरत के पास आ कर बातें करने लगे । मैंने अंदाज लगाया ये मोहतरमा भी निश्चित कोई फ़िल्मी हस्ती ही होगी । फिर जब चेन्नई की फ्लाइट की घोषणा हुयी और वह परिवार उठ खड़ा हुआ तब याद आया ये तो सारिका हसन है अपनी दो बच्चियों (श्रुति और अक्षरा के साथ )। हाल में ही इन्हे अमिताभ बच्चन वाली फिल्म ऊंचाई में देखा - एकदम बदल गयीं हैं।
1997 में राजनीतिक सेलेब्रिटी में से एक बार श्री इन्दर कुमार गुजराल साहब के साथ रांची-पटना-लखनऊ - दिल्ली फ्लाइट में पटना से दिल्ली सफर करने का मौका मिला था पर हमारा सारा सामान पटना में ही उतार लिया गया था । गुजराल साहेब के ग्रुप का सामान का वज़न ज्यादा होगा - मैंने तब ऐसा अनुमान लगाया। अगले दिन पता चला गुजराल साहब तब PM का शपथ लेने जा रहे थे । लेकिन मेरे सबसे जबरदस्त सेलिब्रिटी मुलाक़ात हुई थी कपिल देव और सिल्क स्मिता के साथ १९८० में सालेम में जहां वे उसी होटल में ठहरे थे जहां मैं रूका था। यह कहानी मैं अंग्रेजी में सिल्क स्मिता के OBITUARY के साथ भी लिख चुका हूँ। इस बार हिंदी में लिख रहा हूँ।





डर्टी पिक्चर का एक दृश्य और तमिल फिल्म मुन्द्रम पिरय का एक दृश्य
(तस्वीरें आभार सहित इंटरनेट से ली गई हैं)


