मकर सक्रांति - क्या है ? क्यों हर साल १४ या १५ जनवरी को ही मनाया जाता है ?
मकर सक्रांति - पूरे भारत और नेपाल में भिन्न भिन्न नाम से और भिन्न भिन्न तरीके से मनाया जाता है। कुछ बातें पहले बता दू फिर इसके कई नामों और रूप की बात करेंगे। हमारा आसमान के तारे १२ राशियों के तारा समूह में बंटा है । और सूरज हर महीने इसमें से किसी एक राशि में रहता है या पृथ्वी से उसी राशि में दिखता है। जब सूरज किसी एक राशि से दूसरे राशि में जाता है तो उसे संक्रांति कहते है और मकर संक्रांति के दिन सूरज धनु राशि से मकर राशि में जाता है।क्योकि संक्रांति पृथ्वी की सूर्य के परिक्रमा पर निर्भर है यह ग्रेगोरियन कैलेंडर जो एक सोलर कैलेंडर है से हर वर्ष मैच करता है। अब अंग्रेजी कलैंडर को सही सही रखने के लिए लीप ईयर के कई नियम (CLICK TO SEE) बनाये गए है और इसके कारण संक्रांति के तारीख में एक दिन का फर्क किसी किसी वर्ष हो जाता है।
गुजरात में पतंग बाजी, वेंन पोंगल
इस वर्ष संक्रांति किस किस तारीख पर पड़ता है ? किसी किसी वर्ष एक दिन का फर्क हो सकता है।
१४ जनवरी - मकर संक्रांति , पोंगाल
१३ फरवरी - कुम्भ संक्रांति
१४ मार्च - मीन संक्रांति
१३ अप्रैल - मेष संक्रांति - वैशाख , पोइला वैशाख , सतुआनी , बिहू , पण संक्रांति
१५ मई - वृषभ संक्रांति
१५ जून - मिथुन संक्रांति
१६ जुलाई - कर्क संक्रांति
१६ अगस्त - सिंह संक्रांति
१६ सितम्बर -कन्या संक्रांति -विश्वकर्मा पूजा
१७ अक्टूबर -तुला संक्रांति
१५ नवम्बर -वृश्चिक संक्रांति
१५ दिसम्बर -धनु संक्रांति
हर संक्रांति पर सूर्य पूजा किया जा सकता क्योंकि सूर्य का ही भ्रमण एक राशि से दूसरी राशि में होता है। तीन प्रमुख संक्राति मकर संक्रांति , मेष संक्रांति और कन्या संक्रांति या विश्वकर्मा पूजा तो प्रसिद्द है पर कुछ संक्रांति के लिए कुछ नियम भी बनाये गए है जैसे मिथुन संक्रांति के दिन गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर में अम्बुवाची मेला लगता था। सिंह संक्रांति के दिन चंद्रभागा नदी (हिमांचल में चेनाब नदी ) की पूजा की जाती है। कर्क संक्रांति उत्तरायण जो मकर संक्रांति को शुरू होता है का अंत होता है। धनु संक्रांति के दिन नेपाल और भूटान में जंगली आलू खाने का रिवाज़ है और इसी दिन शुरू होता है खरमास जो मकर संक्रांति के दिन ख़त्म होता है। जिस तरह मकर संक्रांति में तिल गुड़ कहते है मेष संक्रांति में सत्तू खाने का रिवाज़ बिहार में है।
अब देखे हर प्रदेश या देश में मकर संक्राति का अभिवादन कैसे करते है।
*Happy Makara Sankranti* -_(AP , Karnataka, Kerala, Goa, Maharashtra)
*Happy Pongal* --(TN & Pondicherry)
*Happy Lohri* --(Punjab & Haryana)
*Sakraat & Makraat* -- (Bihar, UP, Uttarakhand)
*Happy Uttarayan* -- (Gujarat, Diu, Daman)
*Happy Suggi* -- (Karnataka)
*Happy Magh Saaji* --(HP)
*Happy Ghughuti* --(Kumaon)
*Happy Makara Chaula* -(Odhisha
)
*Happy Kicheri* ---(Poorvanchal East UP)
