पूर्वी भारत में रेल के प्रारंभिक दिनों पर मेरा एक ब्लॉग
7 UP / 8 down हावड़ा-दिल्ली तुफान एक्सप्रेस या उसका नया अवतार 3007/3008 हावड़ा-गंगानगर उद्यान आभा तुफान एक्सप्रेस 92 साल चलने के बाद 2022 में बंद हो गई। एक जमाने में अपने नाम को सार्थक करती यह एक प्रसिद्ध सुपरफास्ट ट्रेन थी। एक फिल्म भी बनी थी 8 down toofan mail. और १९४२ की फिल्म 'जवाब' में एक गाना भी था दुनिया ये दुनिया तूफ़ान मेल ! आज मैं इसी ट्रेन की कहानी सुनाऊंगा।
हमारे शहर जमुई (पटना - हावड़ा के मध्य) में कुछ ही सुपरफास्ट ट्रेनें रूकती थी। जिसमें तुफान एक्सप्रेस भी एक था। तब main line होकर चलने वाली सबसे तेज़ ट्रेन 5 UP /6 Dn पंजाब मेल हमारे स्टेशन पर नहीं रुकती थी। छात्र जीवन में तुफान एक्सप्रेस पटना से जमुई के लिए मेरी पसंदीदा ट्रेन थी। सुबह छः के करीब चल कर तीन घंटे में 153 km की यात्रा पूरी करती थी। औसत 50 kmph के स्पीड तब के लिए बहुत शानदार स्पीड हुआ करता था। ट्रेन की अधिकतम स्पीड 65 होती थी। पटना से 12 dn बनारस एक्सप्रेस (बाद में अमृतसर एक्सप्रेस) और 39 dn जनता एक्सप्रेस दो अन्य गाड़ियां थी जिससे मैं जमुई लौटता था। पहले देखे इस ट्रेन का इतिहास !
Via Grand Chord ie via Gaya
पटना होकर चलने वाली यह ट्रैन प्रारम्भ में गया होकर चलती थी । साल 1930 से 1955 तक यह गाड़ी 7Up/8Dn हावड़ा से दिल्ली तूफान एक्सप्रेस वाया सासाराम,गया,मुगल सराय, (यानि ग्रैंड कार्ड लाईन) कानपुर, अलीगढ़ टूंडला के रास्ते चलती थी। 7up हावड़ा से 20:10 बजे चलती थी और दिल्ली अगले दिन 06:23 बजे पहुंचती थी और 8dn दिल्ली से 20:55 बजे चलती थी और हावड़ा अगले दिन 08:36 बजे पहुंती थी।यानि हावड़ा से दिल्ली तक की यात्रा करीब ३५ घटने में पूरी होती थी। बताना न होगा की ट्रेन में तब स्टीम इंजन का प्रयोग होता था।
Via main line ie via Patna
फिर साल 1956 में तूफान एक्सप्रेस को हावड़ा से नई दिल्ली वाया पटना, टूंडला आगरा हो कर चलाया गया तब भी इसकी स्पीड अच्छी थी। हावड़ा से 09:45 बजे चलकर दिल्ली अगले दिन 15:00 बजे पहुंचती थी और दिल्ली से 16:55 बजे चलकर हावड़ा अगले दिन 18:36 बजे पहुंचती थी।
1957 बड़हिया में ट्रेन रोकने के लिए 4 लोगो ने जान गंवाई
बड़हिया में तूफान एक्सप्रेस के ठहराव के लिए 1957 में आंदोलन किया गया था। उस आंदोलन में ट्रेन से कटकर चार लोगों की जान चली गई थी। ये घटना क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है। बड़हिया रेलवे स्टेशन पर तूफान एक्सप्रेस का ठहराव नहीं था। उक्त ट्रेन के ठहराव की मांग के लिए ग्रामीण रेलवे स्टेशन की अप लाइन पर धरना पर बैठे थे। सुरक्षा में लगे पुलिस जवानों ने ट्रेन के आने की सूचना से पहले सबको हटाने का प्रयास किया, लेकिन चार लोग बैठे ही रह गए थे। तत्कालीन मुंगेर जिले के जिलाधिकारी एवं सरकार का सख्त निर्देश था कि तूफान एक्सप्रेस को बड़हिया स्टेशन पर नहीं रोकना है। किऊल स्टेशन पर उस वक्त ट्रेन के इंजन एवं ड्राइवर को बदलकर आगे के लिए रवाना किया गया और तूफान एक्सप्रेस उक्त चारों धरना दे रहे लोगों को रौंदते हुए बड़हिया स्टेशन से गुजर गई और अगले स्टेशन मोकामा में जाकर ही रुकी।
तुफान एक्सप्रेस कैसे बना उद्यान आभा तुफान एक्सप्रेस
साल 1991 में 7up/8dn हावड़ा-नई दिल्ली तूफान एक्सप्रेस को एक अन्य ट्रेन के साथ मिला दिया। गया । अक्सर ऐसी ट्रेनें मर्ज होने पर अपनी विशिष्टता (Exclusivity) और पहचान खो बैठती है। नए रूट , नए बढ़े स्टापेज के कारण लेट चलने की समस्या होने लगती है और राजनीतिक दवाब के कारण नए ठहराव जुड़ने लगते हैं। तब 59UP/60DN नई दिल्ली- श्रीगंगानगर उद्यान आभा एक्सप्रेस चलती थी 59DN दिल्ली से 22:45 बजे चलती थी और श्रीगंगानगर नगर 08:00 बजे पहुंचती थी और 60UP श्रीगंगानगर से 22:55 बजे चलती थी और नई दिल्ली 07:20 बजे पहुंचती थी।
इसी ट्रेन को तूफ़ान एक्सप्रेस के साथ मर्ज कर दिया गया और तूफान एक्सप्रेस औरअब इस ट्रेन का नाम हो गया उद्यान आभा तूफान एक्सप्रेस । और 3007UP/3008DN हावड़ा-श्रीगंगानगर तक यह ट्रेन चलने लगी । नई दिल्ली से आगे यह ट्रेन रोहतक,जींद ,नरवाना,जाखल,बठिंडा स्टेशन पर रूकती हुई श्रीगंगानगर पहुँचती थी।
इस तरह इस नयाब ट्रेन के बर्बादी की शुरुआत तो हो ही चुकी थी रही सही कसर 1997 में पूरी हुईं जब हावड़ा-नई दिल्ली तूफान एक्सप्रेस की स्पीड को स्लो किया गया। अब यह गाड़ी हावड़ा और गंगा नगर के 110 जगह रुकते चलते बीच 45 घंटे लेने और कितने घंटे लेट चलने लगी यह शोध का विषय है। इस प्रकार एक जामाने की सुपरफास्ट ट्रेन तूफान एक्सप्रेस को बर्बाद किया गया और यह अक्सर छोटी लोकल यात्राओं के लिए लोकप्रिय हो गयी।
पुरानी यादें तरोताजा कर दी आपने
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्रण "तूफान का इतिहास"
धन्यवाद ,नमस्कार
Interesting research-Bimal
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