1980-81 के दौरान, मैं सलेम, तमिलनाडु में तैनात था, जब मेरी मुलाकात सिल्क स्मिथ से हुई - जो उसी होटल, होटल गोकुलम के पास के एक कमरे में रुका था।
मुझे एक विशेष घटना याद आती है जब सालेम में एक तमिल फिल्म की शूटिंग हो रही थी। निर्माता थे एमजीआर के एक पुराने सहयोगी , अपने पूरे दल के साथ हमारे होटल में ठहरे थे। इस फिल्म में वैम्प मशहूर सिल्क स्मिता थीं। मैंने पहले उनकी तमिल फिल्म "मुंद्रम पिराई" देख रक्खी थी, जिसे बाद में हिंदी में सादमा के नाम से बनायी गयी था - जिसे भी मैंने देखा है और दोनों संस्करणों में उनकी उपस्थिति निश्चित रूप से कामुक थी।
बताता चलूँ सालेम में कई फिल्मों के शूटिंग होती रहती थे। कम बजट वाली फिल्मों के लिए यह आदर्श स्थान था। प्राकृतिक जगह शूट करना हो तो हिल स्टेशन यरकौड ३० km ही दूर है । सुना यहाँ स्टूडियो भी है। नृत्य शूट करना हो तो होटल नेशनल में एक बड़ा हॉल था।
जिस फिल्म की शूटिंग ही रही थी उसके हीरो विजयकांत थे जो रजनीकांत के जैसे दिखने के कारण "गरीबों के रजनीकांत" के रूप में भी प्रसिद्द थे । हीरो को पहली मंजिल पर एक डबल बेड एसी रूम दिया गया था जबकि सिल्क को एक सिंगल AC रूम और नयी आई हीरोइन को सिंगल NON AC रूम दिया गया था। मैं भी ग्राउंड फ्लोर पर एक एसी सिंगल रूम नंबर 211 में था जबकि हीरोइन 212 में और सिल्क स्मिता अपने हेयर ड्रेसर के साथ रूम नंबर 216 में थी - जो एक सिंगल एसी कमरा था। होटल का गलियारा हम सब के बीच कॉमन था।
सिल्क स्पष्ट रूप से अकेलेपन की शिकार थी और वह विजयकांत को ताश खेलने या साथ में कुछ drink लेने के लिए बार बार फोन कर रही थी। - जैसा कि होटल के रिसेप्शनिस्ट ने बताया जो टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में भी काम करता था और उसे भी फिल्म में एक छोटा रोल दिया गया था । सिल्क गलियारे में हमारा ध्यान आकर्षित करने के लिए हर दिन बहुत नखरे दिखाती थी। और हम (मैं और बीएचईएल इंजीनियर-संबशिवम) उससे थोडा बाहर बातें करते जो शायद उसे अच्छा लगता था - उसे हिंदी समझ आती थी या नहीं यह नहीं पता ।
हीरोइन जो स्कूल से निकल कर सीधे शूटिंग पर आ गयी थी अपने पिता से साथ आई थी । पिता को जानबूझ कर शूटिंग में नहीं ले जाते और वो दिनभर सिगरेट फूंकता रहता । उसकी बेटी शायद मेडिकल के पढ़ाई छोड़ कर आई थी । बाद में जब फिल्म देखी तो पता चला इस नयी लड़की से कम कपड़ो में कई नृत्य कराये गए थे शायद इसीलिए पिता को शूटिंग में नहीं ले जाते थे। इस फिल्म का एक भीड़ का सीन होटल में ही फिल्माया गया और हम तीन दोस्त भी उस भीड़ का हिस्सा थे। पर जब फिल्म देखे तो अपने को ढूंढ नहीं पाए।
एक दिन आधी रात में मेरे होटल के कमरे के दरवाज़े पर तेज़ दस्तक से मेरी नींद खुल गई। मैंने दरवाज़ा खोला तो पाया कि नशे में धुत्त सिल्क स्मिता गलियारे में सभी दरवाज़े खटखटा रही थी। वह अपने हेयर ड्रेसर की बांहों पर लटक कर अपने कमरे में जाने की कोशिश कर रही थी। अक्सर वह गलियारे में नाचने लगती थी करीब करीब हर दिन नाचते नाचते ही कमरे में जाती । इतनी बड़ी फैन फॉलोइंग के बावजूद उनके एकाकी जीवन के लिए मैं केवल उन पर दया कर सकता हूं।
यह होटल तमिल फिल्म उद्योग में लोकप्रिय था और हम फिल्म शूटिंग के कुछ दृश्य भी देख सकते थे। मैं फिल्म निर्माण की कठिन प्रक्रिया से प्रभावित हुआ, जबकि वास्तव में मैंने इसमें शामिल सभी कार्यों का एक छोटा सा हिस्सा ही देखा।
एक बार एक क्रिकेट मैच के सिलसिले में कपिलदेव जी भी सालेम पहुंचे और हमारे होटल में ही रुके। लॉबी में हम लोग भी कार का इंतज़ार कर रहे थे और क्रिकेट टीम भी। मौका मिलते हे मेरे एक दोस्त कपिलदेव जी से पूछ बैठा "where is Sunil Gavaskar " और कपिलदेव का जवाब था "Gavaskar who ?"इससे पता चलता है क्रिकेट के इतिहास में ego clash हर काल में रहा है।
अब सिल्क स्मिता के बारे में...
उनका जन्म 1960 में विजयलक्ष्मी के रूप में हुआ था, और उन्हें अपना स्टेज नाम उनकी पहली हिट फिल्म वंडीचक्रम (1979) से मिला, जिसमें उनका नाम सिल्क था। वह 17 साल तक फिल्मों में सक्रिय रहीं और 450 फिल्मों में काम किया। 1996 में 35 साल की उम्र में उन्होंने आर्थिक समस्या, शराब की लत और प्यार में मोहभंग के कारण आत्महत्या कर ली। २०११ में बनी डर्टी पिक्चर एक अच्छी नावपांजलि (Obituary ) थी , मैं भी उनकी आत्मा के शांति के लिए प्रार्थना करता हूँ।

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