Sunday, April 30, 2023

तुम हो

एक कविता
तुम हो
तसव्वुर में तुम हो
चांद तारों में तुम हो
ख़्वाबों में तुम हो
ख्यालों में तुम हो
सफर भी तुम हो
मंजिल भी तुम हो
कश्ती भी तुम हो
किनारा भी तुम हो
मौजमस्ती भी तुम हो
मटरगस्ती भी तुम हो
जेठ की तपिश हो
तब फागुन भी तुम हो
मेरे लफ्ज़ तुम हो
मेरे शेर तुम हो
किस्सा-कहानी तुम हो
और ग़ज़ल तुम हो
शब भी तुम हो
और सहर तुम हो
हम कहां जाए बता मेरे मौला
कि दर्द भी तुम हो
और दवा तुम हो
आफ़त भी तुम हो
और राहत भी तुम हो

स्वरचित
अमिताभ कुमार सिन्हा

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