साल था २००७ और मैं अमेरीका से भारत लौट रहा था फ्लाइट थी जेट और वर्जिन की। नेवार्क (न्यू जर्सी ) से लन्दन तक वर्जिन अटलांटिक की फ्लाइट था और लन्दन से दिल्ली तक जेट एयरवेज़ की। जाते समय लन्दन में करीब ५ घंटे का ले ओवर था वीसा था नहीं और मैंने एयरपोर्ट से बाहर निकलने के लिए कोशिश भी नहीं की। तीन महीने बाद वापसी की फ्लाइट थी और लन्दन में १० घंटे का ले ओवर था। मेरे अमेरकी प्रवास के दौरान मेरे साढ़ू भाई जो अमेरिकन नागरिक है ने सलाह दी इमिग्रेशन काउंटर पर लाइन लगा दिजियेगा बाहर जाने मिला तो ठीक है , घूम लीजियेगा। मैंने देखा की निकलने में एक घंटे और चेक इन में दो घंटे भी निकल देने पर भी सात घंटे थे मेरे पास। लन्दन की मुख्य जगहें देखने के किये बहुत थी। १९९३ में USA , CANADA , GERMANY के ट्रिप में दो बार लन्दन में ले ओवर मिला भी था और वीसा भी था लेकिन ग्रुप में रहने के कारण नहीं जा पाया घूमने और रुकने का संयोग नहीं बना। मैंने मन ही मन कोशिश करने का ठान लिया।
लन्दन हम सुबह ८-९ बजे तक पहुँच गए। मेरा लगेज तो दिल्ली के लिए बुक्ड था। मेरे पास एक ट्राली बैग ही था। मैं इमीग्रैशन काउंटर की तरफ बढ़ा और कोई काउंटर के पीछे किसी देशी को खोजने लगा। एक देशी लड़की दिखी और वहां भीड़ भी कम थी। मैंने वहीं लाइन लगा दिया। करीब आधे घण्टे में मेरी बारी आई। मैंने अपनी समस्या पहले अंग्रेजी फिर हिंदी में समझने लगा और बताया भी की १९९३ में UK का वीसा लगा था इस बार तो घूमने दे दो। "No you have to wait in the airport " कहते कहते उसने मेरे पासपोर्ट पर स्टाम्प लगा दिया और मैं जल्दी जल्दी अपना स्ट्रॉली घसीटा और बाहर आ गया।
अब प्रश्न था कहाँ कहाँ और कैसे घूमे ? कुछ रिश्तेदार है लन्दन में पर मैं उनके यहाँ जा कर अपना समय नष्ट नहीं करना चाहता था और वे रहते भी दूर दूर है।
मैं लंदन एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो के हीथ्रो टर्मिनल ५ पर चला गया और टूरिस्ट इनफार्मेशन काउंटर से उठाये मेट्रो का रूट मैप देख रहा था तभी एक देशी लड़का - लड़का ही था मेरे पास आया और कुछ होटल का एडवाइस मुझे देने लगा। मैंने देखते ही पहचान लिया की ये एक बंगाली लड़का है और मैंने बंगला मैं उससे बोलना शुरू कर दिया। "Kemon achhen , amar dos ghantar overlay achhe aikhane ,hotel chai na " कैसे है मुझे दस घंटे का ले ओवर है और मुझे होटल नहीं चाहिए। इस बांग्ला बातचीत का बहुत असर हुआ। उसका नाम था भट्टाचार्जी , संक्षेप में हमारा परिचय हुआ। वह एक छात्र था और आज रविवार था और वह कुछ अतिरिक्त आय के लिए किसी होटल के एजेंट का काम कर रहा था । अब उसने जो बातें बताईं वो ईमानदार एडवाइस था। उसने बतया की एयरपोर्ट एक्सप्रेस का टिकट का दाम १६ पौंड लगेगा और वह सिटी सेण्टर तक ही जाएगी । उसने मेरे हाथ से मेट्रो का रूट मैप लेकर उसपर उन सभी स्टेशन को मार्क कर दिया जहाँ उतर कर मुख्य मुख्य जगह देखा घूमा जा सकता है और मुझे बताया की नीचे अंडरग्राउंड से नार्मल मेट्रो ट्रैन लेना बेहतर ऑप्शन है और क्योंकि रविवार है पुरे दिन कहीं भी घूमने का टिकट सिर्फ ६ पौंड में मिल जायेगा। इतनी कीमती सलाह लेकर मैं निकल पड़ा लंदन घूमने।
Map of London
London Metro Map
सबसे पहले हाईड पार्क स्टेशन उतरा। सुन रखा था यहाँ पब्लिक मीटिंग होती रहती है जैसे राम लीला ग्राउंड या जंतर मंतर में होता रहता है।
पार्क में थोड़ा बहुत घूमा। बहुत सारे लोग थे। एक जगह रास्ते दिखने वाले पट्टे लगे था लगता था की यहीं से बकिंघम महल तक जा सकेंगे पर मैप पर ग्रीन पार्क मार्क था। इस लिए वापस हाईड पार्क से ग्रीन पार्क की तरफ की मेट्रो ले ली। ग्रीन पार्क स्टेशन से बकिंघम पैलेस और वहां स्थित पार्क (शायद जेम्स पार्क ) नजदीक था।
Pcadally Circus and Hyde Park
इतना घूमने में ही करीब दो घंटे निकल गए। मेरे साथ एक और दिक्कत थी मेरे पास कोई कैमरा नहीं था। सिर्फ एक Nokia 6600 फ़ोन था जिसमे तब के समय का अच्छा कैमरा था पर आज से हिसाब से सिर्फ VGA कैमरा ही था। फिर कोई सेल्फी कैमरा तब होता ही नहीं था। अब जगहों के फोटो तो ले सकता थे पर अपनी फोटो कैसे लूँ ? इस अनजान जगह में किसीके हाथ में मैं अपना कैमरा देना भी नहीं चाहता था। मैंने कैमरा उल्टा कर एक दो अपनी फोटो ली लेकिन बहुत अच्छी नहीं आई। खैर इसी तरह मैं पिकाडली सर्कस , लंदन ब्रिज और ट्राफलगर स्क्वायर तक गया ।
Bukingham Palace and deep Escalator at London Bridge Underground
लंदन ब्रिज स्टेशन पर एक चलंत सीढ़ी (Escalator ) इतनी गहरी थी की देख कर डर लग जाये ।
At a restaurant at London Bridge for Lunch
टाइम छह घंटे निकल गए थे और अब क्योंकि एयरपोर्ट के लिए एक दो लाइन चेंज करना पड़ता इसीलिए समय की कमी के कारण मैं एयरपोर्ट के तरफ चल पड़ा। टावर ब्रिज और लंदन आई को बिना देखे। लन्दन मेट्रो के सभी लाइन को रंगो से जाना जाता है (जैसा और दुनिया का सबसे पुराना मेट्रो है और १८६३ में खुला था यह मेट्रो।
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