२३ दिसंबर २०१८ रविवार
अपने पिछले ब्लॉग में मैंने उदयपुर के आस पास में की गयी कुम्भलगढ़ की यात्रा के बारे में लिखा था। इस भाग में उदयपुर शहर में की गयी घुमक्कड़ी के बारे में कुछ बता रहा हूँ।
आज का प्लान था सिटी पैलेस , करनी माता मंदिर (रोप वे ), और बोटिंग। पर जितने की उम्मीद कर रखी थी उतनी घुमक्कड़ी नहीं हो पाई। सबसे पहले हम लोगों से निर्णय लिया उदयपुर का सिटी पैलेस जायेंगे। टैक्सी वाले ने टिकट खिड़की तक पंहुचा कर गाड़ी पार्क कर हमे रास्ता दिखने आ गया । यह पैलेस उदयपुर के सबसे सुन्दर लेक यानि लेक पिछोला के किनारे ही है और यह सिटी पैलेस भी बहुत ही खूबसूरत है। लेक के अंदर एक होटल (शायद सेवन स्टार ) ताज लेक पैलेस है। यह होटल जग निवास पैलेस था जिसे मेवाड़ के महाराणा भगत सिंह ने १९६३ में एक होटल में बदल डाला।
सिटी पैलेस का पूरा व्यू (विकिपीडिया के सौजन्य से )
सिटी पैलेस (राज महल), उदयपुर शहर में स्थित एक महल परिसर है। इसे मेवाड़ राजवंश के कई शासकों के योगदान से लगभग 400 वर्षों की अवधि में बनाया गया था। इसका निर्माण 1553 में शुरू हुआ, जिसे सिसौदिया राजपूत परिवार के महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने शुरू किया था, जब उन्होंने अपनी राजधानी को तत्कालीन चित्तौड़ से नए शहर उदयपुर में स्थानांतरित कर दिया था। यह महल पिछोला झील के पूर्वी तट पर स्थित है और इसके परिसर में कई महल बने हैं।
महल की और जाते हुए और पिछोला लेक का अचंभित करने वाला दृश्य
हम लोग लेक के किनारे बने वाक वे पर टहलते नावों को देखते महल के तरफ चल पड़े । पता किया तो नाव का रेट ज्यादा था और होटल वाले द्वीप पर उतरना संभव नहीं होता। हमारे ड्राइवर ने बताया बोटिंग हम किसी और लेक में कर सकते है और फिर हम महल की और जल्दी जल्दी बढ़ चले। हमारा टिकट चेक हुआ और हम एक सकरे से सीढ़ियों से अंदर दाखिल हो गए। मुश्किल यह था की रविवार और क्रिसमस वाला हफ्ता होने के कारण भीड़ बहुत यानि सच में बहुत थी । पुरे महल में आप बिना किसी से टकराये आगे बढ़ ही नहीं सकते थे । इस कारण हम सभी को क्रिसमस वाले सप्ताह में उदयपुर सिटी पैलेस न जाने की सलाह देते है।
महाराणा प्रताप के चेतक की एक कलाकृति और महल का एक आंगन शिव विलास बीथी
परिसर के भीतर के महल कई चौकों या चतुष्कोणों के माध्यम से टेढ़े-मेढ़े गलियारों से जुड़े हुए हैं, जो दुश्मनों के अचानक हमलों से बचने के लिए इस तरह से योजनाबद्ध हैं। मुख्य त्रिपोलिया द्वार से प्रवेश करने के बाद, परिसर में सूरज गोखड़ा , मोर-चौक (मयूर प्रांगण), दिलखुश महल , सूर्य चौपड़, शीश महल हैं। (कांच और दर्पण का महल), मोती महल , कृष्ण विलास, शंभू निवास (अब शाही निवास), भीम विलास, अमर विलास - एक उभरे हुए बगीचे के साथ बड़ी महल , फतेप्रकाश महल और शिव निवास महल। यह परिसर एक डाकघर, बैंक, ट्रैवल एजेंसी, कई शिल्प दुकानों और विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) से संबंधित एक भारतीय बुटीक की सुविधाओं से सुसज्जित है। संपूर्ण परिसर मेवाड़ शाही परिवार की संपत्ति है और विभिन्न ट्रस्ट इसकी संरचनाओं की देखभाल करते हैं।
क्रिसमस के हफ्ते का रविवार और भीड़
सिटी पैलेस से उदयपुर शहर का एक विहंगम दृश्य और चौमुखा पवैलियन
भीड़ के कारण हमे पैलेस को देखने में काफी समय लग गया। दोपहर तक ही निकल पाए और हमारे पुरे ग्रुप में किसी ने कुछ देखा तो किसी ने कुछ। हमारे ग्रुप में सभी कुछ देखने वाले एक ही व्यक्ति था। यह व्यक्ति टूर के फोटो देखने पर अब भी बताता है की "अपने तो यह देखा ही नहीं - भीड़ से डर कर"। जब निकले तो हम रोपवे ले कर करनी माता जाना चाहते थे पर ड्राइवर ने बताया मंदिर बंद मिलेगा। हमारे प्रोग्राम में सिर्फ कहीं नौका यान करना बाकि था और इसके लिए हमें किसी बढ़िया लेक पर जाना था। पता चला लेक पिछोला के तरह फ़तेह सागर लेक भी मानव निर्मित है और हम सभी वही जा रहे थे।
फतेहसागर लेक में नौका यान और लेक के किनारे भीड़ भाड़ वाले रेस्टोरेंट में लंच
बोट का टिकट ज्यादा नहीं था। हमने नाव से लेक के उस पार स्थित लोगों से भरे एक रेस्टोरेंट जा पहुंचे। सभी भूखे थे और यहाँ से लेक की बड़ी अच्छी व्यू आ रही थी। सभी से पेट भर खाया और हम अपने होटल लौट पड़े।
Yeh nahin bataya ki sabhi kuch dekhne waala vyakti kaun tha? 😊😊 Aur boating ke liye aakhir Jaa kyon rahe the 😅😅 Asli karan kaun tha
ReplyDeletewho saw everything in City Palace is surprise disclosure and I urge this member of the team to come forward ! Boating - all 6 of us went for boating !
Deletewho saw everything in City Palace is surprise disclosure and I urge this member of the team to come forward ! Boating - all 6 of us went for boating !
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