Friday, September 15, 2023

मेरे सफर के साथी- कैमरा


मेरा दूसरा कैमरा - आग्फा क्लिक - III , अमेजन पर फिल्म रोल के दाम


सफर के साथी ? आपके दिमाग में तुरंत आएगा उन लोगों के नाम या चेहरा जिनके साथ आपने अविस्मरणीय या भूल जाने योग्य यात्राएं की है। बचपन में माता-पिता के साथ, छात्र जीवन में अपने खास सहपाठी मित्र या मितवा के साथ। जवानी में सहकर्मी, प्रेमिका या अन्य प्रिय जन के साथ या बुढ़ापे में जीवन संगिनी के साथ। लेकिन मैं सफर के साथी व्यक्तियों की बात कर ही नहीं रहा। तो फिर? बाइकर से पूछिए वो अपने बाइक को सफर का साथी बतायेगा। ऐसे सफरियो का बाइक या पसंदीदा कार के बिना सफर संभव ही नहीं। उनके लिए सफर के साथी है बाइक या कार। पहले ट्रेन से सफर करने वालों का साथी होता था पानी की सुराही, बेडिंग, टीन का बक्सा। अब भी सभी के साथ पानी की बोतल तो होती ही है बेडिंग की जरुरत नहीं रही AC में रेलवे बेडिंग दे ही देती है , स्लीपर में भी सीट पर गद्दे लगा दिए है बस एक फुलाने वाला तकिया सफर का साथी हो जाता है । इतने सारे चीज़ों के बीच जो सबसे आवश्यक सफर का साथी है वह है कैमेरा। कल्पना कीजिये आप एक सुन्दर सी जगह घूमने गए हो और उस जगह की सुंदरता क़ैद करने के लिए आपके पास कोई कैमरा नहीं। इस ब्लॉग में मैं इसी सफर के साथी पर मेरे अनुभव साझा करूँगा ।



मेरा पहला कैमरा ( फोटो विकिपीडिया से साभार )-पापा आग्फा गेवेर्ट कैमरा के साथ


अपना पहला कैमरा मैंने कैसे खो दिया
मैं कोई फोटो उत्साही (Photo enthusiast) व्यक्ति नहीं हूँ न ही मेरे परिवार जन मुझे अच्छा फोटोग्राफर मानते है, पर कॉलेज ट्रिप पर मैं उन गिने चुने छात्रों में था जिसके पास कैमरा था, मेरे पिता का Aim and shoot आग्फा गेवेर्ट बॉक्स कैमेरा। पर इस कैमरा और मेरा साथ कुछ ही दिनों का था। 3rd ईयर (१९६७) के कॉलेज ट्रिप पर हमारा यात्रा पथ ( itinerary ) था पटना - दुर्गापुर - कलकत्ता - पूरी - जमशेदपुर - पटना। कलकत्ते में बहुत घूमे - दक्षिणेश्वर - म्यूजियम - विक्टोरिया मेमोरियल - ज़ू घुमते थक गए थे और दमदम यानि आज के Netaji Subhash Chandra Bose International Airport जाते जाते हम बस में झपक गए और जब दमदम में हड़बड़ा कर उठे कैमरा बस में ही छूट गया। जब एक बोर्ड पर नज़र पड़ी जिसपर तीन भाषाओं में लिखा था "Photography strictly prohibited" तब कैमरा की याद आई लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी।
यह कैमरा एक aim and shoot कैमरा था । फिक्स्ड फोकस , अपर्चर कण्ट्रोल के रूप में बस सूर्य और बादल का सेटिंग थ। इसमें १२० साइज का रील लगती थी और उस पर यह 8x6 cm की ८ फोटो लेता था।
सबसे उपर मैंने फिल्म रोल के ताजा दाम दे रहा हूं, शायद अब फिल्म कैमरा अब अपने रेंज से बाहर हो गया है।

मेरा दूसरा कैमरा
आग्फा क्लिक ३ मेरा दूसरा कैमरा था जिसे सेकंड हैंड में मैंने ऊटी में ख़रीदा था। यह भी एक AIM and SHOOT कैमरा था । इसका स्पेसिफिकेशन निम्न लिखित है।
फिल्म: 120 रोल, चित्र का आकार 6x6 सेमी x 12 फोटो
फोकसिंग: निश्चित फोकस, 4 मी से infinity तक।
शटर स्पीड लगभग 1/30 से और "B"
लेंस: एक्रोमैट 72.5 मिमी एफ/8.8; एफ/11 तक नीचे
एपर्चर सेटिंग्स: लेंस-शटर बैरल पर बादल और धूप सेटिंग आइकन
बेस प्लेट पर tripod माउंटिंग पेंच
फ़्लैश unit के लिए कनेक्शन पिन
बेंड बैक कवर एक फिल्म प्रेशर प्लेट के रूप में भूमिका निभाता है और एक स्थिर और अच्छी तीक्ष्णता प्रदान करता है,
बॉडी: प्लास्टिक
आग्फा क्लीक III के पहले एक दोस्त ने १९६८ में नेपाल से एक ९ या १२ रूपये वाला एक Chinese बॉक्स कैमरा ला दिया था। यह १२० के रील पर 4.5x 4.5 cm साइज के १६ फोट खींचता था। इस कैमेरे से भी अच्छी फोटो खींचे थे मैंने । अभी तक कलर फोटो नहीं खींचा था। मैंने ब्रश और फोटो कलर स्ट्रिप के मदद से BW फोटो कलर करने लगा और कुछ फोटो गजब के कलर किये भी।

