मोरिशस, सुरीनाम का झंडा , फिजी का झंडा
अंग्रेज भारत से गिरमिटिया मजदूरों को अपने उपनिवेशों में मुख्य रूप से निम्नलिखित कारणों से ले गए: 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने अपने उपनिवेशों में दास प्रथा को समाप्त कर दिया, जिससे सस्ते श्रम की भारी कमी हो गई। गरीबी, अकाल और नौकरी के अवसरों की कमी ने कई भारतीयों को विदेशों में रोजगार तलाशने के लिए तैयार किया।
एक एक रोटी के लिए मोहताज भारतियों को अंग्रेजों ने "करीब करीब गुलामी" की शर्त पर विदेश भेजना प्रारंभ किया। भारत में इनकी अवस्था खराब थी, भुखमरी थी और भारतीय किसी भी शर्त पर जाने को तैयार थे। इन मज़दूरों को गिरमिटिया कहा गया। गिरमिटिया शब्द अंगरेजी के `एग्रीमेंट' शब्द का अपभ्रंश ही है। जिस कागज पर अंगूठे का निशान लगवाकर हर साल हज़ारों मज़दूर दक्षिण अफ्रीका या अन्य देशों को भेजे जाते थे,उसे मज़दूर और मालिक गिरी (एग्रीमेंट) कहते थे। इस दस्तावेज के आधार पर मज़दूर गिरी थे। हर साल १० से १५ हज़ार मज़दूर गिरमिटिया बनाकर फिजी, सुरीनाम, ब्रिटिश गुयाना, डच गुयाना, ट्रिनीडाड, टोबेगा, नेटाल (दक्षिण अफ्रीका) और मोरिशस को ले जाये जाते थे। यह सब सरकारी नियम के अंतर्गत था। इस तरह का कारोबार करनेवालों को सरकारी संरक्षण प्राप्त था।
ऐसा एग्रीमेंट पांच साल के लिए था पर पांच वर्ष बाद कई लोग वही रह गए या उनके पास भारत लौट आने के लिए पैसे नहीं थे और भारत से दूर इन मजदूरों ने अपनी दुनिया बसा ली। मैने दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों को नजदीक से देखा है और अन्य जगहों में बसे भारतियों के बारे में अनुमान लगा सकता हूं। आइए इनके बारे में कुछ जानकारी हासिल करते है।
ब्रिटेन में गिरमिटिया प्रथा को abolished गुलामी का ही एक रूप बता कर विरोध शुरू हो गया। कई मजदूरों की मौत जहाज से लाने के क्रम में ही बिमारी या अन्य कारणो से हो जाती। जहाज पर उपचार की कोई व्यवस्था नहीं होती । मजदूर कल्याण का पुर्णत: आभाव था । इस विरोध के फलस्वरूप जहाज पर डाक्टर की नियुक्ति जैसी कल्याण कारी निर्णय लिए गए। पर जब गिरमिटिया व्यवस्था न्याय संगत हो चली थी तब ही 1917 में इस व्यवस्था पर रोक लगा दिया गया।
मौरिशस
सागर मंदिर -- मोरिशस के भारतीय प्रवासी
विकीपीडिया के हवाले से मॉरीशस गणराज्य, अफ्रीकी महाद्वीप के तट के दक्षिणपूर्व में लगभग 900 किलोमीटर की दूरी पर हिंद महासागर में और मेडागास्कर के पूर्व में स्थित एक द्वीपीय देश है। मॉरीशस में हिंदुओं की आबादी तीसरे नंबर पर है दुनिया में मॉरीशस द्वीप के अतिरिक्त इस गणराज्य मे, सेंट ब्रेंडन, रॉड्रीगज़ और अगालेगा द्वीप भी शामिल हैं। दक्षिणपश्चिम में 200 किलोमीटर पर स्थित फ्रांसीसी रीयूनियन द्वीप और 570 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित रॉड्रीगज़ द्वीप के साथ मॉरीशस मस्कारेने द्वीप समूह का हिस्सा है। मारीशस की संस्कृति, मिश्रित संस्कृति है, जिसका कारण पहले इसका फ्रांस के आधीन होना तथा बाद में ब्रिटिश स्वामित्व में आना है। मॉरीशस द्वीप विलुप्त हो चुके डोडो पक्षी के अंतिम और एकमात्र घर के रूप में भी विख्यात है।
