कुछ बाल गीत जो अभी भी मुझे और मेरे परिवार को याद है। असली लेखकोे से सभार।
1)
हम हैं छोटे छोटे बालक।
भगवन् आप जगत के पालक।।
करें आपकी कैसे विनती।
सींख रहे है अक्षर गिनती।।
इतना ही है हमको आता।
पिता आप ही आप सुमाता।।
ज्ञान और बल हमको देना।
दोष बुराई सब हर लेनाा
हम सब मिल कर शीश नवाते।
अपनी कक्षा में है जाते।।
**बालपोथी, गीता प्रेस, स्मृति आधारित
2)
उठो सवेरे रगड़ नहाओ ।
ईश विनय कर शीश नवाओ ।।
पढ़ो पाठ फिर करो कलेवा।
बढ़िया काम बड़ो की सेवा।।
करो न बातें लम्बी चौड़ी।
कभी न खेलो गोली कौड़ी।
दौड़ कूद के खेलो खेल।
रखना सब बच्चों से मेल।।
सबसे बढ़ कर कौन कमाई।
झट से कह दो एक पढ़ाई।।
*बालपोथी, गीता प्रेस, स्मृति आधारित
3)
अटैची में बिस्किट अटैची में टॉफी।
अटैची में पुस्तक अटैची में कापी।।
ये राजू के सब मित्र नटखट बड़े है।
ये बिस्किट के पैकेट के पीछे पड़े है।।
4)
आसमान के कई रंग है।
जीवन में भरते उमंग है।।
चाँद सितारे खिले रात में।
सुरज की किरणे प्रभात में।।
...........?
5)
ईंट नहीं लड़ने की चीज।
यह है कुछ गढ़ने की चीज।।
पहले भू पर रक्खो ईंट।
ईंट के उपर रक्खो ईंट।।
इसी तरह तुम रखते जाओ।
जो भी चाहो वही बनाओ।।
ईंट ईंट से बने मकान।
कोठी बंगले आलीशान।।
6)
ओले बरसे बन कर गोले।
बच्चे भरते अपने झोले।।
गंजे डर कर घर में भागे।
घर आंगन सोये से जागे।।
ओलो ने हरकंम्प मचाया।
पर किसान सहमा घबराया।
हाथ जोड़ ईश्वर से बोला।
खड़ी फसल पर गिरे ना ओला।।
7)
गधा जानवर बड़े काम का
जीवन जीता पर गुलाम का
धोबी के डंडे से डरता
सबसे ज़्यादा मेहनत करता
फिर भी कहते लोग गधा है
सीधेपन की यही सजा है
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