रॉलीफ्लेक्स कैमरा - फोटोग्राफर की पसंद

इस काल में स्टूडियो वालों के पास डबल लेंस रिफ्लेक्स कैमरा होता था - रोलीफ्लेक्स का। इसमें दो लेंस होते थे एक लेंस से फोटो खींचते थे और दूसरे लेंस से व्यू फाइंडर में फोटो दिखती थी और तीक्ष्ण फोटो फोकस करने में काम आता था।

मेरा पहला सेमि आटोमेटिक कैमरा याशिका - इलेक्ट्रो ३५, TRIPOD स्टैंड यशिका इलेक्ट्रो ३५ के लिए ख़रीदा , अब मोबाइल के लिए काम आता है
मेरे अन्य फिल्म कैमरे
मैंने अपना पहला सेमि आटोमेटिक कैमरा जर्मनी में ख़रीदा १९८३ में - यशिका इलेक्ट्रो ३५ । ऐसे तब तक एसएलआर (सिंगल लेंस रिफ्लेक्स ) कैमरा आ गया था। SLR कैमरा में व्यू फाइंडर और फोटो फिल्म एक ही लेंस से एक्टिवटे होता था यानि ज्यादा शार्प फोटो। पेंटाक्स का करीब २५०-३०० मार्क्स में। मेरे बहुत सारे दोस्तों ने खरीदा भी। पर मेरे बजट में यह कैमरा नहीं था। इसलिए जहां मेरे मित्र ने कैनन का आटोमेटिक कैमरा ख़रीदा मैंने एक सेमि आटोमेटिक कैमरा ख़रीदा। इस कैमरा का अपर्चर रेंज 1.7 से 22 तक हैं । बताता चलूं 1.7 सबसे बड़ा (कम रोशनी के लिए) और 22 सबसे छोटा(अधिक रोशनी के लिए) एपर्चर है इस कैमरे में। मैंने सबसे बड़े १.२ अपर्चर वाले कैमरे देखे है। फिल्म का ASA सेट (हम अक्सर १०० ASA की या फिर high speed 400 ASA की फिल्म खरीदते) कर सकते है कैमरा स्पीड ऑटोमेटिकली सेट हो जाता है। व्यू फाइंडर में दो इमेज दिखता है जिसे एडजस्ट कर एक दूसरे पर मिला लेते है फोकस करने के लिए। कैमरा और उसका फ़्लैश ट्रिपॉड स्टैंड अभी भी पास है पर अब फिल्म कैमरा कौन व्यवहार में लाये । अमेज़न पर फिल्म के दाम का स्क्रीन शॉट दे रहा हूँ । १९९३ में अमेरिका में मिनोल्टा और १९९६ में दक्षिण अफ्रीका में चिनोन कैमरा भी खरीदा था। बिटिया जब भारतीयम में जा रही थी तो उसके लिए एक यशिका कैमरा चेन्नई के बर्मा बाजार से ख़रीदा। ओरिजिनल दिख रहा था। मैं उसे लेकर पास ही एक नार्मल कैमरा शॉप में गया तो पता चला यदि कैमरा पर याशिका खुदा हो तो ओर्जिनल और नाम पेंट किया हो तो डुप्लीकेट। मेरा डुप्लीकेट निकला पर उसने यह भी बताया की लेंस ओरिजिनल है। इस केमरे से खींचे फोटो बहुत अच्छे थे। इन सब कैमरों में ३५ mm फिल्म लगती थी और स्टैण्डर्ड फिल्म पर ३५ फोटो खींच जाते थे। पर हम कोशिश करते थे की एक - दो और फोटो खींच जाय।





मेरा पहला डिजिटल कैमरा

२००५ में जब मैंने एक सैमसंग कैमरा फ़ोन ख़रीदा तो वह मेरा पहला डिजिटल कैमरा था। मेरा दूसरा कैमरा था नोकिआ ६६०० जो उस वक़्त का बहुत लोकप्रिय और महंगा फ़ोन था। यह फ़ोन VGA फोटो खींचता था तब फ़ोन में सेल्फी नहीं होता था । जब २००७ में मैं अकेले लंदन गया तब मेरे पास यही मोबाइल था यानि NOKIA 6600 मैंने बड़ी मुश्किल से फ़ोन उल्टा करके एक दो अपनी फोटो ली थी। २००५ में ही मैंने अपना पहला 4 MP डिजिटल कैमरा लिया - Olympus। फ़िलहाल दो तीन साल से इसका शटर ख़राब हो गया है पर मैंने दूसरे कैमरा ख़रीदे इस बीच ।





सोनी और कैनन कैमरा वर्तमान समय में हमारा डिजिटल कैमरा

हमारा अगला डिजिटल कैमरा 10 MP सोनी कैमरा था और मेरी पत्नी इसे व्यवहार में लाती। फिर एक कैनन का 18 MP कैमरा उनके लिए जन्म दिन के लिए ख़रीदा। मैंने कभी DSLR कैमरा खरीदने के बारे में नहीं सोचा पर अब तो मोबाइल फ़ोन ही 50 MP फोटो खींचते है। एकदम शार्प। डिजिटल फोटो - वीडियो को कंप्यूटर / मेमोरी कार्ड पर या एक्सटर्नल डिस्क पर सेव कर रखना आसान है और वक़्त पर मिल भी जाते है। मैंने फिर भी उन सभी 'फिल्म फोटो' को एल्बमों में सहेज कर रखा है लेकिन शेयर करने के पहले उन्हें स्कैन करना पड़ता है। कुछ के निगेटिव भी है।

फ्लिप वीडियो रिकॉर्डर

घुमक्कड़ी में दो बार मैं FLIP VIDEO RECORDER भी साथ ले गए थे, और एक बार टैब पर दो तीन गजेट एक साथ संभालना और साथ में कैमरा फोन भी मुश्किल है और अब सिर्फ मोबाइल से काम चला लेता हूं। बस अभी कैमरे के बारे में इतना ही।

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