मोरिशस मिश्रित समाज वाला एक देश है। इसका कारण यहां पहले फ्रेंच सरकार और बाद में अंग्रेजी सरकार होना है। और अफ्रीकी लोग तो थे ही यहां। 1729 में फ्रेंच पहली बार भारतीय मजदूरों को पोंडिचेरी से ले कर आए।
ब्रिटिश शासन के समय में अंग्रेजों ने ईख की खेती के लिए पुर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार से गिरमिटिया मजदूर ले कर आए क्योंकि वे ईख की खेती का अनुभव रखते थे।
ये लोग हिन्दी की एक बोली भोजपुरी बोलते थे । मरिशस में भारतीय प्रवासियों की संख्या 68% जाहिर है यहां बहुत लोग भोजपुरी बोलते हैं पर धीरे धीरे लोग फ्रेंच या क्रेओल में ज्यादा बोलने लगे हैं जबकि वे भोजपुरी समझ लेते हैं पर बोल नहीं सकते। पोर्ट लुई में प्रवासी घाट वहीं जगह है जहां पहले पहल भारतीय लोग जहाज़ों से आए। यहां लोग बिहार/UP में कहां-कहां से आए उनका रिकॉर्ड भी रखते हैं।
मोरिशस की मुख्य भाषा क्रियोले है। अंग्रेजी और फ्रेंच आधिकारिक भाषा है और भोजपुरी को भी यहां की एक भाषा का दर्जा प्राप्त है। विश्व हिंदी सचिवालय भी यहीं है। जिनके पांच देश सदस्य है भारत, मौरिशस, फिजी, सुरीनाम और नेपाल।
मौरिशस के दो भारतवंशी दिग्गजों का जिक्र जरूरी है।
(1) सर शिवसागर रामगुलाम (18 सितंबर 1900 - 15 दिसंबर 1985), जिन्हें अक्सर चाचा रामगुलाम या एसएसआर के नाम से जाना जाता है, एक मॉरीशस चिकित्सक, राजनीतिज्ञ और राजनेता थे। उन्होंने द्वीप के एकमात्र मुख्यमंत्री, पहले प्रधान मंत्री और पांचवें गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया।
(2)सर अनिरुद्ध जुगनौथ,(29 मार्च 1930 - 3 जून 2021) एक मॉरीशस राजनेता, राजनेता और बैरिस्टर थे जिन्होंने मॉरीशस के राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री दोनों के रूप में कार्य किया। वह पिटोन और रिवियेर डू रेम्पार्ट से संसद सदस्य थे। 1980 और 1990 के दशक में मॉरीशस की राजनीति के एक केंद्रीय व्यक्ति, वह 1976 से 1982 तक विपक्ष के नेता थे। उन्होंने 1982 से 1995 तक और फिर 2000 से 2003 तक लगातार चार बार प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। फिर उन्हें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। 2003 से 2012 तक। 2014 के आम चुनाव में अपनी पार्टी की जीत के बाद चुनावों के बाद, उन्होंने प्रधान मंत्री के रूप में अपना छठा और अंतिम कार्यकाल पूरा किया।
सुरीनाम
भारत के राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू सुरीनाम में भारतीयों के आगमन(1873) के 150वें वर्षगांठ पर, आर्य दिवाकर मंदिर, पारामरिबो
ब्राज़िल के उत्तर में स्थित दक्षिणी अमेरिका का सबसे छोटा संप्रभु देश। राजधानी परिमरिबो।सूरीनाम का समाज बहुसांस्कृतिक है, जिसमें अलग-अलग जाति, भाषा और धर्म वाले लोग निवास करते हैं। तीन मुख्य भाषाओं में एक भाषा हिंदी (भोजपुरी) भी है। हिन्दू धर्म भी एक प्रमुख धर्म है और हिन्दू मंदिर भी बहुतायत में हैं, राम लीला भी खेली जाती है। भारत से अधिकतर बिहारी लोग यहां गिरमिटिया मजदूर बनकर आए और अब यहीं के नागरिक हैं। भाषा, धर्म और संस्कृति इन लोगों ने भी नहीं छोड़ी जबकि डच गयना गए भारतीय अपनी भाषा भूल चुके हैं। भारतीय व्यंजन भी बहुत सारे रेस्तरां में मिल जाते हैं।
