मंजरी जी से मेरी पहली मुलाकात बोकारो में हुईँ थी । उनके बेटे अनंत शील ( शैलू ) से हमारी बेटी श्वेता की शादी की बात चल रही थी और लड़का लड़की को देखने दिखने हम वहां गए थे । मुझे शैलू तो देखते ही पसंद आ गया उसका 100 $ smile जो था । उनलोगों को भी श्वेता तुरंत पसंद आ गयी और एक quick इंगेजमेंट का फंक्शन मेरे पुराने मित्र जैन साहेब के यहाँ कर हम लोगों इस रिश्ते पर मुहर लगा दी। कोई लेन देन नहीं था। मंजरी जी एक आत्म विश्वास से भरी +ve विचारो वाली महिला थी और एक मुलाकात में ही हम उनके कायल हो गया । एक घटना जो याद है वह है कि शादी की तारीख तय होने के बाद मै अपने एक साढ़ू भाई के साथ बोकारो गए थे। जब चलने का समय हुआ तब मैने लिफाफा बंद रुपयों की एक गड्डी जेब से निकाल कर टेबल पर रख दिया। पूछने पर मैने कहा कि बस और रास्ते के खर्च के लिए है। मंजरी जी ने गंभीर शब्दो में कहा यदि आपने इसे तुरंत नहीं उठाया तो शादी नहीं होगी। बात बिगड़ती देख मैने झट से पैसे उठाये और निकल लिए। पहले जहाँ भी गए मांग कुछ नहीं होने पर भी लड़के वाले का काफी कुछ Expectaions रहता। मंजरी जी के लिए मेरा आदर बहुत बढ़ गया।
बाद में तो उनकी कई खूबियां सामने आई और हम तो मानसिक रूप से उनके प्रशंसक बन गएं। बच्चों के लिए एक स्नेहमयी माँ और हमेशा उनका ही भला चाहने की भावना से भरी अभिभावक थी वे। शैलू और उसकी छोटी बहन मौली का भी अपनी माँ के लिए प्रेम और आदर भावना देखते ही बनता । फिर जब शैलू और श्वेता अमेरिका गए तो उनके दोनों बच्चों के जन्म के समय हम दोनों और मंजरी जी और शैलू के पापा नारायण साहेब को वहां साथ साथ रहने और समय बिताने , घूमने का मौका मिला ।धीरे धीरे मैं उनकी और खूबियों से रूबरू होता गाया । हिंदी की अध्यापिका थी , साहित्य में रुचि स्वाभाविक ही था । नृत्य हो या चित्रकला अच्छी पकड़ थी उनको ।
बाद में जब शैलू / श्वेता दिल्ली shift कर गये तो शैलू का उसके माँ पापा का बोकारो में अकेले रहना और माँ का स्कूल की नौकरी करते रहना ठीक नहीं लगा और मंजरी जी को रिटायरमेंट के पहले नौकरी छोड़ने पर मना कर दिल्ली ले आया । क्यकिं मेरे पुत्र सोमिल का परिवार भी दिल्ली में था इसलिए हम लोग कई बार दिल्ली जाते कम से कम अपने चारो नाती पोते पोतियों के जन्म दिन पर जाना आवश्यक ही था । और लगातार मंजरी से मिलने का अवसर मिलता रहता । धीरे धीरे कब मन में समधन की जगह दोस्त की भावना घर में बैठ गयी पता भी न चला । वो बार बार यह याद दिला देतीं की मैं उनसे उम्र में छोटा हूँ और वो मुझे मेरी स्वर्गीय दीदी की याद दिला देतीं ।
कोरोना के समय वह मौली के पास UK में थी और Flights बन्द होने के पहले मंजरी जी को दिल्ली आना पड़ा । lockdown के कारण दिल्ली में ही सिर्फ 11 km दूर हो कर भी हम छः छः महीने बेटे के यहाँ से बेटी के यहाँ आ जा नहीं सके । जन्मदिन हो या anniversary सभी online मनाएं जाने लगे। पोते मंजरी जो को बहुत प्रिय थे । पोते भी दादी का बहुत ख्याल रखते । उनके जन्म दिन पर मंजरी जी उन्हें हर दो घंटे पर कुछ गिफ्ट करती । जन्मदिन हो या anniversary, इन अवसरों पर मंजरी जी आकर्षक कार्ड बनातीं जिसमे कुछ अच्छे शब्द और सुन्दर स्केच होती। मैंने ने सोचा था की उनके जन्म दिन पर मैं भी एक वैसा ही कार्ड बनाऊंगा पर पिछली बार बना नहीं हमसे सोचा था एक ब्लॉग ही लिख दूंगा ।हम लोग निश्चिन्त थे की हमलगों से दूर रह कर भी श्वेता एक माँ के स्नेह से वंचित नहीं थी । श्वेता भी एक एक बेटी की भांति ही उनका ख्याल रख रही थी । क्या पता था वे मदर्स डे के दिन ही वह दुनियां को छोड़ देगी।
क्या पता ९ मई 2021 को मंजरी जी इस दुनिया को छोड़ चली जाएगीं और मैं उनके लिए यह निवापांजलि (Obituary ) लिख रहा हूँगा । 7 और 8 मई को उनसे वीडियो कॉल पर बात की एकदम भली चंगी दिखी तो कई दिनों की चिंता ख़त्म हो गयी। बातों में सारा समय श्वेता की तारीफें करती रही । उस दिन खाना भी ठीक से खाया और खुद से उठ कर कपूर भी जला आई । क्या पता था यह बुझने के पहले दीये का धधकना हैं । मेरी बिटिया अपने माँ जैसी स्नेहमयी सास को इतनी जल्दी खो देगी, उसे भी गुमान न था। हवन के दिन सभी ऑन लाइन जुड़े। हमलोग शुरू से अंत तक ऑन लाईन ही रहे और परिवार की शुभकामना करते रहे। मंजरी जी आप जहाँ भी है ठीक रहे ठीक से रहे और बच्चों पर अपना आशीर्वाद बरसाते रहे । ईश्वर आपको चरणों में स्थान दे ।
Truly,Manju bua was a lady with a golden heart. Very kind, compassionate and caring. I do not remember any ocassion in my life after my wedding when she missed to call or greet me. All our birthday, anniversary, new job news, illness times ,she was the first person to ask ,congratulate and care...I remember talking to her a week back and she told " Is mahine itne family members ki birthday and anniversary hai, aur hum bimaar ho gaye. AB kaise sabko wish karenge ya koi celebration karenge" And I told her " Aap jaldi theek ho jaaye, than we will celebrate soon "
ReplyDeleteIt is really sad and a void in our lives without her. We love you very much, you will always be our star !
Thanks Uncle for sharing your journey with Manju Mausi. It is so heartwarming. She was the most loving person and will always be alive in our hearts. - Regards, Shruti
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