*Happy Pousha Sankranti* -- (Bengal & NE)
*Happy Magh Bihu* --(Assam & NE)
*Happy Shishur Sankraat* --(Kashmir )
*Happy Maaghe Sankrant* -- Nepal
*Happy Tirmoori* -- Sindh Pakistan
*Happy Songkran* -- Thailand
*Happy Pi Ms Lao* -- Laos
*Happy Thingyan* --Myanmar
*Happy Mohan Songkran* -- Cambodia
नेपाली माघे संक्रांति पर विशेष खाना , माघ बिहू पर असम में भैसों की लड़ाई
अब आईये देखे मकर संक्रांति मानते कैसे है।
नदियों में स्नान करने की परंपरा है पर सबसे प्रसिद्ध तीर्थ है गंगासागर जहां मकर संक्रांति पर मेला लगता है। सभी तीर्थ बार बार, गंगासागर एक बार कहावत प्रचलित है। बचपन में मां कहती आज बिना तेल लगाए नहा लो नहीं तो दूल्हन/ दुल्हा काला मिलेगा। बिहार में चूड़ा,दही तिलकुट खाने का रिवाज है। आलू मटर की सब्जी भी बनती है। मां काला तिल के साथ गुड़ देती और कहती तिले तिले बह दिहे। नदियों में स्नान करने की परंपरा है पर सबसे प्रसिद्ध तीर्थ है गंगासागर जहां मकर संक्रांति पर मेला लगता है। सभी तीर्थ बार बार, गंगासागर एक बार कहावत प्रचलित है। बचपन में मां कहती आज बिना तेल लगाए नहा लो नहीं तो दूल्हन/ दुल्हा काला मिलेगा। बिहार में चूड़ा,दही तिलकुट खाने का रिवाज है। आलू मटर की सब्जी भी बनती है। मां काला तिल के साथ गुड़ देती और कहती तिले तिले बह दिहे। मराठी लोग ऐसा ही कुछ बोलते है "तिल गुड़ खया गुड़ गुड़ बोला"। जब दक्षिण भारत में था तब पोंगल एक बड़ा उत्साह वाला त्योहार लगा। चार दिनों में मनाया जाने वाला यह त्यौहार लोहरी के दिन यानि १३ जनवरी के दिन भोगी पोंगल से शुरू होता है देवराज इन्द्र के पूजा के साथ । बड़ी बड़ी सुन्दर अल्पना लोग बनाते है। खाने में पोंगल होता है जो नए चावल से बनी एक प्रकार की खिचड़ी है। क्या इत्तेफ़ाक़ है की UP में मकर संक्रांति को खिचड़ी ही कहते है। पंजाब में लोहरी जला कर और नाच गा कर मानते है जबकि झारखण्ड में टुसु पर्व या सोहराय पर्व में मनाया जाता है मकर संक्रांति। गुजरात में इसे उत्तरायण कहते है। थोड़ा सा गलत लगता है क्योंकि २१-२२ दिसंबर से ही जब साल की सबसे लम्बी रात होती है के बाद सूर्य मकर रेखा से उत्तर के तरफ जाने के लगता है और जून २१ - २२ तक उत्तर जाने के बाद पुनः दक्षिण की तरफ जाता है। गुजरात में खास कर पतंग उड़ाने का रिवाज़ है और थाईलैंड को इसे सॉन्कर्ण कहते और इस दिन पतंग उड़ाया जाता है। श्रीलंका में इसे थिरनल और पोंगल कहते है। बर्मा में भी इसका नाम थिरनल के जैसा है थिनज्ञान। नेपाल में माघे संक्रांति में कुछ seasonal चीज़े जैसे सकरकंद , तिरल और गुड़ तिल, मुरही से बने पकवान खाते है। तराई के थारू लोग घोघा और खेतों के चूहे को भी खाते है इस अवसर पर। जहां जहां भारतीय बसे गए वहां वहां किसी न किसी रूप में ये तोयहर बनाया जाता है। इतने विशाल क्षेत्र में तरह तरह के नाम से मनाये जाने वाले पर्व की विशेषताएं एक ही ब्लॉग में बता देना बहुत मुश्किल है। अभी बस - बांकी अगले ब्लॉग में।
No comments:
Post a Comment