सबसे पहले जगह, स्थान, भूगोल:
हम लोग जनकपुर से काठमांडू लौट रहे थे, बी पी राजमार्ग से और "सिंधुली गढ़ी भी देख ले" वाला विचार सर्व सम्मति से पास हो गया। सेल्फी डाडा और खनियाखर्क के बीच एक बांए मोड़ मिला और हममें से किसीने ड्राइवर को सिंधुली गढ़ी के तरफ कार घुमा लेने को कहा। दो कि०मी० से भी कम दूरी तय करते ही हम आ पहुंचे सिंधुली गढ़ी। प्रवेश के लिए टिकट लेना था। आश्चर्य तब हुआ जब हम दोनों का 70+ होने के कारण टिकट नहीं लगा ।
सिंधुली गढ़ी मध्य नेपाल में एक ऐतिहासिक किला और पर्यटक आकर्षण है। सिंधुली गढ़ी तत्कालीन गोरखा सेना और कैप्टन किनलोच के नेतृत्व वाली ब्रिटिश सेना के बीच लड़ाई के लिए प्रसिद्ध है। खजांची बीर भद्र उपाध्याय और सरदार बंशु गुरुंग की कमान के तहत गोरखा सेना ने नवंबर 1767 (कार्तिक 24, 1824 विक्रम संवत) में ब्रिटिश सेना को हराया।
कार पार्किंग के पास ही सानो (छोटा) गढ़ी की सीढ़ियां शुरू होती है। पत्थरों से बने कुछ खंडहर है। थोड़ी दूर चलने पर मिलता है शहीदों के स्मारक, म्यूजियम, नेपाल निर्माता श्री पृथ्वी नारायण शाह की मुर्ति, एक छोटा पार्क और ठुलो (बड़ा) गढ़ी की सीढ़ियां।
आईए अब इसके इतिहास के बारे में कुछ जाने।
नेपाल के एकीकरण के संबंध में राजा पृथ्वी नारायण शाह ने काठमांडू घाटी को घेर लिया और आर्थिक नाकेबंदी कर दी। उस समय काठमांडू के राजा जया प्रकाश मल्ल ने भारत में ब्रिटिश सेना को एक पत्र लिखकर सैन्य सहायता का अनुरोध किया। अगस्त 1767 में, जब ब्रिटिश सेना सिंधुली गढ़ी में पहुंची, तो गोरखा सेना ने उनके खिलाफ गुरिल्ला हमला किया। ब्रिटिश सेना के कई लोग मारे गए और बाकी अंततः भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद छोड़कर भाग गए, जिन्हें गोरखा सेना ने जब्त कर लिया। बंशु गुरुंग की कमान के तहत गोरखा सेना ने ब्रिटिश सैनिकों को काठमांडू घाटी की ओर बढ़ने से रोक दिया था। गोरखाओं ने ब्रिटिश सैनिकों को हराने के लिए कई अन्य युक्तियों के साथ-साथ अरिंगाल (ततैया) के छत्तो को तोड़ना और पत्थर फेंकना या लुढ़काने जैसी अपरंपरागत युद्ध रणनीति का इस्तेमाल किया था।
हम उपर गढ़ी तक नहीं गए और हममें से एक सदस्य के घुड़सवारी के बाद लौट आए । मोड़ पर बहुत सारे ताजे फल की दुकान थे और हम जुनार (मौसंबी) और काफल भी खरीदे। रास्ते में प्राचीन कुशेश्वर नाथ मंदिर में दर्शन कर हम काठमांडू लौट आए।
बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद
सुंदर वर्णन और स्थान
प्रशंसनीय