अन्य देशों में गए गिरमिटिया मजदूरों के बारे में फिर कभी।
फिजी
भारतीय मंदिर, और भारतीय वस्त्रों की दुकान
फिजी एक द्वीपसमूह है जिसमें 300 से ज़्यादा द्वीप हैं,हालाँकि उनमें से सिर्फ़ 100 पर ही लोग रहते हैं, जो इसे द्वीप-भ्रमण के रोमांच के लिए एक बेहतरीन जगह बनाता है। फिजी भी उन देशों में से एक है जहां भारत से गिरमिटिया मजदूर गए।
यह देश दक्षिण प्रशांत महासागर में, न्यूज़ीलैंड से लगभग 1,300 मील उत्तर में स्थित है, और अपने क्रिस्टल-क्लियर पानी, कोरल रीफ़ और जीवंत समुद्री जीवन के लिए जाना जाता है।
फ़िजी दक्षिण प्रशांत में पहली ब्रिटिश कॉलोनी का स्थल था, जिसे 1874 में स्थापित किया गया था, और 1970 में एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया।
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फ़िजी अपने पारंपरिक "लोवो" दावतों के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ भोजन को मिट्टी के ओवन में पकाया जाता है।
देश की राष्ट्रीय रग्बी टीम दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से एक है।
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फिजी एक विविधतापूर्ण सांस्कृतिक मिश्रण है, जिसमें स्वदेशी फिजी, इंडो-फिजियन (भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के वंशज) और अन्य जातीय समूह देश की समृद्ध सांस्कृतिक ताने-बाने में योगदान देते हैं।
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फिजी की भाषा, iTaukei, आज भी इस्तेमाल की जाने वाली सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है, और इसे अंग्रेजी के साथ-साथ बोला जाता है, जो देश की आधिकारिक भाषा है। हिन्दी या भोजपुरी भी यहां बोली जाती है और बहुत प्रचलित भी है।
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फिजी रोमांच चाहने वालों के लिए एक स्वर्ग है, जो सर्फिंग, डाइविंग, स्नोर्कलिंग और लंबी पैदल यात्रा जैसी गतिविधियों के लिए विश्व स्तरीय अवसर प्रदान करता है, खासकर मामानुका और यासावा द्वीप जैसे स्थानों पर।
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फिजी कोरल तट दुनिया के सबसे अच्छी तरह से संरक्षित और जैव विविधता वाले समुद्री वातावरणों में से एक है, जहाँ मछलियों की 1,000 से अधिक प्रजातियाँ और कोरल की 300 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
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फिजी अपने "बुला" अभिवादन के लिए जाना जाता है, जो एक हंसमुख और मैत्रीपूर्ण अभिव्यक्ति है जिसका उपयोग नमस्ते कहने के लिए किया जाता है, जो अच्छे स्वास्थ्य और खुशी का भी संदेश देता है। चीनी ही वह उद्योग है जो भारतीय मजदूरों को यहां आने का एक कारण है।
फिजी दुनिया की सबसे बड़ी चीनी मिल का घर है, जो देश के चीनी उत्पादन उद्योग में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है, एक प्रमुख निर्यात और आर्थिक योगदानकर्ता है।
और देशों पर फिर कभी लिखूंगा।
(विकीपीडिया और अन्य ओनलाइन सामग्री से साभार)